कालाष्टमी- Kalashtami

कालाष्टमी, जिसे काला अष्टमी भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला एक व्रत और त्योहार है। यह प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के अवतार, भैरव, की पूजा की जाती है। भैरव को शिव का एक रौद्र रूप माना जाता है और इसे शिव की शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है।

कालाष्टमी के दिन, भक्त व्रत रखते हैं और भैरव मंदिरों में जाकर विशेष पूजा और अर्चना करते हैं। भैरव की पूजा में अक्सर फल, फूल, सिन्दूर और मदिरा चढ़ाई जाती है। इस दिन कुछ भक्त भैरव तंत्र साधना भी करते हैं और नृत्य और गीत के माध्यम से भैरव की आराधना करते हैं।

कालाष्टमी का महत्व यह है कि यह भैरव को समर्पित है और यह भैरव की शक्ति और संरक्षण को स्मरण कराता है। यह दिन बुराइयों से रक्षा और संकटों से मुक्ति प्रदान करने वाला माना जाता है।

कालाष्टमी या भैरव अष्टमी, भगवान शिव के रौद्र रूप भगवान भैरव को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो प्रत्येक महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। यह त्यौहार सामान्यतः वर्ष में 12 बार मनाया जाता है, लेकिन जब अधिक मास (लौंद) होता है, तब यह 13 बार मनाया जा सकता है।

भैरव की पूजा में विशेष रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है, जिसमें तेल, सिंदूर, फूल, और अक्सर मदिरा भी चढ़ाई जाती है। भक्तजन इस दिन व्रत रखते हैं और कई स्थानों पर भैरव की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा और पूजा-अर्चना बड़े ही धूमधाम से की जाती है।

भैरव अष्टमी का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह न केवल आध्यात्मिक सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि यह भौतिक सुरक्षा और समृद्धि के लिए भी माना जाता है। भैरव बाधाओं को दूर करने वाले देवता हैं और उनकी पूजा से भक्तों को जीवन की कठिनाइयों में सहायता मिलती है।

काल भैरव पूजा विधि

  • स्नान और साफ-सफाई: कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और नए या साफ कपड़े पहनें। इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करें।
  • प्रतिमा स्थापित करना: मंदिर में लाल रंग के कपड़े पर भगवान काल भैरव की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें।
  • पूजन सामग्री अर्पित करना: पूजा में धूप, दीप (दीया), पान, फूल, और मिठाई जैसी सामग्री का उपयोग करें। भगवान काल भैरव को सरसों का तेल भी चढ़ाएं क्योंकि यह उन्हें अत्यधिक प्रिय है।
  • मंत्र जाप और आरती: पूजा के दौरान भैरव मंत्र “ॐ ह्रीं वं भैरवाय नमः” या “भैरवाय नमस्कृतोऽस्तु भैरवाय स्वाहा” का जाप करें। पूजा के अंत में भैरव आरती करें।
  • काले कुत्ते को भोजन खिलाना: पूजा के बाद, काले कुत्ते को मिठाई या रोटी खिलाएं क्योंकि यह भगवान भैरव का वाहन माना जाता है। इससे भैरव भगवान की कृपा बनी रहती है।

निशिता मुहूर्त में पूजा

  • निशिता मुहूर्त रात्रि का वह समय होता है जब यह माना जाता है कि तांत्रिक शक्तियाँ अपने चरम पर होती हैं। काल भैरव की पूजा इस समय करने से विशेष लाभ मिलते हैं। इस समय पूजा करने से देवता की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

लाभ

  • कालाष्टमी का व्रत और पूजा करने से शत्रु बाधा, ग्रह दोष, और जीवन में आने वाले विभिन्न संकट दूर होते हैं।
  • इससे नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा मिलता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • काल भैरव को भय और आतंक का निवारण करने वाला देवता माना जाता है। इसलिए, उनकी पूजा करने से भक्तों को जीवन के सभी प्रकार के भय से छुटकारा मिलता है।
  • काल भैरव को तांत्रिक क्रियाओं का आधार माना जाता है। इसलिए उनकी पूजा से तंत्र और मंत्र सिद्धियों की प्राप्ति हो सकती है, जो आध्यात्मिक प्रगति में सहायक होती हैं।

इस पूजा को विधिवत रूप से करने से न केवल आपके व्यक्तिगत जीवन में सुधार होता है, बल्कि आपके परिवार पर भी इसका शुभ प्रभाव पड़ता है।

काल भैरव मंत्र

कालाष्टमी के दिन विशेष मंत्रों का जाप करना आपकी पूजा को और अधिक फलदायी बना सकता है। ये मंत्र विशेष रूप से भगवान भैरव की आराधना के लिए हैं और इन्हें जपने से भक्तों को विशेष लाभ प्राप्त हो सकता है। आपने जिन मंत्रों का उल्लेख किया, वे इस प्रकार हैं:

  • ॐ ह्रीं वं भैरवाय नमः – इस मंत्र का उपयोग भैरव देवता की सक्रिय ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए किया जाता है।
  • ॐ बतुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बतुकाय हुं फट् स्वाहा – यह मंत्र विशेष रूप से संकटों से रक्षा करने वाला माना जाता है और तुरंत प्रभाव के लिए जपा जाता है।
  • ॐ ह्रीं बगलामुखाय पंचास्य स्तम्भय स्तम्भय मोहय मोहय मायामुखायै हुं फट् स्वाहा – यह मंत्र शत्रुओं को पराजित करने और अपने इच्छित परिणाम पाने के लिए जपा जाता है।
  • भैरवाय नमस्कृतोऽस्तु भैरवाय स्वाहा – इस मंत्र का उपयोग भैरव को नमस्कार करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
  • ॐ नमो नरसिंह भैरवाय अमुकं मम वशमानय स्वाहा – यह मंत्र विशेष रूप से भैरव के नरसिंह रूप को समर्पित है और इसका उपयोग किसी विशेष व्यक्ति या उद्देश्य को अपने वश में करने के लिए किया जाता है।
  • ॐ ह्रीं नमो भगवते भैरवाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु भगवान् – यह मंत्र संकटों से उद्धार पाने के लिए भैरव की शक्ति का आह्वान करता है।

इन मंत्रों का जाप करते समय, साफ-सुथरे और शांत मन से पूजा करना चाहिए। जप की संख्या और विधि का पालन करना भी महत्वपूर्ण है, जिससे कि पूजा का उचित फल प्राप्त हो सके।





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