Baglamukhi Mata -बगलामुखी माता

बगलामुखी देवी हिन्दू धर्म में दश महाविद्याओं में से एक हैं और शक्ति की देवी मानी जाती हैं। उन्हें विजय, अधिकार, और शत्रु पर विजय प्राप्त करने की देवी के रूप में पूजा जाता है। देवी बगलामुखी की उपासना से साधक को जीवन में आने वाली विभिन्न बाधाओं, विपत्तियों और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। वे साधकों को न्याय और सत्य की राह पर विजयी बनाने की शक्ति प्रदान करती हैं।

Baglamukhi Mata ki kahani

देवी बगलामुखी की कहानी पुराणों और शास्त्रों में वर्णित है। एक कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्मांड में एक भयंकर तूफान आया, जिससे सृष्टि के विनाश का भय पैदा हो गया। इस समस्या को हल करने के लिए, देवताओं ने सृष्टि की रक्षा के लिए ब्रह्मा जी की आराधना की। ब्रह्मा जी ने तब एक तेजोमयी शक्ति का सृजन किया, जो देवी बगलामुखी के रूप में प्रकट हुई। लोक कथाओं के अनुसार मां बगलामुखी की उत्पत्ति की मुख्यतः  दो प्रकार की कथाएं बताई जाती हैं

प्रथम कथा

सतयुग में, जब एक भयंकर तूफान ने संपूर्ण विश्व को नष्ट करने का खतरा उत्पन्न किया, तब भगवान नारायण ने शिव की सलाह पर शक्ति की उपासना की। उनकी कठोर तपस्या से पीत सरोवर में महात्रिपुर सुंदरी के तेज से पीतांबरा देवी का आविर्भाव हुआ।

दूसरी कथा

एक अन्य कथा के अनुसार, महाप्रलय के समय आए तूफान को रोकने के लिए भगवान शंकर के तीसरे नेत्र से बगलामुखी परा शक्ति का अवतरण हुआ। उनके आविर्भाव के समय विशेष ज्योतिषीय संयोग था, जिसे वीर रात्रि कहा जाता है।

माँ बगलामुखी की आराधना में पीला रंग, पीले फूल, नारियल, और हल्दी का विशेष महत्व है। उनकी पूजा शत्रुओं पर विजय, न्यायिक मामलों में सफलता, और जीवन की बाधाओं को दूर करने के लिए की जाती है। उनके मंत्रों का जाप, यंत्र, और तंत्र के माध्यम से सिद्धि प्राप्ति की जा सकती है। माँ बगलामुखी की उपासना से साधकों को न केवल भौतिक, बल्कि आध्यात्मिक लाभ भी होते हैं। उनकी शक्ति अन्याय, अधर्म, और पाप के विरुद्ध है, और वे अपने भक्तों को सदैव संरक्षण प्रदान करती हैं।

देवी बगलामुखी का स्वरूप पीले रंग के वस्त्रों में दर्शाया जाता है, और उन्हें पीले फूल, हल्दी, और सोने की पूजा सामग्री अत्यंत प्रिय है। उनकी पूजा-अर्चना में ये सभी सामग्री विशेष रूप से उपयोग की जाती है।

Baglamukhi mantra

मंत्र का अर्थ: इस मंत्र का अर्थ है कि साधक देवी बगलामुखी से प्रार्थना करता है कि वे उसे उसके शत्रुओं के वाणी, मुख, पैरों को स्तम्भित करने, उनकी जिह्वा को बाँधने और उनकी बुद्धि को नष्ट करने की शक्ति प्रदान करें। यह मंत्र शत्रुओं पर विजय पाने और उनके नकारात्मक प्रभावों से रक्षा करने के लिए जपा जाता है।

इस मंत्र के माध्यम से, साधक देवी बगलामुखी से प्रार्थना करता है कि वह सभी दुष्टों (शत्रुओं) के वाणी, मुख, पैरों को स्तंभित कर दें, उनकी जिव्हा को बंधन में डाल दें और उनकी बुद्धि को नष्ट कर दें, ताकि वे साधक को कोई हानि न पहुँचा सकें।

मंत्र का उपयोग:

