AYODHYA- Jai Shri Ram

जय श्री राम।

अयोध्या (AYODHYA), भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक अत्यंत प्राचीन और धार्मिक नगर है, जो पवित्र सरयू नदी के तट पर स्थित है। इस नगर को माना जाता है कि मनु ने इसे स्थापित किया और उसने इसे “अयोध्या (AYODHYA)” नाम दिया, जिसका अर्थ होता है ‘जहां कभी युद्ध नहीं हो’। इसके अलावा, प्राचीन काल में इसे “कौशल देश” के नाम से भी जाना जाता था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, अयोध्या (AYODHYA) में सूर्यवंशी और रघुवंशी राजाओं का शासन था, जिसमें भगवान श्रीराम ने अपना अवतार लिया था। इसे अयोध्या (AYODHYA) नाम दिया जिसका अर्थ होता है “अहिंसा का नगर” अर्थात जहां कभी युद्ध ना हो। इसके अलावा इस प्राचीन काल में कौशल देश के नाम से भी जाना जाता था।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अयोध्या (AYODHYA) में सूर्यवंशी और रघुवंशी राजाओं का राज हुआ करता था। जिसमें आगे चलकर भगवान श्री राम (SHREE RAM)ने अवतार लिया था। यहां पर सातवीं शताब्दी में चीनी यात्री ह्वेनसांग ने आकर देखा था कि यहां पर बौद्ध मंदिर (MANDIR) थे तथा बौद्ध भिक्षुओं का निवास था।

वेदों में अयोध्या (AYODHYA) को ईश्वर का नगर बताया गया है और इसके संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है। अथर्ववेद में अयोध्या (AYODHYA) का उल्लेख है।

अयोध्या (AYODHYA)

मथुरा माया काशी कांची अवंतिका। पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिकाः॥

यह श्लोक संस्कृत में है और इसका मतलब है:

“अयोध्या (AYODHYA), मथुरा, माया, काशी, कांची, अवंतिका, और पुरी – इन सातों पुरियों में मोक्ष प्राप्ति के लिए द्वार खुलता है।”

यह श्लोक हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण है और इसमें यह कहा गया है कि इन सात पवित्र स्थलों में व्यक्ति मोक्ष की प्राप्ति के लिए योग्य होता है। ये सात पुरियाँ हैं:

  • अयोध्या (AYODHYA)
  • मथुरा
  • माया
  • काशी (वाराणसी)
  • कांची (कांचीपुरम)
  • अवंतिका (उज्जैन)
  • पुरी (जगन्नाथपुरी)

यह श्लोक हिन्दू धर्म के तत्त्वों में से एक तत्त्व को सार्थक बनाता है और विश्वास दिलाता है कि इन स्थानों पर यात्रा करने वाला व्यक्ति मोक्ष की प्राप्ति के लिए योग्य होता है।

 

अयोध्या (AYODHYA) का इतिहासवेदों में अयोध्या (AYODHYA) को ईश्वर का नगर बताया गया है और इसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है अथर्ववेद में यौगिक प्रतीक के रूप में अयोध्या (AYODHYA) का उल्लेख है।

अष्टचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या | तस्यां हिरण्ययः कोशः स्वर्गो ज्योतिषावृतः

अर्थ – (अष्टचक्रा, नव द्वारा अयोध्या (AYODHYA) देवानां पूः) आठ चक्र और नौ द्वारों वाली अयोध्या (AYODHYA) देवों की पुरी है, (तस्यां हिरण्ययः कोशः) उसमें प्रकाष वाला कोष है , (स्वर्गः ज्योतिषा आवृतः) जो आनन्द और प्रकाश से युक्त है |

यह नगर सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी रहा है और अयोध्या (AYODHYA) मूल रूप से हिंदू मंदिरों का एक महत्वपूर्ण शहर है। इस स्थान पर आज भी हिंदू धर्म से जुड़े अवशेष देखे जा सकते हैं। जैन मान्यताओं के अनुसार, यहां 24 तीर्थंकरों में से 5 तीर्थंकरों का जन्म हुआ था।

