Makar Sankranti: मकर संक्रांति का महापर्व – Kite Festival- Khichadi

किन खगोलीय घटनाओं के कारण मनाया जाता है हिंदू धर्म में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का पर्व

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) २ शब्द मकर और संक्रांति से मिलकार बना है।  मकरशब्द का अर्थ तो अधिकतार लोग जानते हैं कोई मकर राशि के नाम से जानता है तो कोई मकर रेखा के नाम से जानता है।  वैसे विज्ञान के अनुसार इसका संबंध मकर रेखा से ही है और संक्रांति का अर्थ होता है संक्रांति यानी परागमन संक्रांति का अर्थ होता है एक से दूसरे में प्रवेश करना तो मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन सूरज का संक्रांति होता है यानी संक्रमण होता है तो चलो इसको विस्तार से समझते हैं कि पृथ्वी सूर्य के चरण या घुमती है ना कि सूर्य पृथ्वी के प्रति पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक  इंसान को यही प्रतीत होता है मानव पृथ्वी नहीं बालकी सूर्य पृथ्वी के चरणों या घूम रहा है।   इसी तरह समझने के लिए कभी-कभी हम सूर्य के विस्थापन की बात करते हैं हमारी पृथ्वी सूर्य के प्रति 23.5 अंश एक और झुकी हुई है पर इसी  वजह से पृथ्वी पर मौसम में परिवर्तन, दिवस का छोटा या बड़ा होना, आदि घाटनाएं होती हैं। गर्मी के मौसम में सूर्य कर्क रेखा (Kark Rekha) की ओर और उत्तरी गोलार्ध में होता है जबकी, सर्दी के मौसम में सूर्य होता है जबकी सर्दी के मौसम में सूर्य मकर रेखा (Makar Rekha) और दक्षिणी गोलार्ध में होता है।  3 जनवरी को पृथ्वी सूर्य के सबसे करीब होती है और परिक्रमा चक्र के अंतिम छोर पर होती है।  अब इसे यहां से वापस लौटाना होता है यह वक्त सूर्य की स्थिति है पृथ्वी के दक्षिण गोलार्ध में होती है 3 जनवरी के बाद पृथ्वी जब अपने परिक्रमा चक्र के अंतिम छोर से वापस लौटती है तो सूर्य की स्थिति भी मकर रेखा (Makar Rekha) की होती है या 14 जनवरी को सूर्य की स्थिति मकर में होती है। इस तिथि के सूर्य उत्तर दिशा की या बढ़ने लगता है यानि  कर्क रेखा (Kark Rekha) की या बढ़ने लगता है क्योंकि 14 जनवरी को ही सूर्य का मकर रेखा (Makar Rekha) से कर्क  रेखा (Kark Rekha) की ओर  संक्रमन होता है यानी परागमन होता है इसलिए इसे मकर संक्रांति (Makar Sankranti) कहा जाता है।

हिंदू धर्म में क्या है मकर संक्रांति(Makar Sankranti)का महत्व

आज बात करेंगे मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के महिमा की और सूर्य देव के मकर राशि (Makar Rashi) में प्रवेश का अलग-अलग राशियों पर कैसा प्रभाव पड़ेगा। इसको जानने का प्रयास करेंगे यह मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के अवसर पर अलग-अलग राशि के लोगों को कौन सा दान करना चाहिए जो दान करने से उनका कल्याण होगा , उनको सूर्य देव और शनि देव दोनों की कृपा प्राप्त होगी, तो  सबसे पहले जानते हैं कि संक्रांति क्या होती है और मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को इतना महत्वपूर्ण क्यों मानते हैं देखिए सूर्य जब किसी राशि में प्रवेश करते हैं सूर्य जब किसी राशि विशेष पर भ्रमण करते हैं तो इसको कहते हैं संक्रांति सूर्य जब भी किसी राशि में जाएंगे तो उसे राशि से संबंधित संक्रांति शुरू हो जाएगी ,कुल मिलाकर 12 महीने हैं अगर हम हिंदू कैलेंडर से देखें या अगर हम अंग्रेजी कैलेंडर से देखें तो कुल मिलाकर 12 महीने हैं और हर महीने में सूर्य देव राशि का परिवर्तन करते हैं इसीलिए कुल मिलाकर साल में 12 संक्रांतियां होती हैं मेष राशि में जाएंगे तो मेष संक्रांति, मिथुन में जाएंगे मिथुन संक्रांति , कर्क में जाएंगे तो कर्क संक्रांति, तो कुल मिलाकर साल में 12 संक्रांतियां होती हैं लेकिन दो संक्रांतियां सर्वाधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है एक है।  मकर संक्रांति (Makar Sankranti) जो जनवरी के मध्य में आती है और एक है कर्क संक्रांति जो जुलाई के मध्य में आती है। सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति (Makar Sankranti) होती है मकर राशि में सूर्य का प्रवेश ज्योतिष के हिसाब से और धर्म के हिसाब से बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता है मकर संक्रांति से अग्नि तत्व की शुरुआत होती है मौसम में गर्मी आनी शुरू हो जाती है और जो कर्क संक्रांति है जुलाई में पड़ती है इससे जल तत्व की शुरुआत होती है बारिश का मौसम आ जाता है और धीरे-धीरे ठंडक शुरू हो जाती है। जब मकर संक्रांति आती है तो उसे समय सूर्य उत्तरायण होते हैं सूर्य के उत्तरायण होने का विशेष महत्व है इसीलिए इस समय किए गए जप और दान का फल अनंत गुना होता है यानी एक तो मकर संक्रांति पर दान करना महत्वपूर्ण होता ही है क्योंकि संक्रांति पर दान करना पवित्र नदियों में स्नान करना मंत्र का जाप करना बड़ा महत्वपूर्ण होता है उसके अलावा इसी समय पर सूर्य देव उत्तरायण होते हैं और सूर्य देव के उत्तरायण होने को एक बहुत शुभ समय माना जाता है।  महाभारत में भीष्म पितामह (Bheeshma Pitamah) ने अपना शरीर त्याग नहीं किया था जब तक सूर्य उत्तरायण नहीं हो गया था उन्होंने कहा था कि सूर्य जब उत्तरायण होंगे तब मैं अपना शरीर त्याग लूंगा ताकि मुझे मुक्ति की स्वर्ग की देवमार्ग की प्राप्ति हो सके महाभारत में भीष्म पितामह जी ने अपना देवतागने के लिए इसी दिन का चुनाव किया था और इसी दिन गंगा जी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा  मिली थी तो सूर्य का उत्तर आएं होना एक विशेष घटना है जो मकर संक्रांति के समय होती है और इसलिए मकर संक्रांति को बहुत मूल्यवान मानते हैं।

