वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का सही निर्माण

वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो घर के निर्माण और उसकी दिशाओं के संतुलन को समझने में मदद करता है। सही वास्तु के अनुसार घर बनाने से उसमें रहने वाले लोगों को सुख, समृद्धि, और शांति मिलती है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का निर्माण कैसे करना चाहिए।

मुख्य द्वार

मुख्य द्वार का स्थान सबसे महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह घर में ऊर्जा के प्रवेश का मुख्य द्वार होता है।

दिशा: मुख्य द्वार को उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में रखना सबसे अच्छा माना जाता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।

मुख्य द्वार का आकार: मुख्य द्वार का आकार बड़ा और सुन्दर होना चाहिए। दरवाजे को अंदर की ओर खुलना चाहिए ताकि सकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश कर सके।

ड्राइंग रूम

ड्राइंग रूम वह स्थान होता है जहां परिवार के सदस्य और अतिथि बैठते हैं।

दिशा: ड्राइंग रूम को उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में रखना सबसे अच्छा होता है। इससे कमरे में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

वस्त्र और सजावट: हल्के रंगों का प्रयोग करें और कमरे में खुलापन बनाए रखें। यह सकारात्मकता और खुशहाली को बढ़ाता है।

बेडरूम

बेडरूम का सही स्थान और दिशा भी बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि यह व्यक्ति के आराम और मानसिक शांति को प्रभावित करता है।

दिशा: मास्टर बेडरूम को दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना सबसे अच्छा माना जाता है। अन्य बेडरूम उत्तर या पश्चिम दिशा में रख सकते हैं।

बिस्तर की दिशा: बिस्तर को इस तरह से रखना चाहिए कि सोते समय सिर दक्षिण या पूर्व दिशा की ओर हो।

रसोई

रसोई घर का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे सही दिशा में रखना आवश्यक है।

दिशा: रसोई को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना सबसे अच्छा माना जाता है। अगर यह संभव नहीं हो तो उत्तर-पश्चिम दिशा में भी रसोई बनाई जा सकती है।

गैस स्टोव की दिशा: खाना पकाते समय मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।

पूजा कक्ष

पूजा कक्ष को सही दिशा में बनाना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि घर में आध्यात्मिकता और शांति बनी रहे।

दिशा: पूजा कक्ष को उत्तर-पूर्व दिशा में बनाना सबसे अच्छा होता है। यह दिशा आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाती है।

मूर्ति और तस्वीरें: पूजा कक्ष में भगवान की मूर्तियों और तस्वीरों को उत्तर या पूर्व दिशा की ओर रखना चाहिए।

शौचालय

शौचालय की दिशा और स्थान का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि यह घर की नकारात्मक ऊर्जा को प्रभावित कर सकता है।

दिशा: शौचालय को हमेशा दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए।

साफ-सफाई: शौचालय को हमेशा साफ-सुथरा और स्वच्छ रखें।

अन्य महत्वपूर्ण बातें

सीढ़ियाँ: सीढ़ियाँ दक्षिण या पश्चिम दिशा में होनी चाहिए। सीढ़ियों का चढ़ाव हमेशा दक्षिण से उत्तर या पश्चिम से पूर्व की ओर होना चाहिए।

वेंटिलेशन: घर में अच्छी वेंटिलेशन की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि ताजा हवा और प्रकाश का प्रवेश हो सके।

सजावट: घर में हल्के और सुखद रंगों का प्रयोग करें। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

वास्तु शास्त्र: पूर्व मुखी, उत्तर मुखी, पश्चिम मुखी घर और रसोई की दिशा

वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो भवन निर्माण और दिशाओं के बीच सामंजस्य स्थापित करने में मदद करता है। सही वास्तु दिशा चुनने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, जिससे सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। इस ब्लॉग में हम पूर्व मुखी, उत्तर मुखी, पश्चिम मुखी घरों के वास्तु योजना और रसोई की सही दिशा के बारे में चर्चा करेंगे।

पूर्व मुखी घर का वास्तु योजना

पूर्व दिशा को सूर्य की पहली किरणों का स्वागत करने वाली दिशा माना जाता है। यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि को बढ़ावा देती है।

मुख्य द्वार: मुख्य द्वार को पूर्व दिशा में रखने से घर में शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

ड्राइंग रूम: ड्राइंग रूम को उत्तर-पूर्व दिशा में रखें ताकि सुबह की रोशनी कमरे में प्रवेश कर सके।

बेडरूम: मास्टर बेडरूम को दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना उचित होता है। बच्चों के कमरे को पश्चिम या उत्तर दिशा में रखा जा सकता है।

रसोई: रसोई को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि यह अग्नि तत्व की दिशा है।

उत्तर मुखी घर का वास्तु योजना

उत्तर दिशा को कुबेर की दिशा माना जाता है, जो धन और समृद्धि का प्रतीक है।

मुख्य द्वार: मुख्य द्वार को उत्तर दिशा में रखने से घर में धन और सुख-समृद्धि आती है।

ड्राइंग रूम: ड्राइंग रूम को उत्तर-पूर्व दिशा में रखना सही होता है ताकि पर्याप्त प्राकृतिक रोशनी और वायु संचार हो सके।

बेडरूम: मास्टर बेडरूम को दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना बेहतर होता है। बच्चों के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा का चयन किया जा सकता है।