इसके अलावा, जैन और वैदिक दोनों मेंट्रन के अनुसार भगवान रामचंद्र जी का जन्म भी इसी स्थान पर हुआ था। यहां पर हुए सभी तीर्थंकर और भगवान रामचंद्र जी के प्राचीन इतिहास में प्रताप क्षत्रियों की राजधानी रहा है। अयोध्या (AYODHYA) में ही जन्मे भगवान श्रीराम को विष्णु जी के सातवें अवतार के रूप में जाना जाता है। कौशल जनपद की राजधानी थी, प्राचीन उल्लेखों के अनुसार तब इसका क्षेत्रफल 96 वर्ग मील था।

अयोध्या (AYODHYA) और फैजाबाद दोनों ही शहर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित हैं। अयोध्या (AYODHYA) भारत के प्राचीनतम शहरों में से एक है और भगवान श्री राम ( SHREE RAM)की जन्मभूमि के रूप में प्रसिद्ध है। फैजाबाद अयोध्या (AYODHYA) से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित है।

फैजाबाद शहर की स्थापना 1722 ईस्वी में अवध के सूबेदार सआदत अली खान ने की थी। उन्होंने इसे अवध की पहली राजधानी बनाया था। लेकिन 1775 ईस्वी में नवाब आसफुद्दौला ने अवध की राजधानी लखनऊ स्थानांतरित कर दी। इसके बाद फैजाबाद का पतन हो गया।

फैजाबाद शहर की स्थापना के समय यहां कई खूबसूरत इमारतें बनाई गईं, जिनमें से कुछ आज भी मौजूद हैं। इनमें से कुछ प्रमुख इमारतें हैं:

  • शाहजहांपुर दरवाजा
  • हुमायूँ दरवाजा
  • मकबरा-ए-सआदत
  • मस्जिद-ए-नवाब
  • शाही बाग

फैजाबाद शहर के पतन के बाद भी अयोध्या (AYODHYA) अपने धार्मिक महत्व के कारण एक आस्था का केंद्र बना रहा। अयोध्या (AYODHYA) में कई प्रसिद्ध मंदिर (MANDIR) हैं, जिनमें से सबसे प्रमुख हैं:

  • राम जन्मभूमि मंदिर (MANDIR)
  • हनुमानगढ़ी मंदिर (MANDIR)
  • सरयू घाट

अयोध्या (AYODHYA) और फैजाबाद दोनों ही शहर भारत के समृद्ध इतिहास और संस्कृति के प्रतीक हैं।

 

फैजाबाद शहर की स्थापना से लेकर अवध की राजधानी लखनऊ स्थानांतरित होने तक के समय में यहां कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं। इस अवधि में अवध की अर्थव्यवस्था और संस्कृति में काफी विकास हुआ। फैजाबाद शहर इस विकास का एक महत्वपूर्ण केंद्र था।

2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने फैजाबाद जिले का नाम बदलकर अयोध्या (AYODHYA) कर दिया। इस फैसले का उद्देश्य अयोध्या (AYODHYA) को उसके धार्मिक महत्व के अनुसार पहचान दिलाना था।

आयोध्या, जिसका अर्थ कुछ विद्वान ऐसे शहर के रूप में निकलते हैं जहां पर सब बराबर है और जहां कोई भेदभाव ना हो, एक ऐसे महत्वपूर्ण शहर है जो महाकवि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस में वर्णित राम राज्य की अवधारणा से मेल खाता है। ब्रिटिश शासनकाल में, जब हमारा देश अंग्रेजों के अधीन आया, तो उन्होंने फैजाबाद शहर को एक जिले का दर्जा दिया और रामनगरी आयोध्या को भी इस जिले के अंतर्गत कर दिया। आदित्यनाथ की सरकार ने आयोध्या शहर को जिला घोषित किया और फैजाबाद शहर को उसका प्रशासनिक मुख्यालय बना दिया।

may 2017 तक फैजाबाद शहर की अलग नगरपालिका थी और आयोध्या शहर की अलग नगरपालिका ने विलय कर आयोध्या नगर निगम नाम से एक नए नगर निकाय को गठित कर दिया। फैजाबाद एक बहुत ही खूबसूरत और ऐतिहासिक शहर है, यह शहर बहुत से साहित्यकारों, कवियों, और स्वतंत्रता सेनानियों के जन्मभूमि और कर्मभूमि के रूप में गर्वित है। रामायण का पहली बार उर्दू में अनुवाद करने वाले महान उर्दू कवि और पेशी से वकील पंडित बृज नारायण का जन्म स्थान और कर्म स्थान भी फैजाबाद ही था।

