जीवन में कभी-कभी हमें ऐसे लोगों का सामना करना पड़ता है जो हमारे विरोधी बन जाते हैं। यह दुश्मनी कई बार हमारी शांति को भंग कर देती है और हमारे जीवन में कई समस्याओं का कारण बन जाती है। यदि आप भी अपने जीवन में किसी शत्रु से परेशान हैं, तो इस लेख में बताए गए अचूक उपाय आपके लिए बहुत ही लाभकारी साबित हो सकते हैं। इन उपायों को सही तरीके से करने पर शत्रुओं से मुक्ति पाई जा सकती है और जीवन में शांति और सुख की वापसी हो सकती है।
जीवन में कई बार हमारी किसी के साथ तकरार हो जाती है, जो धीरे-धीरे बड़ी शत्रुता या दुश्मनी में बदल जाती है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति का सुकून छिन जाता है क्योंकि आपका विरोधी आए दिन आपके काम में बाधा डालता रहता है। यदि आपके जीवन में भी किसी शत्रु का संकट बना हुआ है और आप उससे मुक्ति पाना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए शत्रु नाशक उपाय जरूर आजमाएं।
शत्रुओं पर विजय दिलाने वाला उपाय
मंत्र जाप: शत्रु नाशक मंत्र
हिंदू धर्म में किसी भी कामना को पूरा करने के लिए मंत्र जाप को बहुत प्रभावी और फलदायी माना गया है। शत्रुओं से मुक्ति पाने के लिए निम्नलिखित मंत्रों का जाप विधि-विधान से करें:
- महामृत्युंजय मंत्र:
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ
- मां बगुलामुखी मंत्र:
ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय, जिह्ववां कीलय, बुद्धि विनाशय, ह्रीं ॐ स्वाहा
- भगवान नरसिंह का मंत्र:
ॐ नृ नृसिंहाय शत्रु भुज बल विदीर्णाय स्वाहा
इन मंत्रों का जाप पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करें, इससे शत्रुओं से मुक्ति मिलेगी और जीवन में शांति की स्थापना होगी।
ज्योतिष उपाय: शत्रुओं पर विजय पाने का उपाय
यदि आप अपने विरोधी पर विजय प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप नीचे दिए गए ज्योतिष उपाय को अपना सकते हैं:
- भोजपत्र पर शत्रु का नाम लिखें:
- एक भोजपत्र पर लाल चंदन से अपने शत्रु का नाम लिखें।
- इस भोजपत्र को एक शहद की डिब्बी में डुबोकर अपने घर के किसी कोने में रख दें।
इस उपाय को करने से शत्रु आपसे दूर हो जाएगा या फिर समझौता कर लेगा।
संकटमोचक हनुमान की पूजा
सनातन परंपरा में पवनपुत्र हनुमान को संकटमोचक कहा जाता है क्योंकि वे अपने भक्तों की सहायता करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। यदि कोई भक्त प्रतिदिन बजरंग बाण का पाठ करता है, तो महाबली बजरंगी की कृपा हमेशा उस पर बनी रहती है और कोई भी शत्रु उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
हनुमान जी के शक्तिशाली मंत्र
शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा-उपासना करने से शनि की दशा से मुक्ति मिलती है और जीवन में सभी दुख दूर होते हैं। हनुमान जी के निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:
- यश–कीर्ति प्राप्ति हेतु मंत्र:
