संकल्प मंत्र

संकल्प मंत्र एक हिन्दू धार्मिक क्रिया है जो किसी भी पूजा या धार्मिक अनुष्ठान के शुरू में की जाती है। इसका उद्देश्य स्वयं को दिव्य शक्तियों के समक्ष समर्पित करना और उनसे अपने कार्य के लिए आशीर्वाद प्राप्त करना होता है। संकल्प मंत्र के माध्यम से व्यक्ति अपने कार्य की सफलता के लिए प्रार्थना करता है। संकल्प में, व्यक्ति अपना नाम, गोत्र, तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण, मास, पक्ष, संवत्सर और अनुष्ठान के उद्देश्य का उल्लेख करता है।

एक सामान्य संकल्प मंत्र का उदाहरण नीचे दिया गया है:

( दाहिने हाथ में जल अक्षत और द्रव्य लेकर निम्न संकल्प मंत्र बोले 🙂

इस मंत्र में, आपको अपने व्यक्तिगत विवरण जैसे कि आपका नाम, गोत्र, स्थान का नाम, मास, तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण, और जिस देवता की पूजा या जिस उद्देश्य से आप अनुष्ठान कर रहे हैं, उसे जोड़ना होता है। इससे संकल्प का व्यक्तिगत महत्व बढ़ जाता है और यह अधिक प्रभावी माना जाता है।

यह मंत्र हिन्दू पूजा-अर्चना और विशेषतः संकल्प लेते समय का है, जिसमें पूजा करने वाला अपनी पूजा की गहनता और विशिष्टता को व्यक्त करता है। इसके प्रत्येक शब्द का विश्लेषण निम्नलिखित है:

  • ऊँ: यह ब्रह्माण्ड की मूल ध्वनि है, जो सार्वभौमिक चेतना या ईश्वर को दर्शाती है।
  • विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः: विष्णु का तीन बार उल्लेख है, जो उनकी महत्ता और शक्ति को दर्शाता है।
  • श्रीमद् भगवतो महापुरुषस्य: ‘श्रीमद्’ धन और समृद्धि का प्रतीक है, ‘भगवतो’ भगवान को संबोधित करता है, और ‘महापुरुषस्य’ महान पुरुष या दिव्य शक्ति का उल्लेख करता है।
  • विष्णोराज्ञया: विष्णु के आदेश से।
  • प्रवर्तमानस्य: चालू या आरंभ हो रहा है।
  • अद्य: आज।
  • ब्रह्मणो द्वितीय परार्धे: ब्रह्मा के दूसरे परार्ध में, यानी वर्तमान कल्प का संदर्भ।
  • श्रीश्वेतवराहकल्पे: श्वेतवराह कल्प का संदर्भ, जो वर्तमान कल्प है।
  • वैवस्वतमन्वन्तरे: वैवस्वत मनु के अंतराल में, जो वर्तमान मन्वंतर है।
  • अष्टाविंशतितमे कलियुगे: कलियुग का अष्टाविंशति (28वां) युग।
  • कलि प्रथम चरणे: कलियुग के पहले चरण में।
  • जम्बूद्वीपे, भारतवर्षे, भरतखंडे: भौगोलिक संदर्भ, जो प्राचीन भारत को दर्शाते हैं।
  • (अपने स्थान का नाम), मासे (अपने मास का नाम), शुक्ल/कृष्ण पक्षे, (तिथि) तिथौ, (वार) वासरे, (नक्षत्र) नक्षत्रे, (योग) योगे, (करण) करणे: ये खाली स्थान पूजा करने वाले व्यक्ति को अपने स्थान, समय, तिथि, वार, नक्षत्र, योग, और करण के आधार पर भरने होते हैं।
  • एवं गुण विशेषण विशिष्टायां अस्यां (तिथि) तिथौ: इस विशेष तिथि पर जो गुण और विशेषण हैं।
  • (अपना नाम), (अपना गोत्र) गोत्रोत्पन्नः: पूजा करने वाले का नाम और गोत्र।
  • अहं गृहे, (देवता का नाम) प्रीत्यर्थं, (पूजा/अनुष्ठान का उद्देश्य) करिष्ये।: मैं अपने घर में, (देवता के नाम) की प्रसन्नता के लिए, (पूजा या अनुष्ठान) करने जा रहा हूं।

इस मंत्र में भौगोलिक स्थान, समय, और देवता के प्रति आदर व्यक्त किया गया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि पूजा करने वाला विशेष रूप से अपनी पूजा को ईश्वर को समर्पित कर रहा है।

यह भी पढ़ें –
Tilak Mantra – तिलक मंत्र

Bhojan Mantra- मंत्र जिसके पढ़ने से खाना पवित्र हो जाता है।





1 thought on “संकल्प मंत्र”

Leave a comment