कीर्तन की है रात बाबा आज ठाणे आणो है
(सहगान)
कीर्तन की है रात बाबा आज ठाणे आणो है,
थारे कोल निभानु हे।
(अंतरा 1)
दरबार सावरिया, ऐसो सजो प्यारो, दयालु आप को,
सेवा में सावरिया, सगला खड़ा डिगे, हुकम बस आप को,
सेवा में थारी म्हणे आज बिछ जणू हे, थारे कोल निभानु हे,
कीर्तन की है रात बाबा आज ठाणे आणो है,
थारे कोल निभानु हे।
(सहगान)
कीर्तन की है रात बाबा आज ठाणे आणो है,
थारे कोल निभानु हे।
(अंतरा 2)
कीर्तन की है तैयारी, कीर्तन करा जमकर, प्रभु क्यु देर करो,
वादों थारो दाता, कीर्तन में आने को, घणी मत देर करो,
भजनासु ठाणे म्हणे आज रिझाणु है, थारे कोल निभानु हे,
कीर्तन की है रात बाबा आज ठाणे आणो है,
थारे कोल निभानु हे।
(सहगान)
कीर्तन की है रात बाबा आज ठाणे आणो है,
थारे कोल निभानु हे।
(अंतरा 3)
जो कुछ बनो म्हासु, अर्पण परभू सारो, प्रभु स्वीकार करो,
नादाँ सु गलती होती ही आई है, ब्रभु मत ध्यान धरो,
नंदू सावरिया थानों दास पुरानो है, थारे कोल निभानु हे,
कीर्तन की है रात बाबा आज ठाणे आणो है,
थारे कोल निभानु हे।
(सहगान)
कीर्तन की है रात बाबा आज ठाणे आणो है,
थारे कोल निभानु हे।
भजन का सारांश इस प्रकार है:
- कीर्तन की रात का महत्व: आज रात कीर्तन का आयोजन किया गया है और सभी भक्तों को उसमें सम्मिलित होकर भक्ति करनी है। इसमें भक्तगण अपनी भक्ति को प्रदर्शित करते हैं और प्रभु के साथ अपने संबंध को निभाते हैं।
- प्रभु की महिमा: दरबार को सजाकर, सच्ची भक्ति के साथ प्रभु का स्वागत करने का संदेश दिया गया है। भक्त प्रभु से प्रार्थना करते हैं कि वह उनकी सेवा को स्वीकार करें।
- कीर्तन की तैयारी: भक्तों को कीर्तन के लिए तैयारी करने और प्रभु के आने की प्रतीक्षा करने का संदेश दिया गया है। प्रभु की आने में देरी न हो, इसके लिए भक्त उनसे निवेदन कर रहे हैं।
- प्रभु की कृपा: भजन में प्रभु को उनकी कृपा और दया के लिए धन्यवाद दिया गया है। भक्त अपनी गलतियों के लिए क्षमा माँगते हैं और अपने समर्पण को व्यक्त करते हैं।
यह भजन भक्तों के मन में भक्ति की भावना जागृत करने और उन्हें प्रभु की ओर आकर्षित करने का प्रयास करता है। कीर्तन के माध्यम से भक्त अपने प्रभु के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति को प्रकट करते हैं।
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