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमितविक्रमाय प्रकट-पराक्रमाय महाबलाय सूर्यकोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।
अर्थ सहित व्याख्या:
- ऊँ नमो हनुमते: हनुमान जी को नमस्कार है।
- रुद्रावताराय: जो रुद्र (शिव) के अवतार हैं।
- विश्वरूपाय: जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का रूप हैं।
- अमितविक्रमाय: जिनकी असीम वीरता है।
- प्रकट-पराक्रमाय: जिनका पराक्रम खुलकर सामने आता है।
- महाबलाय: जो महाबली हैं।
- सूर्यकोटिसमप्रभाय: जिनकी चमक करोड़ों सूर्यों के समान है।
- रामदूताय: जो भगवान राम के दूत हैं।
- स्वाहा: इस शब्द का उपयोग मंत्र की पूर्णता के लिए किया जाता है।
यह मंत्र यश और कीर्ति की प्राप्ति के लिए हनुमान जी की स्तुति करता है, जिसमें उनकी शक्ति, साहस और पराक्रम की महिमा गाई जाती है।
- शत्रु नाशक मंत्र:
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय रामसेवकाय रामभक्तितत्पराय रामहृदयाय लक्ष्मणशक्ति भेदनिवारणाय लक्ष्मणरक्षकाय दुष्टनिबर्हणाय रामदूताय स्वाहा।
अर्थ सहित व्याख्या:
- ऊँ नमो हनुमते: हनुमान जी को नमस्कार है।
- रुद्रावताराय: जो रुद्र (शिव) के अवतार हैं।
- रामसेवकाय: जो राम के सेवक हैं।
- रामभक्तितत्पराय: जो राम भक्ति में तत्पर हैं।
- रामहृदयाय: जिनका हृदय राम में बसा है।
- लक्ष्मणशक्ति भेदनिवारणाय: जिन्होंने लक्ष्मण की शक्ति को नष्ट किया।
- लक्ष्मणरक्षकाय: जो लक्ष्मण के रक्षक हैं।
- दुष्टनिबर्हणाय: जो दुष्टों का नाश करते हैं।
- रामदूताय: जो भगवान राम के दूत हैं।
- स्वाहा: इस शब्द का उपयोग मंत्र की पूर्णता के लिए किया जाता है।
यह मंत्र शत्रुओं के नाश के लिए हनुमान जी की स्तुति करता है, जिसमें उनकी रामभक्ति, शक्ति और दुष्टों के नाश की क्षमता की प्रशंसा की जाती है।
- शत्रु पर विजय हेतु मंत्र:
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहरणाय सर्वरोगहराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।
अर्थ सहित व्याख्या:
- ऊँ नमो हनुमते: हनुमान जी को नमस्कार है।
- रुद्रावताराय: जो रुद्र (शिव) के अवतार हैं।
- सर्वशत्रुसंहरणाय: जो सभी शत्रुओं का संहार करते हैं।
- सर्वरोगहराय: जो सभी रोगों का हरण करते हैं।
- सर्ववशीकरणाय: जो सभी को वश में करने की क्षमता रखते हैं।
- रामदूताय: जो भगवान राम के दूत हैं।
- स्वाहा: इस शब्द का उपयोग मंत्र की पूर्णता के लिए किया जाता है।
यह मंत्र शत्रुओं पर विजय पाने के लिए हनुमान जी की स्तुति करता है, जिसमें उनकी शक्ति, रोग निवारण की क्षमता और सभी को वश में करने की शक्ति की प्रशंसा की जाती है।
- दुख नाशक मंत्र:
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय आध्यात्मिकाधिदैवीकाधिभौतिक तापत्रय निवारणाय रामदूताय स्वाहा।
अर्थ सहित व्याख्या:
- ऊँ नमो हनुमते: हनुमान जी को नमस्कार है।
- रुद्रावताराय: जो रुद्र (शिव) के अवतार हैं।
- आध्यात्मिकाधिदैवीकाधिभौतिक तापत्रय निवारणाय: जो तीनों प्रकार के दुखों (आध्यात्मिक, आधिदैविक, आधिभौतिक) को नष्ट करते हैं।
