श्री दुर्गा जी की आरती की महिमा अत्यंत विशाल और गहन है। यह आरती न केवल माँ दुर्गा के दिव्य रूप और उनकी असीम शक्तियों की स्तुति करती है, बल्कि यह भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा और आंतरिक शांति प्रदान करती है। आरती का पाठ करने वाले भक्त माँ दुर्गा से आशीर्वाद और कृपा की कामना करते हैं। इसकी महिमा के कई पहलू हैं:
- देवी की शक्ति का स्मरण: आरती माँ दुर्गा की विशाल शक्तियों और उनके विविध रूपों की महिमा का गान करती है। यह उनकी अद्वितीय शक्ति का स्मरण कराती है जिससे वे संसार के दुःख और बुराइयों का नाश करती हैं।
- भक्तों को आशीर्वाद: आरती गान से भक्त माँ दुर्गा से आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं। मान्यता है कि माँ दुर्गा अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उन्हें सुख, समृद्धि और आनंद प्रदान करती हैं।
- धार्मिक अनुष्ठान और परंपरा: आरती का पाठ एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है जो हिंदू धर्म में लंबे समय से चली आ रही परंपरा का हिस्सा है। यह नवरात्रि और अन्य पूजा समारोहों में विशेष रूप से गाई जाती है।
- आध्यात्मिक शांति और संतुष्टि: आरती का पाठ करने से भक्तों को आध्यात्मिक शांति और अंतरात्मा की संतुष्टि मिलती है। यह उन्हें अधिक सकारात्मक और ऊर्जावान बनाता है।
- संकटों से मुक्ति: माँ दुर्गा को संकटों से मुक्ति देने वाली देवी माना जाता है। उनकी आरती गाने से भक्तों को विश्वास होता है कि उनके सभी संकट और बाधाएँ दूर होंगी।
- समर्पण और श्रद्धा: आरती के माध्यम से भक्त अपनी श्रद्धा और समर्पण की भावना को व्यक्त करते हैं। यह उनके और देवी के बीच एक गहरा आध्यात्मिक संबंध स्थापित करता है।
श्री दुर्गा जी की आरती की महिमा असीम है और यह हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण भक्ति गीत है जो भक्तों को माँ दुर्गा के निकट लाती है और उन्हें दिव्य आशीर्वाद प्रदान करती है।
दुर्गा जी की आरती
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी,
तुम को निस दिन ध्यावत,
मैयाजी को निस दिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवजी ,
जय अम्बे गौरी ॥
माँग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को, मैया टीको मृगमद को
उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको, बोलो जय अम्बे गौरी ॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे, मैया रक्ताम्बर साजे
रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे, बोलो जय अम्बे गौरी ॥
केहरि वाहन राजत खड्ग कृपान धारी, मैया खड्ग कृपान धारी
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी, बोलो जय अम्बे गौरी ॥
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती, मैया नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति, बोलो जय अम्बे गौरी ॥
शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर धाती, मैया महिषासुर धाती
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती, बोलो जय अम्बे गौरी ॥
चण्ड मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे, मैया शोणित बीज हरे
मधु कैटभ दोउ मारे सुर भय दूर करे, बोलो जय अम्बे गौरी ॥
ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी, मैया तुम कमला रानी
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी, बोलो जय अम्बे गौरी ॥
चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों, मैया नृत्य करत भैरों
बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू, बोलो जय अम्बे गौरी ॥
तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्ता, मैया तुम ही हो भर्ता
भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ता, बोलो जय अम्बे गौरी ॥
भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी, मैया वर मुद्रा धारी
मन वाँछित फल पावत देवता नर नारी, बोलो जय अम्बे गौरी ॥
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती, मैया अगर कपूर बाती
माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती, बोलो जय अम्बे गौरी ॥
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