श्री राम शलाका प्रश्नावली – Shri Ram Shalaka Prashnawali
Shri Ram Shalaka प्रश्नावली जिसका आपको अगर ज्ञान हो जाए जानकारी हो जाए तो आपको बार-बार ज्योतिषी और पंडितों के पास भागना नहीं पड़ेगा और आपके जीवन में आने वाली जो छोटी-छोटी समस्याएं हैं, उनका समाधान, उनके उत्तर, उनका, उनके बारे में भविष्य में क्या होने जा रहा है, यह आप अपने घर बैठे ही अपने कैलकुलेशन से जान सकेंगे। इसके लिए आपको आवश्यकता पड़ेगी रामचरितमानस की।
जब कभी भी आप किसी दुविधा में हों तो इस प्रश्नावली का प्रयोग अपनी दुविधा को दूर करने के लिए कर सकते हैं।
आपको बता दूं कि जब से रामचरितमानस का प्रचार-प्रसार हुआ, आज से 400-500 साल पहले से ही भारत में रामशाला प्रश्नावली को लोग जानते हैं, उसका प्रयोग करते हैं। और पुरानी परंपरा के हिसाब से तो सिस्टम यह था कि लोग किसी साधु के पास, सन्यासी के पास, संत के पास, जो थोड़ा सा स्पिरिचुअल ब्लेस्ड होता था, आध्यात्मिक व्यक्ति होता था, या परिवार का गुरु होता था, उनके पास जाते थे, अपनी समस्या बताते थे और गुरु जी जो है रामशाला प्रश्नावली से ही कैलकुलेट करके आपके प्रश्न का उत्तर दे देते थे। रामचरितमानस के श्री तुलसीदास जी ने इतनी बढ़िया व्यवस्था दी है कि इसमें मात्र और मात्र 9 चौपाइयां बनती हैं।
आपके प्रश्न का सभी उत्तर शाला प्रश्नावली में है। वह कैसे कैलकुलेट करना?
दोस्तों, श्री रामचरितमानस के सभी प्रेमियों ने श्री राम शलाका प्रश्नावली का नाम तो जरूर सुना होगा। वैसे तो इसकी महत्ता से आप सभी मानस प्रेमी परिचित होंगे ही। फिर भी मैं आपको बता दूं कि श्री रामशाला प्रश्नावली परम श्रद्धेय गुरुदेव गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित श्री रामचरितमानस पर आधारित है।
इस रामशाला प्रश्नावली के अनुसार, जब भी आपके मन में किसी प्रश्न का उत्तर जानने की इच्छा हो, सबसे पहले आपको करना क्या होता है? उसके कुछ नियम हैं, जिसका आपको ध्यान रखना चाहिए।
नियम पहला नियम तो यह कि आप साफ-सुथरे हों, नहाए-धोए हुए हों, स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
यानी स्नान के बाद, पूजा के बाद, आपका मन, मस्तिष्क सब कुछ जो है, वह ईश्वर में ध्यान लगाया हुआ हो। शुद्ध और पवित्र भाव से ही आप इसे स्पर्श करें और इसे कैलकुलेट करें। इसे आप प्रश्न पूछें। नॉनवेज खाकर, ड्रिंक करके, या और भी अनैतिक काम करके, दिनभर के काम किया होने के बाद आप तुरंत आकर के पुस्तक उठा करके इस पुस्तक का ऐसे स्पर्श भी पाप है, दोष देता है। क्योंकि यह अपने आप में बहुत पवित्र चीज है। तो इस तरीके के धार्मिक ग्रंथ को कभी भी आप ऐसे स्पर्श नहीं करें। और जब भी आपको कोई भी प्रश्न उठाने, उसको प्रश्न उठाने कहते हैं। कोई भी आपके प्रश्न उठाने हो तो आप साफ-सुथरे होकर इसका इसमें लिखा हुआ है। इसमें पूरा दिशा-निर्देश दिया गया है कि आपको कैसे इससे प्रश्न पूछना है।**
तो सर्वप्रथम आपको प्रभु श्री रामचंद्र जी का ध्यान पूर्वक स्मरण करके, श्रद्धा और विश्वासपूर्वक मन से अभीष्ट प्रश्न को सोचते हुए किसी भी कोष्टक पर उंगली रख देनी है। उस अक्षर से हर ninth अक्षर को मिलाकर एक चौपाई बन जाती है। उस चौपाई का भावार्थ उसी के साथ लिखा होता है, जो आपके अभीष्ट प्रश्न का उत्तर है।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आपके मन में यह प्रश्न है कि “मेरा भविष्य कैसा होगा?” और आप नौंवे कोष्ठक पर ऊँगली रख देते हैं
तो आप रामचरितमानस के नौंवे कोष्ठक से शुरू करके, हर ninth अक्षर को मिलाकर एक चौपाई बनाएंगे। नौंवे कोष्ठक का अक्षर है “सु”। फिर नौवें अक्षर पर “फ”, फिर अट्ठारहवें अक्षर पर “ल”, फिर इक्कीसवें अक्षर पर “ल”। इस तरह से चौपाई बन जाएगी “सुफल्ल मनोरथ होहुँ तुम्हारे”। तो इस प्रकार से हर नवे अक्षर को जोड़ने के बाद बनने वाली रामचरितमानस की चौपाई आपके द्वारा पूछे गए प्रश्न का अभीष्ट उत्तर मिल जायेगा। आपको नीचे दिए गए चौपाइयों में से बड़ी ही आसानी से यह पता लगा सकते हैं कि आपके द्वारा पूछे गए प्रश्न का क्या उत्तर होगा, क्या कार्य मेरा सिद्ध होगा या नहीं ?