- रामदूताय: जो भगवान राम के दूत हैं।
- स्वाहा: इस शब्द का उपयोग मंत्र की पूर्णता के लिए किया जाता है।
यह मंत्र हनुमान जी की स्तुति करता है, जिसमें उनसे तीनों प्रकार के दुखों के नाश की प्रार्थना की जाती है।
- धन प्राप्ति हेतु मंत्र:
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय भक्तजनमनः कल्पनाकल्पद्रुमायं दुष्टमनोरथस्तंभनाय प्रभंजनप्राणप्रियाय महाबलपराक्रमाय महाविपत्तिनिवारणाय पुत्रपौत्रधनधान्यादिविधिसम्पत्प्रदाय रामदूताय स्वाहा।
अर्थ सहित व्याख्या:
- ऊँ नमो हनुमते: हनुमान जी को नमस्कार है।
- रुद्रावताराय: जो रुद्र (शिव) के अवतार हैं।
- भक्तजनमनः कल्पनाकल्पद्रुमायं: जो भक्तों की इच्छाओं को पूर्ण करने वाले कल्पवृक्ष हैं।
- दुष्टमनोरथस्तंभनाय: जो दुष्टों की इच्छाओं को नष्ट करने वाले हैं।
- प्रभंजनप्राणप्रियाय: जो प्रभंजन (वायु) के प्रिय पुत्र हैं।
- महाबलपराक्रमाय: जिनकी महाबली और पराक्रमी हैं।
- महाविपत्तिनिवारणाय: जो महाविपत्तियों का निवारण करते हैं।
- पुत्रपौत्रधनधान्यादिविधिसम्पत्प्रदाय: जो पुत्र, पौत्र, धन, धान्य और सभी प्रकार की समृद्धि प्रदान करते हैं।
- रामदूताय: जो भगवान राम के दूत हैं।
- स्वाहा: इस शब्द का उपयोग मंत्र की पूर्णता के लिए किया जाता है।
यह मंत्र धन, संतान, और समृद्धि की प्राप्ति के लिए हनुमान जी की स्तुति करता है, जिसमें उनकी शक्ति और विपत्तियों को दूर करने की क्षमता की प्रशंसा की जाती है।
- रक्षा हेतु मंत्र:
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय वज्रदेहाय वज्रनखाय वज्रमुखाय वज्ररोम्णे वज्रदन्ताय वज्रकराय वज्रभक्ताय रामदूताय स्वाहा।
अर्थ सहित व्याख्या:
- ऊँ नमो हनुमते: हनुमान जी को नमस्कार है।
- रुद्रावताराय: जो रुद्र (शिव) के अवतार हैं।
- वज्रदेहाय: जिनका शरीर वज्र के समान कठोर है।
- वज्रनखाय: जिनके नाखून वज्र के समान कठोर हैं।
- वज्रमुखाय: जिनका मुख वज्र के समान है।
- वज्ररोम्णे: जिनके बाल वज्र के समान हैं।
- वज्रदन्ताय: जिनके दांत वज्र के समान हैं।
- वज्रकराय: जिनके हाथ वज्र के समान हैं।
- वज्रभक्ताय: जो वज्र की भांति भक्तों की रक्षा करते हैं।
- रामदूताय: जो भगवान राम के दूत हैं।
- स्वाहा: इस शब्द का उपयोग मंत्र की पूर्णता के लिए किया जाता है।
यह मंत्र रक्षा के लिए हनुमान जी की स्तुति करता है, जिसमें उनकी वज्र जैसी कठोरता और सुरक्षा प्रदान करने की क्षमता की प्रशंसा की जाती है।
- रोग–व्याधि और भय दूर करने हेतु मंत्र:
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय परयन्त्रतन्त्रत्राटकनाशकाय सर्वज्वरच्छेदकाय सर्वव्याधिनिकृन्तकाय सर्वभयप्रशमनाय सर्वदुष्टमुखस्तंभनाय सर्वकार्यसिद्धिप्रदाय रामदूताय स्वाहा।
अर्थ सहित व्याख्या:
- ऊँ नमो हनुमते: हनुमान जी को नमस्कार है।
- रुद्रावताराय: जो रुद्र (शिव) के अवतार हैं।
- परयन्त्रतन्त्रत्राटकनाशकाय: जो परायंत्र, तंत्र, और त्राटक को नष्ट करते हैं।
