DHANTERAS

Dhanteras- धनतेरस

धनतेरस (DHANTERAS), हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो कार्तिक कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व का महत्व धनवंतरि, आयुर्वेद के पिता, के प्रकट होने के अवसर पर आधारित है।

कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के समय, भगवान विष्णु धनवंतरि रूप में सागर से प्रकट हुए थे और उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था। यह घटना कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को हुई थी, और इसलिए धनतेरस (DHANTERAS) को धन धन त्रयोदशी भी कहा जाता है।

धनतेरस (Dhanteras) कब है

धनतेरस (Dhanteras) का त्योहार हिन्दी कैलेंडर में कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है और इसे दिवाली के दो दिन पहले अथवा धनतेरस (Dhanteras) दिवाली का आरंभ माना जाता है। इस बार, धनतेरस(Dhanteras) 29 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। इस खास मौके पर हम जानेंगे कि धनतेरस (Dhanteras) का महत्व क्या है और इसे क्यों मनाते हैं।

धनतेरस (Dhanteras) का महत्व

धनतेरस (Dhanteras) के दिन, हिन्दू धर्म में भगवान धन्वंतरि को अमृत कलश लेकर पृथ्वी पर प्रकट होते हुए मानते हैं। इसलिए, इस दिन लोग बर्तन खरीदने का परंपरागत रूप से अनुष्ठान करते हैं। भगवान धन्वंतरि के साथ, मां लक्ष्मी और कुबेर देव भी पूजे जाते हैं। इस दिन किसी भी तरह के नए सामान की खरीदारी को बहुत शुभ माना जाता है। धनतेरस (DHANTERAS) का मुख्य उद्देश्य धनवंतरि जी और आयुर्वेद की पूजा करके स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति करना है। 2016 में भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।

धनतेरस (Dhanteras) की हिन्दू पौराणिक कथा

हिन्दू पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के समय कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इस दिन उनके प्रकट होने के उपलक्ष में हर साल कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस (Dhanteras) का त्योहार मनाया जाता है। इस त्योहार का महत्व इस बात से आता है कि धनतेरस (Dhanteras) के दो दिन बाद ही दीपावली का आगमन होता है, जब देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं।

धनतेरस (Dhanteras) की भगवान विष्णु और लक्ष्मी की कथा

एक समय की बात है जब भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी मृत्युलोक से धरती पर आ रहे थे। लक्ष्मी जी ने विष्णु जी से कहा कि वह भी उनके साथ चलना चाहती हैं। विष्णु जी ने उनसे कहा कि यदि वह उनकी बात मानती हैं, तो उन्हें साथ ले जा सकते हैं। लक्ष्मी जी ने उनकी बात मान ली, लेकिन विष्णु जी ने एक शर्त रखी कि वह धरती पर आने से पहले दक्षिण दिशा में उसी स्थान पर रहेंगी जहां वह जाना नहीं चाहते थे।

विष्णु जी के जाने के बाद, लक्ष्मी जी ने उसी दिशा में जाने की चाह की और उन्होंने एक सुंदर खेत देखा जो सरसों से भरा हुआ था। सरसों के फूलों की शोभा देखकर उन्होंने बहुत प्रसन्न होते हुए थोड़ी दूर पर एक गाँव देखा जिसमें एक गरीब किसान अपने घर को संजीवनी रूप में साजगर कर रहा था। लक्ष्मी जी ने उसका सेवा करने का निर्णय किया।

एक दिन लक्ष्मी जी ने किसान की पत्नी से कहा कि वह स्नान करके पहले उनकी बनाई गई देवी लक्ष्मी की मूर्ति की पूजा करे और फिर रसोई बनाएं। इसके बाद उन्हें सभी प्रकार के सुख मिलेंगे। किसान की पत्नी ने उसकी सिखाई हुई बातों का पालन करते हुए पूजा और विशेष रूप से दीपावली के समय धनतेरस (Dhanteras) का त्योहार मनाया।

पूजा के असर से किसान के घर से दीपकों का प्रकाश बढ़ा, और उसका जीवन धन, संपत्ति और खुशियों से भर गया। इसके बाद, जब लक्ष्मी जी ने विष्णु जी को लेने के लिए कहा, तो किसान ने इसका इनकार किया क्योंकि उन्हें अपने सुख-शांति से बड़ा कोई धन नहीं था।

भगवान विष्णु ने उनसे कहा कि लक्ष्मी जी बहुत चंचल हैं और कहीं भी ठहरने नहीं वालीं, लेकिन उन्हें बड़े-बड़े दीपावली के इवेंट्स में रोका नहीं जा सकता। उन्होंने किसान से कहा कि लक्ष्मी जी ने आपकी 12 वर्षों की सेवा का समय पूरा कर लिया है, और अब वह जाने के लिए तैयार हैं।

इस कथा से सारगर्म से सेवा और भक्ति का महत्व सामने आता है, और धनतेरस (Dhanteras) का त्योहार इस भक्ति और सेवा का अद्वितीय महत्व दिखाता है। यह त्योहार धन, संपत्ति, और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए एक शुभ अवसर के रूप में मनाया जाता है।