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का त्यौहार हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है जो सूर्य के उतरन होने पर मनाया जाता है ज्योतिष की दृष्टि से देखे तो इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं कहा जाता है कि इस दिन भगवान सूर्य स्वयं अपने पुत्र शनि से मिलने जाते हैं और शनिदेव मकर राशि के स्वामी है इसीलिए इसे मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के नाम से जाना जाता है आपको बता दें कि  दोस्तों इस दिन रंग-बिरंगी पतंग उड़ाने का भी विशेष महत्व है इस दिन भगवान सूर्य की पूजा का विशेष महत्व होता है आपको बता दें कि मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को स्नान और दान का पर्व भी कहा जाता है इस दिन तीर्थ एवं पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी कासन से मुक्ति मिलती है और इस दिन किया गया दान कई गुना होकर आपको फल देता है दोस्तों भविष्यपुराण के अनुसार सूर्य के उत्तरायण के दिन संक्रांति का व्रत करना चाहिए इस व्रत में संक्रांति के एक दिन पहले एक ही बार भोजन करना चाहिए और पूर्णता ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए दोस्तों मगर संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर तेल और तिल का उभा बटन लगाकर स्नान किया जाता है हो सके तो दोस्तों इस दिन गंगा स्नान या किसी पवित्र नदी में स्नान करें और जो भाई-बहन घर पर है वह अपने नहाने वाले पानी में गंगाजल मिलकर इस्नान अवश्य करें तत्पश्चात सूर्य देव को अर्थव्यवस्था दें इससे सूर्य भगवान अति प्रसन्न होते हैं आप सूर्य देव को जल देने के लिए एक तांबे के लोटे में शुद्ध जल भर लें और इस जाल में लाल फूल लाल चंदन लाल तेल और थोड़ा सा गुड मिला लें और सूर्य को जल चढ़ाते हुए सूर्य के मित्रों का जाप करें आप ओम सूर्याय नमः या ओम आदित्याया नमः का जाप करें। इसके साथ ही दिन श्री नारायण कवच, आदित्य हृदय स्त्रोत या विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना अति उत्तम बताया गया है इस दिन भगवान को तिल तिल के गुड़ के लड्डू खिचड़ी (Khichadi) लाल फल का भोग लगाना चाहिए अगर हो सके तो इस दिन ब्राह्मण को भोजन करना चाहिए या कुछ लोग इस दिन खिचड़ी बनवाकर भी लोगों में बंटवाते हैं ऐसा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है आपको बता दें कि मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन विशेष कर तिल गुड़ खिचड़ी वस्त्र वर्धन का दान किया जाता है।

वर्ष 2024 में क्या है शुभ मुहूर्त मकर संक्रांति (Makar Sankranti)का

चलिए अब जानते हैं कि साल 2024 में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का पर्व कब मनाया जाएगा तो आपको बता दे की मकर संक्रांति (Makar Sankranti) 15 जनवरी 2024 दिन सोमवार को मनाई जाएगी और मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पुण्य कल का समय सुबह 7:15 से लेकर शाम 5:40 तक रहेगा इस शुभ मुहूर्त की कुल आबादी10 घंटा 31 मिनट की रहेगी और मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन महा पुण्य कल का समय सुबह 7:15 से लेकर सुबह 9:00 बजे तक रहेगा इस शुभ मुहूर्त की कुल आबादी एक घंटा 45 मिनट की रहेगी और मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का चरण प्रातः काल 2:54 पर रहेगा।

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