- सर्वज्वरच्छेदकाय: जो सभी प्रकार के ज्वर (बुखार) को नष्ट करते हैं।
- सर्वव्याधिनिकृन्तकाय: जो सभी रोगों को काटने वाले हैं।
- सर्वभयप्रशमनाय: जो सभी प्रकार के भय को शांत करते हैं।
- सर्वदुष्टमुखस्तंभनाय: जो सभी दुष्टों के मुख को बंद करते हैं।
- सर्वकार्यसिद्धिप्रदाय: जो सभी कार्यों की सिद्धि प्रदान करते हैं।
- रामदूताय: जो भगवान राम के दूत हैं।
- स्वाहा: इस शब्द का उपयोग मंत्र की पूर्णता के लिए किया जाता है।
यह मंत्र रोग, भय और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए हनुमान जी की स्तुति करता है।
- शत्रु नाशक अचूक मंत्र:
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय पच्चवदनाय पूर्वमुखे सकलशत्रुसंहारकाय रामदूताय स्वाहा।
अर्थ सहित व्याख्या:
- ऊँ नमो हनुमते: हनुमान जी को नमस्कार है।
- रुद्रावताराय: जो रुद्र (शिव) के अवतार हैं।
- पच्चवदनाय: जो पांच मुख वाले हैं।
- पूर्वमुखे सकलशत्रुसंहारकाय: जो पूर्व दिशा में सभी शत्रुओं का संहार करते हैं।
- रामदूताय: जो भगवान राम के दूत हैं।
- स्वाहा: इस शब्द का उपयोग मंत्र की पूर्णता के लिए किया जाता है।
यह मंत्र शत्रुओं का संहार करने के लिए हनुमान जी की स्तुति करता है, विशेषकर पांच मुख वाले हनुमान जी की।
- सिद्धि पूर्ण हेतु मंत्र:
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय पच्चवदनाय पश्चिममुखे गरुडाय सकलविघ्ननिवारणाय रामदूताय स्वाहा।
अर्थ सहित व्याख्या:
- ऊँ नमो हनुमते: हनुमान जी को नमस्कार है।
- रुद्रावताराय: जो रुद्र (शिव) के अवतार हैं।
- पच्चवदनाय: जो पांच मुख वाले हैं।
- पश्चिममुखे गरुडाय: जो पश्चिम दिशा में गरुड़ रूप में हैं।
- सकलविघ्ननिवारणाय: जो सभी विघ्नों का निवारण करते हैं।
- रामदूताय: जो भगवान राम के दूत हैं।
- स्वाहा: इस शब्द का उपयोग मंत्र की पूर्णता के लिए किया जाता है।
यह मंत्र सभी कार्यों की सिद्धि और विघ्नों के निवारण के लिए हनुमान जी की स्तुति करता है, विशेषकर गरुड़ रूप वाले हनुमान जी की।
- नकारात्मक शक्ति दूर करने हेतु मंत्र:
ॐ हं हनुमत्ये नमो नमः श्री हनुमत्ये नमो नमः जय जय हनुमत्ये नमो नमः श्री राम दुताय नमो नमः
अर्थ सहित व्याख्या:
- ॐ हं हनुमत्ये नमो नमः: हनुमान जी को नमस्कार है, हं बीज मंत्र के साथ।
- श्री हनुमत्ये नमो नमः: हनुमान जी को नमस्कार है।
- जय जय हनुमत्ये नमो नमः: हनुमान जी को बार-बार नमस्कार है।
- श्री राम दुताय नमो नमः: भगवान राम के दूत हनुमान जी को नमस्कार है।
यह मंत्र नकारात्मक शक्तियों को दूर करने के लिए हनुमान जी की स्तुति करता है, जिसमें उनके नाम का बार-बार उच्चारण किया जाता है ताकि जीवन में शांति और सुख की स्थापना हो सके।
इन मंत्रों का जाप करने से जीवन में उपस्थित सभी प्रकार के संकट दूर हो जाते हैं और शांति और सुख की स्थापना होती है।
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बहुत अच्छी जानकारी आप दे रहे है धन्यवाद