प्राचीन काल से ही तंत्र-मंत्र हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। चाहे वह धर्मिक अनुष्ठान हो, या किसी संकट का समाधान, तंत्र-मंत्र का उपयोग हर जगह किया जाता रहा है। कुछ लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं, जबकि कुछ लोग इसे आत्मशांति और समस्याओं के समाधान के रूप में देखते हैं। लेकिन क्या वास्तव में तंत्र-मंत्र में इतनी शक्ति होती है कि वह हमारे जीवन को प्रभावित कर सके?
तंत्र-मंत्र के प्रकार
तंत्र-मंत्र को मुख्यतः दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है:
- सकारात्मक तंत्र-मंत्र: यह वह तंत्र-मंत्र होते हैं जो व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति लाते हैं। इन्हें धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग किया जाता है, जैसे पूजा, हवन, आदि।
- नकारात्मक तंत्र-मंत्र: यह वह तंत्र-मंत्र होते हैं जो व्यक्ति के जीवन में बाधाएं उत्पन्न करते हैं। इन्हें काला जादू या टोटका भी कहा जाता है।
राधा नाम का जाप और तंत्र-मंत्र का प्रभाव
कहा जाता है कि राधा नाम का जाप करने वाले पर कोई भी तंत्र-मंत्र का प्रभाव नहीं हो सकता। यह मान्यता है कि राधा नाम की शक्ति इतनी प्रबल है कि वह किसी भी नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकती है। जो लोग राधा नाम का जाप करते हैं, उन पर किसी भी प्रकार के तंत्र-मंत्र का प्रभाव नहीं होता। यह बात न केवल धार्मिक ग्रंथों में लिखी गई है, बल्कि हमारे आचार्यों और महापुरुषों ने भी इसका समर्थन किया है।
कर्म का प्रभाव और तंत्र-मंत्र का अस्तित्व
हमारे जीवन में जो कुछ भी होता है, वह हमारे कर्मों का परिणाम होता है। अगर हमारे कर्म अच्छे हैं, तो हमारे जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। लेकिन अगर हमारे कर्म बुरे हैं, तो हमें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। तंत्र-मंत्र का प्रभाव भी तभी होता है जब हमारे बुरे कर्मों का प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है। अगर हमारे कर्म अच्छे हैं, तो किसी भी तंत्र-मंत्र का प्रभाव हमारे जीवन पर नहीं पड़ सकता।
तंत्र-मंत्र का निवारण
भगवान का नाम जपने से हमें तंत्र-मंत्र के प्रभाव से मुक्ति मिलती है। जो व्यक्ति भगवान के नाम का जाप करता है, वह किसी भी प्रकार के तंत्र-मंत्र से सुरक्षित रहता है। भगवान का नाम जपने से हमारे कर्म शुद्ध हो जाते हैं और हमें किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का सामना नहीं करना पड़ता।
गौतमी की कथा
एक बार गौतमी नाम की एक तपस्विनी थी, जिसका एक पुत्र था। एक दिन उस पुत्र को एक सर्प ने काट लिया और वह मर गया। गौतमी बहुत क्रोधित हुई और सर्प को भस्म करने की सोची। लेकिन जब उसने सर्प से बात की, तो सर्प ने कहा कि वह मृत्यु के वश में था और उसे काटने के लिए विवश था। यह कथा हमें यह सिखाती है कि हमारे कर्म ही हमें दंड देते हैं। अगर हमारे कर्म बुरे हैं, तो हमें दंड मिलता है, चाहे वह किसी भी रूप में हो।
भगवान की शरण में समर्पण
जब हम अपने आप को भगवान की शरण में समर्पित कर देते हैं, तो हमारे जीवन में कोई भी तंत्र-मंत्र का प्रभाव नहीं पड़ता। हमें यह समझना चाहिए कि हमारे जीवन का हर पहलू भगवान के हाथ में है और हमें हर परिस्थिति में उनका ही सहारा लेना चाहिए।
देवी के संपर्क में रहकर नकारात्मक ऊर्जाओं से कैसे बचें?