 

प्राचीन नगर अयोध्या (AYODHYA) के अवशेष खंडार के रूप में रह गए थे, जिसमें कहीं-कहीं कुछ अच्छे मंदिर (MANDIR) भी बचे हुए थे, लेकिन 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद अब यहां पर एक भव्य राम मंदिर (MANDIR) बनने जा रहा है। इस नए मंदिर (MANDIR) बनने तक, मूर्ति को जन्म स्थान से स्थानांतरित कर, एक अस्थाई मंदिर (MANDIR) में प्रतिष्ठापित कर दिया गया है।

वर्तमान अयोध्या (AYODHYA) के प्राचीन मंदिरों में सीता रसोई तथा हनुमानगढ़ी मुख्य हैं, जो 19वीं शताब्दी में बने थे। इनमें कनक भवन, नागेश्वर नाथ तथा दर्शन सिंह मंदिर (MANDIR) दर्शनीय हैं। इसके अलावा, यहां कुछ जैन मंदिर (MANDIR) भी हैं, जो भगवान श्री राम ( SHREE RAM)की लीला के अतिरिक्त अयोध्या (AYODHYA) में श्री हरि के अन्य साथ प्रकट हुए हैं। इन्हें सप्त हरि के नाम से जाना जाता है, जो अलग-अलग समय देवताओं और मुनियों की तपस्या से प्रकट हुए हैं, जैसे कि भगवान गुप्ता हरि, पुण्य हरि, दर्शन हरि, और शेर के पश्चिम में पूजा का प्रमुख स्थान है। यहां भारत और विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं का साल भर आना-जाना लगा रहता है।

मार्च और अप्रैल में मनाया जाने वाला रामनवमी यहां बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है।

हनुमानगढ़ी – अयोध्या (AYODHYA) का प्रमुख हनुमान मंदिर (MANDIR)

अयोध्या (AYODHYA) को भगवान राम की नगरी कहा जाता है। यह हिंदुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थस्थल है। मान्यता है कि अयोध्या (AYODHYA) में हनुमान जी सदैव वास करते हैं। इसीलिए अयोध्या (AYODHYA) जाकर भगवान राम के दर्शन से पहले भक्त हनुमान जी के दर्शन करते हैं।

यहां का सबसे प्रमुख हनुमान मंदिर (MANDIR) हनुमानगढ़ी के नाम से प्रसिद्ध है। यह मंदिर (MANDIR) अयोध्या (AYODHYA) में राम जन्मभूमि के सामने एक ऊंचे टीले पर स्थित है। कहा जाता है कि हनुमान जी यहां एक गुफा में रहते हैं और राम जन्मभूमि और राम की रक्षा करते हैं।

मान्यता है कि हनुमान जी को रहने के लिए यह स्थान प्रभु श्री राम (SHREE RAM)ने दिया था। प्रभु श्री राम (SHREE RAM)ने हनुमान जी को यह अधिकार दिया था कि जो भी भक्त मेरे दर्शनों के लिए अयोध्या (AYODHYA) आएगा, उससे पहले तुम्हारे दर्शन करने होंगे।

यहां आज भी छोटी दीपावली के दिन आधी रात को संकटमोचन का जन्म दिवस मनाया जाता है।

यह मंदिर (MANDIR) एक टीले पर स्थित है, जिस कारण यहां तक पहुंचने के लिए लगभग 76 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। इसके बाद पवनपुत्र हनुमान जी की 6 इंच की प्रतिमा के दर्शन होते हैं, जो हमेशा फूल मालाओं से सुशोभित रहते हैं। बाल हनुमान के साथ अंजनी माता की भी प्रतिमा है।

श्रद्धालुओं को मानना है कि इस मंदिर (MANDIR) में आने से उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। हनुमानगढ़ी अयोध्या (AYODHYA) में स्थित एक प्राचीन मंदिर (MANDIR) है जो भगवान हनुमान को समर्पित है। इस मंदिर (MANDIR) का निर्माण काल स्पष्ट रूप से ज्ञात नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर (MANDIR) कई बार नष्ट और पुनर्निर्मित किया गया है। वर्तमान मंदिर (MANDIR) 10वीं शताब्दी का माना जाता है।

