Sudarshan Kriya

सुदर्शन क्रिया एक शक्तिशाली प्राणायाम तकनीक है, जो श्वास और ध्यान के संयोजन से शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करती है। यह क्रिया न केवल मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन प्रदान करती है, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार करती है। आज के समय में, जब हमारी जीवनशैली तनाव, चिंता और अस्थिरता से भरी हुई है, सुदर्शन क्रिया हमें भीतर से पुनर्जीवित करती है और हमें शांति की ओर ले जाती है।

तनाव: समस्या नहीं, इसका संचय समस्या है

अक्सर हम मानते हैं कि तनाव ही समस्या है, लेकिन असल में समस्या तनाव का संचय है। आज कुछ हुआ, फिर तीन दिन पहले कुछ और हुआ, फिर आपके बॉस के साथ कोई झगड़ा हो गया, फिर जाम में फंस गए। यह सभी तनाव एकत्रित होकर हमारे मस्तिष्क में जमा होते रहते हैं।

धीरे-धीरे, यह तनाव हमारे मन-मस्तिष्क को थकान से भर देता है। लेकिन अगर हमारे पास एक फ्लश हो, तो क्या होगा? हम तनाव को एकत्रित होने से रोक सकते हैं, उसे बाहर निकाल सकते हैं। कल्पना कीजिए कि अगर आपका घर का फ्लश 15 दिनों तक काम न करे, तो क्या होगा?

क्या हमारे मन को भी एक ‘लेट-आउट’ की आवश्यकता नहीं है?

जी हाँ, जीवन में हम बार-बार अपनी भावनाओं को दबाते रहते हैं, खासकर नकारात्मक भावनाओं को। क्योंकि हम किसी से बुरा बोलना या व्यवहार करना नहीं चाहते, ताकि हम जेल या मानसिक अस्पताल में न पहुंच जाएं।

जब कोई हमें आहत करता है, तो हम उसी भाषा में उत्तर नहीं दे सकते। उन पलों में हम अपने क्रोध को दबा देते हैं। यह दबाई गई भावनाएं धीरे-धीरे तनाव में बदल जाती हैं, और तनाव हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाने लगता है। यह हमारे चेहरे की मुस्कान, कार्यक्षमता, रचनात्मकता – सब कुछ बर्बाद कर देता है।

सुदर्शन क्रिया: जीवन का प्राकृतिक फ्लश

जब आप सुदर्शन क्रिया का अभ्यास करते हैं, तो आप अपने मन-मस्तिष्क से इन नकारात्मक भावनाओं और तनाव को बाहर निकालते हैं और अपनी मूल अवस्था, जो कि आनंद है, में वापस आ जाते हैं।

लेकिन यह कैसे होता है? सुदर्शन क्रिया श्वास-प्रश्वास की लयबद्ध तकनीकों के माध्यम से की जाती है। श्वास लेना और छोड़ना तो हम सभी जानते हैं, लेकिन इसमें लय का महत्व क्या है?

जीवन में लय का महत्व

संगीत को लय के बिना सोचिए, क्या वह संगीत कहलाएगा? प्रकृति के हर पहलू में एक लय होती है। ऋतुएं आती हैं और जाती हैं, दिन-रात का क्रम चलता रहता है। ग्रह-नक्षत्र एक निश्चित गति से अपने कक्ष में घूमते रहते हैं। हमारा शरीर भी एक लय का पालन करता है; हमें भूख लगती है, नींद आती है, हम काम करते हैं।

उसी प्रकार, हमारे श्वास में भी एक लय होती है। जब यह लय हमारे जीवनशैली और तनाव के कारण बिगड़ जाती है, तो हम स्वाभाविक रूप से खुश महसूस नहीं करते।

सुदर्शन क्रिया: प्रकृति की लय के साथ तालमेल

सुदर्शन क्रिया का अभ्यास करने से आप अपने श्वास की लय को प्रकृति की लय के साथ मिलाते हैं। यह ठीक वैसा ही है जैसे एक शहर में ट्रैफिक के लिए संकेत होते हैं।

कल्पना कीजिए, आपके मन में एक पूरा शहर है और इन सड़कों पर चलने वाले वाहन आपके विचार हैं। हर दिन हमारे मन में हजारों विचार आते हैं।

यह विचार कैसे नियंत्रित होते हैं? संकेतों के माध्यम से। वाहन एक निश्चित गति से चलते हैं, फिर रुकते हैं, और फिर से चलते हैं। यह एक प्रकार का प्रवाह है।

अब कल्पना करें, अगर कोई संकेत न हो और हर कोई अपनी मर्जी से चलने लगे तो क्या होगा? पूरा शहर अव्यवस्थित हो जाएगा, है ना?

सुदर्शन क्रिया में, आप श्वास की विभिन्न लयों का अभ्यास करते हैं – गहरी श्वास लेना, श्वास को रोकना, फिर श्वास छोड़ना। यह लयबद्ध तकनीक आपके मन-मस्तिष्क को संतुलित और शांत करती है।

वैज्ञानिक अनुसंधान और प्राचीन ग्रंथों का समर्थन

कई वैज्ञानिक शोध यह बताते हैं कि सुदर्शन क्रिया से मस्तिष्क की सतर्कता बढ़ती है, रक्त शुद्ध होता है, और आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी इस प्रकार की श्वास-प्रश्वास की तकनीकों का वर्णन है जो तनाव को समाप्त करने और मन को स्थिरता की अवस्था में लाने के लिए उपयोग की जाती हैं।

सुदर्शन क्रिया: अपनी सच्ची अवस्था की प्राप्ति का साधन

संस्कृत में एक श्लोक है:

प्राणायामेन संयम्य मन: स्वभावाति नश्यति”

अर्थात, जब आप श्वास-प्रश्वास को एक निश्चित लय में करते हैं, तो आप अपने अस्तित्व की सच्ची अवस्था का अनुभव कर सकते हैं, जो कि आनंद ही है।

अभ्यास का महत्व और सुझाव

यदि आपने अभी तक सुदर्शन क्रिया नहीं सीखी है, तो इसे सीखने का पहला अवसर न चूकें। और यदि आपने इसे सीखा है लेकिन इसका अभ्यास नहीं कर रहे हैं, तो आज ही इसे फिर से शुरू करें।

यह एक सरल, लेकिन अत्यंत शक्तिशाली साधना है जो आपके जीवन में गहराई से परिवर्तन ला सकती है। जीवन की लय को पुनः स्थापित करने का यह एक माध्यम है, जिससे आप तनावमुक्त, प्रसन्न और सजीव जीवन जी सकते हैं।

तो चलिए इसे और गहराई से समझते हैं और इसकी साधना की प्रक्रिया को जानते हैं।

शुरुआत के लिए तैयारी

इस प्रक्रिया को शुरू करने से पहले, आरामदायक कपड़े पहनें और एक शांत स्थान चुनें जहां आप बिना किसी बाधा के ध्यान केंद्रित कर सकें। अब, वज्रासन में बैठ जाएं। अपनी रीढ़ की हड्डी सीधी रखें और अपने हाथों को घुटनों पर रखें। अपने चेहरे पर एक हल्की मुस्कान रखें, जो इस प्रक्रिया को और भी सुखद बनाएगी।

पहली स्थिति: साधारण श्वास के साथ संतुलन

सुदर्शन क्रिया की पहली स्थिति के लिए, एक साधारण श्वास लें और धीरे-धीरे इसे बाहर छोड़ें। अपनी आँखें बंद करें और श्वास की गति पर ध्यान केंद्रित करें। एक बार फिर से गहरी सांस लें, इसे भीतर तक महसूस करें, और फिर धीरे-धीरे बाहर छोड़ें।

अब हम इस क्रिया के अगले चरण में प्रवेश करेंगे, जिसमें “कुंभक” का अभ्यास करेंगे – श्वास को रोकना। इसे “विश्वास” के साथ करें। जब आप श्वास लेते हैं, तो इसे धीरे-धीरे भीतर खींचें, 2, 3, और फिर धीरे-धीरे छोड़ें। इस प्रक्रिया को दोहराएं।

दूसरी स्थिति: गहन ध्यान की ओर अग्रसर

अब, सुदर्शन क्रिया की दूसरी स्थिति के लिए तैयार हो जाएं। अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें और दोनों हाथों को जमीन के समानांतर रखें। अपने चेहरे पर मुस्कान बनाए रखें और एक साधारण श्वास लें। इस बार, श्वास को अधिक गहराई से लें, ताकि आपके फेफड़े पूरी तरह से भर जाएं। फिर धीरे-धीरे इसे बाहर छोड़ें।

इस स्थिति में, आप ‘उज्जायी प्राणायाम’ का अभ्यास करेंगे। इस प्रक्रिया में, श्वास को धीरे-धीरे और नियंत्रित तरीके से भीतर खींचें, और फिर धीरे-धीरे छोड़ें। इस क्रिया को करते समय, अपने शरीर में ऊर्जा का संचार महसूस करें।

तीसरी स्थिति: ऊर्जा का प्रवाह

तीसरी स्थिति के लिए, ध्यान को और गहरा करने के लिए तैयार हो जाएं। अपनी आंखें बंद करें, अपने चेहरे पर मुस्कान रखें, और अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। इस बार, अपनी श्वास को और भी गहराई से खींचें, इसे भीतर महसूस करें, और फिर धीरे-धीरे छोड़ें। इस क्रिया के दौरान, अपने भीतर की ऊर्जा का प्रवाह महसूस करें।

अब, इस स्थिति में कुछ मिनटों के लिए रहें और ध्यान को गहराई में ले जाएं। धीरे-धीरे श्वास लें और छोड़ें, और शरीर में होने वाली हर संवेदना के प्रति सजग रहें।

विश्राम की स्थिति: शरीर और मन को शांत करना

अब, अपनी हथेलियों को घुटनों पर रखें, और शरीर को पूरी तरह से आराम दें। अपनी आँखें बंद रखें, और शरीर में होने वाली हर संवेदना के प्रति सजग रहें। धीरे-धीरे गहरी सांस लें, और इसे बाहर छोड़ें। इस प्रक्रिया को तब तक दोहराएं जब तक आप पूरी तरह से शांत और स्थिर न हो जाएं।

अंतिम चरण: ओम् का उच्चारण

अंत में, हम ओम् के तीन बार उच्चारण करेंगे। पहले एक साधारण श्वास लें, और फिर धीरे-धीरे इसे छोड़ते हुए ‘ओम्’ का उच्चारण करें। इसे तीन बार दोहराएं। ओम् का उच्चारण हमारे शरीर और मन में एक गूंज उत्पन्न करता है, जो हमें और भी अधिक शांति और संतुलन की ओर ले जाता है।

जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए, हमें अपने मन-मस्तिष्क को नियमित रूप से साफ करने की आवश्यकता होती है, जैसे हम अपने शरीर को साफ रखते हैं। सुदर्शन क्रिया यह सुनिश्चित करती है कि हमारा मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य हमेशा सर्वोत्तम स्थिति में रहे।

आज ही सुदर्शन क्रिया का अभ्यास शुरू करें और जीवन की नई लय और स्फूर्ति का आनंद लें।

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