जैसे ही आप देवी के संपर्क में आते हैं, नकारात्मक ऊर्जाओं का आपके ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। ध्यानशील व्यक्ति को इन ऊर्जाओं का प्रभाव नहीं होता, क्योंकि जितने आप मानसिक और भावनात्मक रूप से स्थिर होंगे, उतनी ही आसानी से इन शक्तियों से बच सकते हैं।
ऊर्जाओं का दुरुपयोग और उसका प्रभाव
कुछ लोग ऊर्जाओं का दुरुपयोग कर दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं। यह भारत के कुछ हिस्सों में प्रचलित है और अथर्ववेद में इसका उल्लेख है। यदि कोई व्यक्ति इन ऊर्जाओं के प्रति ग्रहणशील नहीं है, तो वह सुरक्षित रहता है। परंतु, इस तरह की ऊर्जाओं का प्रभाव दूसरों पर पड़ सकता है, जैसे सड़क पर गोलियां चल रही हों और किसी बेकसूर को भी गोली लग जाए।
रुद्राक्ष का महत्व
रुद्राक्ष का बीज एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच के रूप में काम करता है। यह ऊंचाई वाले हिमालयी क्षेत्रों में उगता है और इसका वाइब्रेशन अनोखा होता है। जो लोग लगातार यात्राएं करते हैं, उनके लिए यह एक ऊर्जा का कोकून बनाता है। पंचमुखी रुद्राक्ष परिवार और समाज के बीच रहने वाले लोगों के लिए सबसे अच्छा होता है। इसे मान्यता प्राप्त स्थान से ही लेना चाहिए, क्योंकि नकली या जहरीले भद्राक्ष का प्रभाव उल्टा हो सकता है।
अंगूठे में मेटल की अंगूठी पहनने का असर
आजकल कुछ लोग अंगूठे में मेटल की अंगूठी पहनते हैं, जिससे नकारात्मक ऊर्जाएं आकर्षित होती हैं। इससे व्यक्ति पर अनचाही घटनाओं का असर पड़ता है। यह तंत्र विद्या से जुड़ा होता है और ऐसे लोग जो तंत्र में संलग्न होते हैं, वे अंगूठे में अंगूठी पहनते हैं। लेकिन अज्ञानता या फैशन में ऐसा करना नुकसानदायक हो सकता है।
ध्यानलिंग क्षेत्र में बैठकर समाधान
ध्यानलिंग क्षेत्र में तंत्र के आयामों का समाधान होता है। जो लोग इन ऊर्जाओं से प्रभावित होते हैं, उन्हें ध्यानलिंग में बैठने से राहत मिलती है। पूर्णिमा या अमावस्या के दिन वहां बैठने से अधिक प्रभावी होता है, क्योंकि ये दिन ग्रहणशीलता के लिए उपयुक्त होते हैं।
देवी या भैरवी के ऊर्जा-खोल में रहना
यदि आप देवी के ऊर्जा-खोल में हैं, तो नकारात्मक ऊर्जाएं आप पर प्रभाव नहीं डाल सकतीं। सही किस्म का खाना खाने और अपने सिस्टम को ठीक से रखने से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि आपके जीवन में कोई नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश न करे।
ध्यानशीलता और स्थिरता का महत्व
ध्यानशील व्यक्ति तंत्र के प्रभाव से मुक्त रहता है। स्थिरता और मौन को जानने वाला व्यक्ति इन ऊर्जाओं से सुरक्षित रहता है। “आदमी केवल इसलिए बीमार है, क्योंकि उसे स्थिर होना नहीं आता,” यह कथन बिलकुल सही है। मानसिक और भावनात्मक स्थिरता जीवन में निश्चलता लाती है, जिससे नकारात्मक ऊर्जाओं का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
इसलिए, ध्यान और ध्यानशीलता के माध्यम से मानसिक और भावनात्मक स्थिरता बनाए रखना महत्वपूर्ण है। जितने आप स्थिर होंगे, उतनी ही आसानी से आप इन शक्तियों से बच सकते हैं।
तंत्र-मंत्र की शक्तियों को समझना और उनका सही उपयोग करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। हमें यह समझना चाहिए कि हमारे कर्म ही हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं और तंत्र-मंत्र का प्रभाव केवल तभी होता है जब हमारे कर्म बुरे होते हैं। भगवान का नाम जपने से हमें तंत्र-मंत्र के प्रभाव से मुक्ति मिलती है और हमारे जीवन में शांति और सुख बना रहता है।
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