धनतेरस (DHANTERAS) के दिन की पूजा विधि को ध्यानपूर्वक और भक्तिभाव से किया जाता है। यहां एक सरल पूजा विधि दी गई है जो आप अपने घर में कर सकते हैं:

  1. स्नान (शौचालय का योग्य स्थान पर): सुबह उठते ही स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें।
  2. दीपाराधना (द्वार पर दीपक जलाना): घर के मुख्य द्वार पर एक दीपक जलाएं, जिससे आत्मा को प्रकाशित करें।
  3. पूजा स्थल सजाना (चौकी पर मूर्तियाँ स्थापित करना): एक पीले रंग के कपड़े की चौकी पर भगवान धन्वंतरि और यमराज की मूर्तियाँ स्थापित करें।
  4. मूर्तियों का स्नान (गंगाजल से): मूर्तियों को गंगाजल से स्नान कराएं, इससे उन्हें पवित्रता मिलेगी।
  5. पूजा सामग्री (फूल, माला, अक्षत, रोली, मौली, धूप, दीप, नैवेद्य): फूल, माला, अक्षत, रोली, मौली, धूप, दीप, और नैवेद्य की सामग्री संग्रहित करें।
  6. पूजा का आरंभ (आरती के साथ): आरती करते हुए भगवान धन्वंतरि और यमराज की पूजा का आरंभ करें।
  7. प्रसाद बांटना: पूजा के बाद प्रसाद बांटें और उसे सभी को दें।
  8. आरती गाना और कीर्तन: पूजा के बाद आरती गाएं और धन्वंतरि और यमराज की प्रशंसा करने के लिए कीर्तन करें।

धनतेरस (DHANTERAS) की पूजा में आप अपने आसपास के लोगों को भी शामिल कर सकते हैं और साझा कर सकते हैं, ताकि सभी को आत्मिक और आर्थिक समृद्धि की कामना करने का अवसर मिले।

धनतेरस (DHANTERAS)  का महत्व

धनतेरस (DHANTERAS) का महत्व

धनतेरस (DHANTERAS) का त्यौहार हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह दिवाली के दो दिन पहले मनाया जाता है। धनतेरस (DHANTERAS) के दिन भगवान धन्वंतरि के जन्मोत्सव के साथ-साथ यमराज की पूजा भी की जाती है।

धनतेरस (DHANTERAS) का महत्व निम्नलिखित है:

  • धनतेरस (DHANTERAS) के दिन भगवान धन्वंतरि के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के देवता हैं। उनकी पूजा से आरोग्य और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
  • धनतेरस (DHANTERAS) के दिन यमराज की पूजा की जाती है। यमराज मृत्यु के देवता हैं। उनकी पूजा से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।
  • धनतेरस (DHANTERAS) के दिन नई वस्तुओं की खरीदारी का विशेष महत्व है। इस दिन सोने, चांदी, बर्तन, झाड़ू आदि खरीदने से घर में सुख-समृद्धि आती है।

धनतेरस (DHANTERAS) का त्यौहार हिन्दू धर्म में एक अहम और प्रमुख त्यौहार माना जाता है जो दीपावली के पहले दिन मनाया जाता है। इस दिन लोग विभिन्न परंपराएं और आचार-विचारों के साथ इस महत्वपूर्ण दिन का स्वागत करते हैं। यहां कुछ धनतेरस (DHANTERAS) की परंपराएं और आचार-विचार दी गई हैं:

  1. घर में घी के दीपक: धनतेरस (DHANTERAS) के दिन घर में घी के दीपक जलाए जाते हैं। इस क्रिया से उत्पन्न होने वाली रौशनी का मान्यता से अफसोस है कि घर में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।
  2. दीपदान: धनतेरस (DHANTERAS) के दिन घर के आंगन में दीपदान किया जाता है। इससे घर में अंधकार दूर होता है और प्रकाश फैलता है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है।
  3. साबुत धनिया खरीदने की परंपरा: इस दिन कोई भी घर कुछ न कुछ साबुत धनिया खरीदता है। यह परंपरा मान्यता से इस विशेष दिन को और भी शुभ बनाती है और घर में सुख-समृद्धि लाती है।

इसके अलावा, धनतेरस (DHANTERAS) के दिन कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है:

  • रिण मुक्ति: इस दिन किसी भी तरह का ऋण न लेना चाहिए, क्योंकि यह एक शुभ मुहूर्त है और ऋण मुक्ति का समय होता है।
  • लड़ाईझगड़ा नहीं: धनतेरस (DHANTERAS) के दिन किसी भी तरह की लड़ाई-झगड़ा नहीं करना चाहिए, ताकि घर में शांति बनी रहे।
  • शुभ भाषण: इस दिन किसी भी तरह का अपशब्द न बोलना चाहिए, क्योंकि शुभ भाषण और प्रेमभाव से घर की ऊर्जा सकारात्मक बनी रहती है।

धनतेरस (DHANTERAS) का त्यौहार हमारे जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति की प्राप्ति के लिए एक अद्भुत अवसर है। इस दिन को ध्यानपूर्वक मनाकर हम अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन का स्वागत कर सकते हैं।

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