  • यह मंत्र शत्रुओं से रक्षा करने, उन्हें पराजित करने और जीवन में आई विभिन्न बाधाओं को दूर करने के लिए जपा जाता है।
  • यह मंत्र विशेष रूप से कठिन समय और परीक्षा के दौरान उपयोगी होता है, जब व्यक्ति को अपने शत्रुओं या प्रतिस्पर्धियों से अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

सावधानी:

  • इस मंत्र का उपयोग करते समय उचित विधि और सावधानी बरतनी चाहिए। इसका उपयोग केवल धार्मिक और नैतिक उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए।
  • मंत्र का जप करते समय एक शुद्ध और सकारात्मक मन से करें, न कि किसी को हानि पहुंचाने के इरादे से।
  • इस मंत्र के जप के लिए उचित दीक्षा और मार्गदर्शन प्राप्त करना उचित होता है, ताकि इसके पूर्ण लाभ और शक्ति को समझा जा सके।

बगलामुखी माता की पूजा के फायदे

बगलामुखी पूजा हिंदू धर्म में देवी बगलामुखी की आराधना का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसे शक्ति, विजय और प्रतिपक्षी के विनाश की देवी माना जाता है। इस पूजा का अभ्यास विभिन्न प्रकार के लाभ प्रदान करता है, जो इस प्रकार हैं:

  • शत्रुओं पर विजय: बगलामुखी पूजा साधक को उनके शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने की शक्ति प्रदान करती है। यह वैयक्तिक या पेशेवर जीवन में उत्पन्न होने वाली प्रतिकूल स्थितियों और शत्रुतापूर्ण प्रवृत्तियों को दूर करने में सहायक होती है।
  • बाधाओं का निवारण: जीवन में आने वाली विभिन्न बाधाओं और रुकावटों को दूर करने में बगलामुखी पूजा बहुत प्रभावी है। यह साधक को उनके मार्ग में आने वाली चुनौतियों से मुक्ति दिलाती है।
  • न्यायिक मामलों में सफलता: यदि कोई व्यक्ति न्यायिक प्रक्रिया में फंसा हो और उसे न्याय की आशा हो, तो बगलामुखी पूजा उसे उस मामले में विजयी बना सकती है।
  • मानसिक शांति: इस पूजा के अभ्यास से मानसिक तनाव, चिंता, और भय कम होता है, जिससे साधक को मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  • नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा: बगलामुखी पूजा नकारात्मक ऊर्जा और दुर्भावनाओं से साधक की रक्षा करती है, जिससे व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है।
  • वाणी की शक्ति: देवी बगलामुखी को वाणी की शक्ति और संचार कौशल में सुधार की देवी माना जाता है। इस पूजा से साधक की वाणी में प्रभावशीलता और स्पष्टता आती है।
  • आत्म-संरक्षण: यह पूजा व्यक्तिगत सुरक्षा और आत्म-संरक्षण की भावना को मजबूत करती है, जिससे साधक विभिन्न प्रकार की अदृश्य शक्तियों से रक्षित रहता है।
  • सफलता और समृद्धि: इस पूजा के नियमित अभ्यास से व्यक्ति के जीवन में सफलता और समृद्धि के द्वार खुलते हैं।

बगलामुखी पूजा के ये लाभ साधक के जीवन में एक सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं, लेकिन इसका अभ्यास सही विधि, विधान और पूर्ण श्रद्धा के साथ किया जाना चाहिए।

देवी बगलामुखी की उपासना और साधना

देवी बगलामुखी की साधना में विशेष विधि और मंत्रों का जाप किया जाता है। उनकी पूजा में पीले रंग का बहुत महत्व होता है, जो ज्ञान, पवित्रता और सकारात्मकता का प्रतीक है। पीले फूल, पीले वस्त्र, हल्दी और चने की दाल जैसी पूजा सामग्री का उपयोग करके देवी की आराधना की जाती है।

देवी बगलामुखी के आध्यात्मिक महत्व

देवी बगलामुखी की उपासना से साधक को न केवल भौतिक लाभ मिलते हैं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति भी होती है। उनकी साधना से साधक का मन शांत होता है, आत्मविश्वास बढ़ता है, और जीवन की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति मिलती है। देवी बगलामुखी की कृपा से साधक के जीवन से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

यह भी पढ़ें –माँ बगलामुखी अष्टोत्तर-शतनाम-स्तोत्रम् (Maa Baglamukhi Ashtottara Shatnam Stotram)

बगलामुखी माता कौन हैं?