हनुमानगढ़ी मंदिर (MANDIR) अयोध्या (AYODHYA) के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। यह मंदिर (MANDIR) अयोध्या (AYODHYA) के राजद्वार के सामने ऊंचे टीले पर स्थित है। मंदिर (MANDIR) में हनुमान जी की एक विशाल मूर्ति है, जो 76 सीढ़ियों के बाद पहुंची जा सकती है।

हनुमानगढ़ी मंदिर (MANDIR) के साथ कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। एक कथा के अनुसार, भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद लंका से हनुमान जी को लाया था। हनुमान जी की मूर्ति को पहले अयोध्या (AYODHYA) में राम जन्मभूमि पर स्थापित किया गया था, लेकिन बाद में इसे हनुमानगढ़ी में स्थानांतरित कर दिया गया।

हनुमानगढ़ी मंदिर (MANDIR) में हनुमान जी के साथ-साथ अन्य कई देवी-देवताओं की मूर्तियां भी हैं। मंदिर (MANDIR) में एक रसोई भी है, जहां हनुमान जी के लिए भोजन पकाया जाता है।

राघव जी का मंदिर (MANDIR)

राघव जी का मंदिर (MANDIR) अयोध्या (AYODHYA) में स्थित एक प्राचीन मंदिर (MANDIR) है जो भगवान राम को समर्पित है। इस मंदिर (MANDIR) का निर्माण काल 12वीं शताब्दी के आसपास माना जाता है।

राघव जी का मंदिर (MANDIR) अयोध्या (AYODHYA) के नगर के केंद्र में स्थित है। मंदिर (MANDIR) में भगवान राम की एक अकेली मूर्ति है। यह एकमात्र ऐसा मंदिर (MANDIR) है जिसमें भगवान राम के साथ माता सीता की मूर्ति नहीं है।

राघव जी का मंदिर (MANDIR) अयोध्या (AYODHYA) के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है। इस मंदिर (MANDIR) में साल भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

नागेश्वर नाथ मंदिर (MANDIR)

नागेश्वर नाथ मंदिर (MANDIR) अयोध्या (AYODHYA) में स्थित एक प्राचीन मंदिर (MANDIR) है जो भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर (MANDIR) का निर्माण काल 12वीं शताब्दी के आसपास माना जाता है।

नागेश्वर नाथ मंदिर (MANDIR) अयोध्या (AYODHYA) के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। कहा जाता है कि इस मंदिर (MANDIR) का निर्माण भगवान राम के पुत्र कुश ने करवाया था।

नागेश्वर नाथ मंदिर (MANDIR) में भगवान शिव की एक विशाल मूर्ति है। मंदिर (MANDIR) परिसर में एक कुंड भी है, जिसे नागेश्वर कुंड कहा जाता है। कहा जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।

श्री राम (SHREE RAM)जन्मभूमि मंदिर (MANDIR) का शिलान्यास

5 अगस्त, 2020 को अयोध्या (AYODHYA) में भगवान राम के जन्मस्थान पर विशाल और भव्य राम मंदिर (MANDIR) का शिलान्यास किया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और विश्व हिंदू परिषद के प्रमुख महंत नृत्यगोपाल दास सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।

शिलान्यास समारोह की शुरुआत शंखनाद और मंत्रोच्चार से हुई। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने भगवान राम की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित किया और भूमि पूजन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राम मंदिर (MANDIR) का निर्माण एक ऐतिहासिक क्षण है। उन्होंने कहा कि यह मंदिर (MANDIR) न केवल हिंदुओं के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए एक प्रतीक होगा।

शिलान्यास समारोह के दौरान देश भर से लाखों श्रद्धालु अयोध्या (AYODHYA) पहुंचे। उन्होंने मंदिर (MANDIR) निर्माण के लिए धन और सामग्री का दान किया। मंदिर (MANDIR) निर्माण का कार्य श्री राम (SHREE RAM)जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है। ट्रस्ट का लक्ष्य 2025 तक मंदिर (MANDIR) का निर्माण पूरा करना है।

शिलान्यास समारोह का महत्व

श्री राम ( SHREE RAM) जन्मभूमि मंदिर (MANDIR) का शिलान्यास भारत के लिए एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना है। यह मंदिर (MANDIR) हिंदुओं के लिए एक आस्था का प्रतीक है। मंदिर (MANDIR) निर्माण से अयोध्या (AYODHYA) को एक नए आयाम मिलेगा। यह शहर एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन जाएगा।

