Chatushloki Bhagwat- चतुश्लोकी भागवत अर्थ सहित

Chatushloki Bhagwat

“चतुःश्लोकी भागवत” अहमेवासमेवाग्रे नान्यद यत् सदसत परम। पश्चादहं यदेतच्च योऽवशिष्येत सोऽस्म्यहम।। ऋतेऽर्थ यत् प्रतीयेत न प्रतीयेत चात्मनि। तद्विद्यादात्मनो माया यथाऽऽभासो यथा तमः।। यथा महान्ति भूतानि भूतेषुच्चावचेष्वनु। प्रविष्टान्यप्रविष्टानि तथा तेषु न तेषवहम।। एतावदेव जिज्ञास्यं त्वजिज्ञासुनाऽऽत्मनः। अन्वयव्यतिरेकाभ्यां यत् स्यात् सर्वत्र सर्वदा।। “चतुःश्लोकी भागवत” पुराण के माध्यम से ब्रह्माजी को भगवान नारायण ने सम्पूर्ण भागवत-तत्व का उपदेश दिया … Read more

काल भैरव अष्टक

Kaal Bhairav Ashtak

||काल भैरव अष्टक || देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ १॥ भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ २॥ शूलटंकपाशदण्डपाणिमादिकारणं श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ३॥ भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् ।विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥ ४॥ धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशनं कर्मपाशमोचकं सुशर्मधायकं विभुम् ।स्वर्णवर्णशेषपाशशोभितांगमण्डलं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ५॥ रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् … Read more

श्रीमद् भगवद्गीता- यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत

Yada yada hi dharmasya

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।। श्रीमद्भगवद्गीता, हिन्दू धर्म के महाकाव्य महाभारत का एक हिस्सा है, जो भारतीय संस्कृति और दर्शन के सबसे प्रमुख ग्रंथों में से एक माना जाता है। इसमें 18 अध्याय और कुल 700 श्लोक हैं। श्रीमद्भगवद्गीता में, भगवान कृष्ण और अर्जुन के बीच कुरुक्षेत्र के युद्धभूमि पर हुई … Read more

अमोघ शिव कवच

Amogh Shiv Kavach

अमोघ शिव कवच हिन्दू धर्म में एक आध्यात्मिक और शक्तिशाली सुरक्षात्मक स्तोत्र है, जो भगवान शिव की अद्भुत शक्तियों को समर्पित है। इसे उन भक्तों द्वारा पढ़ा जाता है जो जीवन में आने वाली विभिन्न समस्याओं और बाधाओं से सुरक्षा और मुक्ति पाने की इच्छा रखते हैं। अमोघ शिव कवच का अर्थ है वह कवच … Read more

समुद्र मंथन: एक अद्भुत कथा, जहां से प्रकट हुए 14 रत्न, जानिए कहानी, स्थान, और इसके पीछे का रहस्य

समुद्र मंथन कथा समुद्र मंथन की कथा हिन्दू पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण और रोचक घटना है, जो भगवान विष्णु, देवताओं और असुरों के बीच सहयोग और संघर्ष को दर्शाती है। यह कथा मुख्य रूप से ‘भागवत पुराण’, ‘विष्णु पुराण’, और ‘महाभारत’ में वर्णित है। कथा के अनुसार, देवता और असुर दोनों ही अमृत प्राप्त … Read more

श्री बगलामुखी स्तुति

श्री बगलामुखी स्तुति एक आध्यात्मिक प्रार्थना है जो देवी बगलामुखी, एक हिन्दू तंत्र देवता के सम्मान में की जाती है। देवी बगलामुखी को शक्ति, विजय, और स्तम्भन (दूसरों को निर्बल बनाने की शक्ति) की देवी माना जाता है। वे अक्सर पीत वस्त्र धारण किए हुए और एक स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान दिखाई देती हैं, जिनके … Read more

स्वस्तिवाचन मंत्र, स्वस्ति वाचन मंत्र- अर्थ और उसकी ब्याख्या

Swastivachan Mantra

संपूर्ण स्वस्तिवाचन मंत्र हिन्दू धर्म में एक पवित्र और शुभारंभ मंत्र है जिसे विवाह, पूजा, यज्ञ और अन्य शुभ कार्यों के प्रारंभ में उच्चारित किया जाता है। यह मंत्र भगवान गणेश, देवी सरस्वती, और अन्य देवताओं को समर्पित होता है और उनसे आशीर्वाद और सफलता की प्रार्थना करता है। स्वस्तिवाचन में कई मंत्र शामिल हो … Read more

मां जगदंबा शाबर साधना मंत्र

Maa Jagdamba Shabar Sadhana Mantra

“मां जगदंबा शाबर साधना मंत्र” हिन्दू धर्म में देवी जगदंबा, जिन्हें दुर्गा, काली, लक्ष्मी, सरस्वती आदि विभिन्न रूपों में पूजा जाता है, की साधना के लिए एक विशेष प्रकार का मंत्र हो सकता है। शाबर मंत्र एक विशेष प्रकार के मंत्र होते हैं जो सीधे और सरल भाषा में लिखे जाते हैं और इनका उद्देश्य … Read more

Yen badho bali raja -येन बद्धो बली राजा

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वाम् अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥ यह मंत्र “येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वाम् अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥” हिन्दू धर्म में एक बहुत ही प्रसिद्ध और शक्तिशाली मंत्र है, जो रक्षा बंधन या अन्य सुरक्षात्मक अनुष्ठानों में उपयोग किया जाता है। इस मंत्र … Read more

धर्मो रक्षति रक्षितः

“धर्मो रक्षति रक्षितः” एक संस्कृत श्लोक है जिसका अर्थ है “धर्म की रक्षा करने वाला व्यक्ति स्वयं धर्म द्वारा रक्षित होता है।” यह श्लोक महाभारत के शांति पर्व से लिया गया है और इसका उपदेश यह है कि जो व्यक्ति धर्म के मार्ग पर चलता है और धर्म की रक्षा करता है, वह स्वयं भी … Read more