शनिवार का दिन न्याय के देवता और कर्मफल के प्रदाता शनि देव को समर्पित होता है। इस दिन शनि देव की विशिष्ट पूजा-अर्चना की जाती है। साधक विशेष कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए शनि देव के निमित्त व्रत-उपवास रखते हैं। शास्त्रों में वर्णित है कि अच्छे कर्म करने वाले को शनि देव शुभ फल प्रदान करते हैं, जबकि बुरे कर्म करने वालों को दंडित करते हैं। शनि देव की महिमा अद्वितीय है और वे अपने भक्तों पर सदैव कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं। इसलिए, साधक श्रद्धा और भक्ति के साथ शनिवार के दिन शनि देव की आराधना करते हैं और विशेष उपाय अपनाते हैं।
यदि आप भी शनि देव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो शनिवार के दिन पूजा के समय शनि चालीसा का पाठ और आरती अवश्य करें। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। आइए, शनि चालीसा का पाठ और आरती करें और शनि देव की अनुकंपा प्राप्त करें।
Shani Chalisa lyrics
दोहा
जय-जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महराज।
करहुं कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज।।
चौपाई
जयति-जयति शनिदेव दयाला।
करत सदा भक्तन प्रतिपाला।।
चारि भुजा तन श्याम विराजै।
माथे रतन मुकुट छवि छाजै।।
परम विशाल मनोहर भाला।
टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला।।
कुण्डल श्रवण चमाचम चमकै।
हिये माल मुक्तन मणि दमकै।।
कर में गदा त्रिशूल कुठारा।
पल विच करैं अरिहिं संहारा।।
पिंगल कृष्णो छाया नन्दन।
यम कोणस्थ रौद्र दुःख भंजन।।
सौरि मन्द शनी दश नामा।
भानु पुत्रा पूजहिं सब कामा।।
जापर प्रभु प्रसन्न हों जाहीं।
रंकहु राउ करें क्षण माहीं।।
पर्वतहूं तृण होई निहारत।
तृणहंू को पर्वत करि डारत।।
राज मिलत बन रामहि दीन्हा।
कैकइहूं की मति हरि लीन्हा।।
बनहूं में मृग कपट दिखाई।
मात जानकी गई चुराई।।
लषणहि शक्ति बिकल करि डारा।
मचि गयो दल में हाहाकारा।।
दियो कीट करि कंचन लंका।
बजि बजरंग वीर को डंका।।
नृप विक्रम पर जब पगु धारा।
चित्रा मयूर निगलि गै हारा।।
हार नौलखा लाग्यो चोरी।
हाथ पैर डरवायो तोरी।।
भारी दशा निकृष्ट दिखाओ।
तेलिहुं घर कोल्हू चलवायौ।।
विनय राग दीपक महं कीन्हो।
तब प्रसन्न प्रभु ह्नै सुख दीन्हों।।
हरिशचन्द्रहुं नृप नारि बिकानी।
आपहुं भरे डोम घर पानी।।
वैसे नल पर दशा सिरानी।
भूंजी मीन कूद गई पानी।।
श्री शकंरहि गहो जब जाई।
पारवती को सती कराई।।
तनि बिलोकत ही करि रीसा।
नभ उड़ि गयो गौरि सुत सीसा।।
पाण्डव पर ह्नै दशा तुम्हारी।
बची द्रोपदी होति उघारी।।
कौरव की भी गति मति मारी।
युद्ध महाभारत करि डारी।।
रवि कहं मुख महं धरि तत्काला।
लेकर कूदि पर्यो पाताला।।
शेष देव लखि विनती लाई।
रवि को मुख ते दियो छुड़ाई।।
वाहन प्रभु के सात सुजाना।
गज दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना।।
जम्बुक सिंह आदि नख धारी।
सो फल ज्योतिष कहत पुकारी।।
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।
हय ते सुख सम्पत्ति उपजावैं।।
गर्दभहानि करै बहु काजा।
सिंह सिद्धकर राज समाजा।।
जम्बुक बुद्धि नष्ट करि डारै।
मृग दे कष्ट प्राण संहारै।।
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।
चोरी आदि होय डर भारी।।
तैसहिं चारि चरण यह नामा।
स्वर्ण लोह चांदी अरु ताम्बा।।
लोह चरण पर जब प्रभु आवैं।
धन सम्पत्ति नष्ट करावैं।।
समता ताम्र रजत शुभकारी।
स्वर्ण सर्व सुख मंगल भारी।।
जो यह शनि चरित्रा नित गावै।
कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै।।
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला।
करैं शत्राु के नशि बल ढीला।।
जो पंडित सुयोग्य बुलवाई।
विधिवत शनि ग्रह शान्ति कराई।।
पीपल जल शनि-दिवस चढ़ावत।
दीप दान दै बहु सुख पावत।।
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा।
शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा।।
दोहा
पाठ शनिश्चर देव को, की हों विमल तैयार ।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार।।
यह चालीसा नियमित रूप से पढ़ने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है। शनि देव की आराधना से जीवन में शांति और समृद्धि का संचार होता है।
शनि देव की आरती
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव।
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव।
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव।
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव।
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
जय जय श्री शनि देव।
शनि चालीसा का महत्व
शनि चालीसा का नियमित रूप से पाठ करने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है। शनि देव की आराधना से जीवन में शांति और समृद्धि का संचार होता है। यह चालीसा शनि देव के प्रति श्रद्धा और विश्वास को प्रकट करती है, जिससे साधक को मानसिक शांति और आत्मबल मिलता है।
महत्वपूर्ण लाभ:
- कष्टों से मुक्ति: शनि चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। यह चालीसा शनि देव की अनुकंपा प्राप्त करने का एक प्रभावी माध्यम है।
- शांति और समृद्धि: शनि देव की आराधना से साधक के जीवन में शांति और समृद्धि आती है। यह चालीसा नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
- कर्म सुधार: शनि देव को न्याय के देवता माना जाता है। इस चालीसा के नियमित पाठ से व्यक्ति के कर्मों में सुधार होता है और उसे अच्छे कर्मों का फल प्राप्त होता है।
- मानसिक शांति: शनि चालीसा का पाठ मानसिक शांति प्रदान करता है। यह साधक के मन को स्थिर और संतुलित बनाता है।
- संकट से बचाव: इस चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को आकस्मिक संकटों और दुर्घटनाओं से बचाव मिलता है। यह चालीसा एक सुरक्षात्मक कवच का कार्य करती है।
शनि चालीसा के नियमित पाठ के लाभ:
- व्यक्ति के जीवन में स्थिरता और संतुलन आता है।
- कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
- बुरे प्रभावों से बचाव होता है।
- अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
- मानसिक और भावनात्मक स्थिरता मिलती है।
शनि चालीसा का पाठ शनि देव की कृपा पाने का सरल और प्रभावी उपाय है। श्रद्धा और विश्वास के साथ इसका नियमित पाठ करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव अवश्य आते हैं।
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