शिलान्यास समारोह से भारत में एकता और सद्भाव का संदेश भी गया। इस अवसर पर सभी धर्मों के लोगों ने एक साथ मिलकर मंदिर (MANDIR) निर्माण के लिए अपना योगदान दिया। यह एक सकारात्मक संकेत है कि भारत में सभी धर्मों के लोगों के बीच आपसी सौहार्द और भाईचारा बढ़ रहा है।

राम मंदिर (MANDIR) के निर्माण का कार्य 2024 में शुरू हुआ और 2027 में पूरा होने की उम्मीद है। राम मंदिर (MANDIR) का निर्माण भारत के लिए एक ऐतिहासिक घटना है। यह मंदिर (MANDIR) हिंदुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थस्थल होगा।

अयोध्या (AYODHYA) का इतिहास बहुत ही प्राचीन है। यह नगर कई बार उतार-चढ़ाव का सामना कर चुका है। लेकिन इसका महत्व हमेशा बना रहा है।

अयोध्या (AYODHAYA) क्या है और यह कहाँ स्थित है?

अयोध्या (AYODHAYA) भारत के उत्तर प्रदेश में सरयू नदी के तट पर स्थित एक प्राचीन और धार्मिक शहर है। यह अपने गहरे ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है, खासकर हिंदू धर्म में।

अयोध्या (AYODHAYA) की स्थापना किसने की और उसके नाम का क्या अर्थ है?

माना जाता है कि अयोध्या (AYODHAYA) की स्थापना मनु ने की थी। ‘अयोध्या (AYODHAYA)’ नाम का अर्थ है ‘जहां कभी कोई युद्ध नहीं होता’, जो शांति और अहिंसा का स्थान दर्शाता है।

हिंदू पौराणिक कथाओं में अयोध्या (AYODHAYA) का ऐतिहासिक महत्व क्या है?

अयोध्या (AYODHAYA) सूर्यवंशी और रघुवर्षी राजाओं के शासन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है, जिनमें भगवान राम भी शामिल हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि वे वहीं अवतरित हुए थे।

चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अयोध्या (AYODHAYA) में क्या देखा?

7वीं शताब्दी में, चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अयोध्या (AYODHAYA) का दौरा किया और बौद्ध मंदिरों और मठों की उपस्थिति देखी।

वेदों में अयोध्या (AYODHAYA) का चित्रण किस प्रकार किया गया है?

वेदों में, विशेष रूप से अथर्ववेद में, अयोध्या (AYODHAYA) को एक दिव्य शहर के रूप में वर्णित किया गया है, जो स्वर्ग के बराबर है, और इसका उल्लेख ‘अष्टचक्रा नवद्वारा देवानाम पुरायोध्या’ के रूप में किया गया है।

मोक्ष के लिए बताए गए सात शहर कौन से हैं?

सात नगर हैं अयोध्या (AYODHAYA), मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी (वाराणसी), कांची (कांचीपुरम), अवंतिका (उज्जैन) और पुरी (जगन्नाथ पुरी)।

जैन मान्यताओं में अयोध्या (AYODHAYA) का क्या महत्व है?

जैन मान्यताओं के अनुसार अयोध्या (AYODHAYA) पांच तीर्थंकरों की जन्मस्थली है।

फैजाबाद के कुछ ऐतिहासिक पहलू क्या हैं?

1722 में सआदत अली खान द्वारा स्थापित और अयोध्या (AYODHAYA) के पास स्थित फैजाबाद, 1775 में लखनऊ स्थानांतरित होने से पहले अवध की पहली राजधानी थी।

राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण की क्या स्थिति है?

9 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद, उस स्थान पर एक भव्य राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। आधारशिला 5 अगस्त, 2020 को रखी गई थी और मंदिर का निर्माण 2027 तक पूरा होने की उम्मीद है।

अयोध्या (AYODHAYA) में उल्लेखनीय मंदिर और धार्मिक स्थल कौन से हैं?

अयोध्या (AYODHAYA) में महत्वपूर्ण मंदिरों में राम जन्मभूमि मंदिर, हनुमानगढ़ी मंदिर, सरयू घाट और कई जैन मंदिर शामिल हैं।

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