रसोई: रसोई को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना आदर्श है। यह दिशा अग्नि तत्व की होती है, जो खाना पकाने के लिए सबसे उपयुक्त है।

पश्चिम मुखी घर का वास्तु योजना

पश्चिम दिशा को शक्ति और स्थिरता की दिशा माना जाता है। यह दिशा व्यापार और कैरियर के लिए लाभकारी होती है।

मुख्य द्वार: मुख्य द्वार को पश्चिम दिशा में रखने से घर में शक्ति और स्थिरता आती है।

ड्राइंग रूम: ड्राइंग रूम को उत्तर-पश्चिम दिशा में रखना उत्तम होता है, जिससे सामाजिक संबंध मजबूत होते हैं।

बेडरूम: मास्टर बेडरूम को दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना सही होता है। बच्चों के लिए उत्तर दिशा का चयन किया जा सकता है।

रसोई: रसोई को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना उत्तम है, क्योंकि यह अग्नि तत्व की दिशा है।

रसोई की दिशा वास्तु अनुसार

रसोई घर का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे सही दिशा में रखने से घर में स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहती है।

दिशा: रसोई को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना सबसे उत्तम माना जाता है। अगर यह संभव न हो, तो उत्तर-पश्चिम दिशा में भी रसोई बनाई जा सकती है।

गैस स्टोव की दिशा: खाना पकाते समय मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। इससे खाना बनाते समय सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

सिंक और पानी का स्थान: रसोई में सिंक और पानी के अन्य स्रोतों को उत्तर-पूर्व दिशा में रखना चाहिए। यह जल तत्व की सही दिशा मानी जाती है।

फ्रिज और अन्य विद्युत उपकरण: इन्हें दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना उचित होता है।

वास्तु शास्त्र का सही पालन करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा, सुख-शांति और समृद्धि आती है। उपरोक्त दिशानिर्देशों का पालन कर आप अपने घर को वास्तु अनुसार बना सकते हैं और उसका लाभ उठा सकते हैं।

वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय की सही दिशा

वास्तु शास्त्र में शौचालय की सही दिशा और स्थान का विशेष महत्व होता है, क्योंकि गलत दिशा में शौचालय रखने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हो सकता है। सही दिशा में शौचालय रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचाव होता है। इस ब्लॉग में हम शौचालय की सही दिशा और स्थान के बारे में जानेंगे।

शौचालय की दिशा और स्थान

दिशा: शौचालय को हमेशा दक्षिण-पूर्व (आग्नेय कोण) या उत्तर-पश्चिम (वायव्य कोण) दिशा में बनाना चाहिए। इन दिशाओं में शौचालय रखने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम होता है।

मुख्य द्वार से दूरी: शौचालय का दरवाजा मुख्य द्वार के सामने नहीं होना चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश कर सकती है।

बेडरूम में शौचालय: अगर बेडरूम में शौचालय बना हुआ है, तो यह सुनिश्चित करें कि शौचालय का दरवाजा हमेशा बंद रहे और इसका मुख दक्षिण दिशा की ओर न हो।

किचन के पास शौचालय: शौचालय को किचन के पास नहीं बनाना चाहिए। अगर ऐसा करना अनिवार्य है, तो शौचालय और किचन के बीच में एक अलग दरवाजा या पर्दा लगाएं।

ऊँचाई: शौचालय को घर के किसी ऊँचे स्थान पर नहीं बनाना चाहिए। यह नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।

वेंटिलेशन: शौचालय में उचित वेंटिलेशन की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि नकारात्मक ऊर्जा और दुर्गंध बाहर निकल सके। वेंटिलेशन के लिए खिड़की या एग्जॉस्ट फैन का प्रयोग करें।

शौचालय के अन्य वास्तु उपाय

रंग: शौचालय की दीवारों पर हल्के रंगों का प्रयोग करें, जैसे कि सफेद, हल्का नीला या हल्का हरा। गहरे रंग नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाते हैं।

साफ-सफाई: शौचालय को हमेशा साफ-सुथरा और स्वच्छ रखें। गंदा शौचालय नकारात्मक ऊर्जा और बीमारियों का कारण बन सकता है।

अरोमा: शौचालय में सुगंधित मोमबत्तियाँ या एयर फ्रेशनर का प्रयोग करें। इससे सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और दुर्गंध नहीं आती।

दरवाजा: शौचालय का दरवाजा हमेशा बंद रखें। इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम होता है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का निर्माण और दिशाओं का सही चयन करने से घर में सुख, समृद्धि, और शांति आती है। उपरोक्त दिशानिर्देशों का पालन कर आप अपने घर को वास्तु अनुसार बना सकते हैं और उसका लाभ उठा सकते हैं। सही वास्तु न केवल आपके घर को सुंदर बनाता है, बल्कि आपके जीवन को भी खुशहाल और सफल बनाता है।वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय की सही दिशा और स्थान का पालन करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह कम होता है और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। उपरोक्त दिशानिर्देशों का पालन कर आप अपने घर में शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि बनाए रख सकते हैं। वास्तु शास्त्र का सही पालन करने से न केवल घर में सुख-समृद्धि आती है, बल्कि घर के प्रत्येक सदस्य का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। इसलिए, शौचालय के निर्माण और स्थान के समय इन वास्तु टिप्स का ध्यान रखें।

यह भी पढ़ें – Ghar me Mandir ki disha





Leave a comment