बगलामुखी माता हिन्दू धर्म में दस महाविद्याओं में से एक हैं और शक्ति की देवी मानी जाती हैं। उन्हें विजय, अधिकार, और शत्रु पर विजय प्राप्त करने की देवी के रूप में पूजा जाता है। देवी बगलामुखी की उपासना से साधक को जीवन में आने वाली विभिन्न बाधाओं, विपत्तियों और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है, और वे साधकों को न्याय और सत्य की राह पर विजयी बनाने की शक्ति प्रदान करती हैं।

बगलामुखी माता की उत्पत्ति की कहानी क्या है?

बगलामुखी माता की उत्पत्ति की दो मुख्य कहानियाँ हैं:
प्रथम कथा: सतयुग में, जब एक भयंकर तूफान ने संपूर्ण विश्व को नष्ट करने का खतरा उत्पन्न किया, तब भगवान नारायण ने शिव की सलाह पर शक्ति की उपासना की। उनकी कठोर तपस्या से पीत सरोवर में महात्रिपुर सुंदरी के तेज से पीतांबरा देवी का आविर्भाव हुआ।
दूसरी कथा: एक अन्य कथा के अनुसार, महाप्रलय के समय आए तूफान को रोकने के लिए भगवान शंकर के तीसरे नेत्र से बगलामुखी परा शक्ति का अवतरण हुआ। उनके आविर्भाव के समय विशेष ज्योतिषीय संयोग था, जिसे वीर रात्रि कहा जाता है।

बगलामुखी माता की पूजा में कौन-कौन सी वस्तुएँ उपयोग की जाती हैं?

बगलामुखी माता की पूजा में पीले रंग का बहुत महत्व होता है, जो ज्ञान, पवित्रता और सकारात्मकता का प्रतीक है। महत्वपूर्ण वस्तुएँ हैं:
पीले फूल
पीले वस्त्र
हल्दी
नारियल
ये वस्तुएँ उनकी पूजा में विशेष महत्व रखती हैं।

बगलामुखी मंत्र क्या है और इसका अर्थ क्या है?

ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा।
इस मंत्र का अर्थ है कि साधक देवी बगलामुखी से प्रार्थना करता है कि वे उसे उसके शत्रुओं के वाणी, मुख, पैरों को स्तम्भित करने, उनकी जिह्वा को बाँधने और उनकी बुद्धि को नष्ट करने की शक्ति प्रदान करें।

बगलामुखी मंत्र का उपयोग कैसे किया जाना चाहिए?

बगलामुखी मंत्र का जप एक शुद्ध और सकारात्मक मन से करना चाहिए, और इसका उपयोग केवल धार्मिक और नैतिक उद्देश्यों के लिए करना चाहिए। इसके लिए उचित दीक्षा और मार्गदर्शन प्राप्त करना उचित होता है ताकि इसके पूर्ण लाभ और शक्ति को समझा जा सके।

बगलामुखी माता की पूजा के क्या लाभ हैं?

बगलामुखी माता की पूजा से कई लाभ होते हैं:
शत्रुओं पर विजय
बाधाओं का निवारण
न्यायिक मामलों में सफलता
मानसिक शांति
नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा
वाणी की शक्ति में सुधार
आत्म-संरक्षण
सफलता और समृद्धि
ये लाभ साधक के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं, जब पूजा सही विधि और पूर्ण श्रद्धा के साथ की जाती है।

बगलामुखी माता की पूजा का आध्यात्मिक महत्व क्या है?

बगलामुखी माता की पूजा से न केवल भौतिक लाभ मिलते हैं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति भी होती है। उनकी साधना से साधक का मन शांत होता है, आत्मविश्वास बढ़ता है, और जीवन की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति मिलती है। उनकी कृपा से साधक के जीवन से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।





1 thought on “Baglamukhi Mata -बगलामुखी माता”

Leave a comment