इस श्री राम शलाका में कुल 9 चौपाई है। जिसके आधार पर हमें उनसे अपने प्रश्न का उत्तर प्राप्त होता है।
1- सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी।
यह चौपाई बालकाण्ड में श्रीसीताजी के गौरीपूजन के प्रसंग में है। गौरीजी ने श्रीसीताजी को आशीर्वाद दिया है।
फलः– प्रश्नकर्त्ता का प्रश्न उत्तम है, कार्य सिद्ध होगा।
2- प्रबिसि नगर कीजै सब काजा। हृदय राखि कोसलपुर राजा।
यह चौपाई सुन्दरकाण्ड में हनुमानजी के लंका में प्रवेश करने के समय की है।
फलः–भगवान् का स्मरण करके कार्यारम्भ करो, सफलता मिलेगी।
3- उघरें अंत न होइ निबाहू। कालनेमि जिमि रावन राहू।।
यह चौपाई बालकाण्ड के आरम्भ में सत्संग-वर्णन के प्रसंग में है।
फलः–इस कार्य में भलाई नहीं है। कार्य की सफलता में सन्देह है।
4- बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं। फनि मनि सम निज गुन अनुसरहीं।।
यह चौपाई बालकाण्ड के आरम्भ में सत्संग-वर्णन के प्रसंग में है।
फलः–खोटे मनुष्यों का संग छोड़ दो। कार्य की सफलता में सन्देह है।
5- होइ है सोई जो राम रचि राखा। को करि तरक बढ़ावहिं साषा।।
यह चौपाई बालकाण्डान्तर्गत शिव और पार्वती के संवाद में है।
फलः–कार्य होने में सन्देह है, अतः उसे भगवान् पर छोड़ देना श्रेयष्कर है।
6- मुद मंगलमय संत समाजू। जिमि जग जंगम तीरथ राजू।।
यह चौपाई बालकाण्ड में संत-समाजरुपी तीर्थ के वर्णन में है।
फलः–प्रश्न उत्तम है। कार्य सिद्ध होगा।
7- गरल सुधा रिपु करय मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई।।
यह चौपाई श्रीहनुमान् जी के लंका प्रवेश करने के समय की है।
फलः–प्रश्न बहुत श्रेष्ठ है। कार्य सफल होगा।
8- बरुन कुबेर सुरेस समीरा। रन सनमुख धरि काह न धीरा।।
यह चौपाई लंकाकाण्ड में रावन की मृत्यु के पश्चात् मन्दोदरी के विलाप के प्रसंग में है।
फलः–कार्य पूर्ण होने में सन्देह है।
9- सुफल मनोरथ होहुँ तुम्हारे। राम लखनु सुनि भए सुखारे।।
यह चौपाई बालकाण्ड पुष्पवाटिका से पुष्प लाने पर विश्वामित्रजी का आशीर्वाद है।
फलः–प्रश्न बहुत उत्तम है। कार्य सिद्ध होगा
श्री राम शलाका (Shri Ram Shalaka) प्रश्नावली कैसे काम करती है?
श्री राम शलाका (Shri Ram Shalaka) प्रश्नावली एक ऐसी विधि है जो रामचरितमानस की चौपाइयों का उपयोग करके भविष्यवाणी करने के लिए उपयोग की जाती है। इस विधि के अनुसार, प्रत्येक चौपाई का एक विशिष्ट अर्थ होता है। जब कोई व्यक्ति अपने प्रश्न को सोचता है और रामचरितमानस की चौथी चौपाई से शुरू करके, हर नौवें अक्षर को मिलाकर एक चौपाई बनाता है, तो बनने वाली चौपाई के आधार पर व्यक्ति को अपने प्रश्न का उत्तर मिल जाता है।
श्री राम शलाका (Shri Ram Shalaka) प्रश्नावली का उपयोग करने के लिए क्या नियम हैं?
श्री राम शलाका (Shri Ram Shalaka) प्रश्नावली का उपयोग करने के लिए कुछ नियम हैं। इन नियमों का पालन करने से व्यक्ति को अधिक सटीक परिणाम प्राप्त करने में मदद मिल सकती है। इन नियमों में शामिल हैं:
· व्यक्ति को पहले भगवान राम का ध्यान करना चाहिए और फिर अपने प्रश्न को सोचना चाहिए।
· व्यक्ति को अपने प्रश्न को साफ और स्पष्ट रूप से सोचना चाहिए।
· व्यक्ति को अपने प्रश्न को एक बार में पूछना चाहिए।
· व्यक्ति को रामचरितमानस की चौथी चौपाई से शुरू करके, हर नौवें अक्षर को मिलाकर एक चौपाई बनानी चाहिए।
श्री राम शलाका (Shri Ram Shalaka) प्रश्नावणी का उपयोग करके भविष्यवाणी कैसे करें?
श्री राम शलाका (Shri Ram Shalaka) प्रश्नावली का उपयोग करके भविष्यवाणी करने के लिए, निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
1. भगवान राम का ध्यान करें और अपने प्रश्न को सोचें।
2. रामचरितमानस की चौथी चौपाई से शुरू करके, हर नौवें अक्षर को मिलाकर एक चौपाई बनाएं।
3. बनने वाली चौपाई के भावार्थ को देखें।
बनने वाली चौपाई के भावार्थ के आधार पर, आप अपने प्रश्न का उत्तर प्राप्त कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपका प्रश्न “मेरा भविष्य कैसा होगा?” है, और बनने वाली चौपाई “सुफल मनोरथ होहुँ तुम्हारे” है, तो इसका अर्थ है कि आपका प्रश्न उत्तम है, और आपका कार्य सिद्ध होगा।
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