सोमवती अमावस्या

सोमवती अमावस्या हिन्दू कैलेंडर के अनुसार एक विशेष दिन है जो तब मनाया जाता है जब अमावस्या, या नया चंद्रमा, सोमवार को पड़ता है। यह दिन विशेष रूप से पवित्र माना जाता है और इस दिन कई हिन्दू उपवास करते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं।

सोमवती अमावस्या को विशेष रूप से पितरों के लिए तर्पण (जलांजलि) करने और उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का दिन माना जाता है। इस दिन कई लोग गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।

कुछ लोग इस दिन विशेष पूजाओं में भाग लेते हैं, जैसे कि पीपल के पेड़ की पूजा करना और उसके चारों ओर प्रदक्षिणा करना। यह माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति की इच्छाएँ पूरी होती हैं और उसे धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं।

सोमवती अमावस्या के दिन विशेष ध्यान और मेडिटेशन का भी आयोजन किया जाता है, जिससे लोग अपने मन को शांत कर सकें और आत्म-साक्षात्कार की ओर अग्रसर हो सकें।

सोमवती अमावस्या कब है

साल 2024 में सोमवती अमावस्या निम्नलिखित तारीखों पर पड़ रही है:

  • 8 अप्रैल 2024
  • 2 सितंबर 2024
  • 30 दिसंबर 2024

सोमवती अमावस्या के दिन विशेष रूप से पूजा-अर्चना, व्रत, और दान का विधान होता है। इस दिन विशेष पूजा के लिए भगवान शिव, पीपल के पेड़, और पूर्वजों की पूजा और तर्पण किया जाता है। यह माना जाता है कि इस दिन की गई पूजा से भक्तों को विशेष फल प्राप्त होते हैं और उनके संकट दूर होते हैं। यदि आप भी सोमवती अमावस्या पर विशेष पूजा और अनुष्ठान करने की सोच रहे हैं, तो इन तारीखों को याद रखें और पूजा की सभी तैयारियां पहले से कर लें।

सोमवती अमावस्या व्रत कथा

 साधु और ब्राह्मण कन्या की कथा:

एक गरीब ब्राह्मण परिवार में पति-पत्नी और उनकी एक पुत्री थी। पुत्री बड़ी होने लगी और उसमें सभी स्त्रियोचित गुणों का विकास हुआ। वह सुंदर, संस्कारवान और गुणवान थी, लेकिन गरीबी के कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा था। एक दिन, उनके घर में एक साधु आए। कन्या के सेवाभाव से प्रसन्न होकर साधु ने उसे लंबी आयु का आशीर्वाद दिया और कहा कि उसके हाथ में विवाह योग्य रेखा नहीं है।

ब्राह्मण दंपति ने साधु से उपाय पूछा। साधु ने बताया कि पास के गाँव में सोना नामक धोबिन रहती है, जो अत्यंत आचार-विचार और संस्कार संपन्न तथा पति परायण है। यदि कन्या उसकी सेवा करे और वह महिला कन्या की शादी में अपने मांग का सिंदूर लगा दे, तो कन्या का विवाह हो सकता है और उसका वैधव्य योग मिट सकता है। साधु ने बताया कि धोबिन बाहर नहीं जाती है।

ब्राह्मणी ने अपनी बेटी को धोबिन की सेवा करने के लिए कहा। कन्या ने सोना धोबिन के घर जाकर सफाई और अन्य काम करना शुरू कर दिया। एक दिन, सोना धोबिन ने अपनी बहू से पूछा कि कौन सुबह सारे काम करके जाता है। बहू ने सोचा कि धोबिन ही काम करती हैं।

जब धोबिन ने कन्या को काम करते हुए पकड़ा, तो कन्या ने साधु द्वारा कही गई सारी बात बताई। धोबिन तैयार हो गई और कन्या की मांग में सिंदूर लगा दिया। इसके तुरंत बाद धोबिन के पति का निधन हो गया। धोबिन ने तय किया कि वह सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की परिक्रमा करेगी। उसने पूजा की और 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा की, जिसके बाद उसके पति के शरीर में जीवन का संचार हो गया।

यह कथा सेवा, त्याग, और आस्था की महत्वपूर्ण शिक्षा देती है। यह दर्शाती है कि सच्ची भक्ति और पवित्रता से किए गए कार्य अद्भुत परिणाम ला सकते हैं।

इन कथाओं में सेवा, त्याग, भक्ति और निष्ठा के मूल्यों को उजागर किया गया है, जो सोमवती अमावस्या के धार्मिक महत्व को और अधिक प्रगाढ़ बनाते हैं। ये कथाएँ हमें यह भी सिखाती हैं कि किस प्रकार धार्मिक आस्था और कर्मों के माध्यम से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है।

सोमवती अमावस्या पूजा विधि

सोमवती अमावस्या की पूजा विधि में कई धार्मिक क्रियाएँ और रीति-रिवाज शामिल हैं, जिन्हें इस पवित्र दिन पर विधिवत रूप से संपन्न किया जाता है। निम्नलिखित चरणों में सोमवती अमावस्या पूजा विधि का विवरण दिया गया है:

1. स्नान और सफाई:

  • पूजा से पहले, तड़के स्नान करें। यदि संभव हो तो, पवित्र नदी में स्नान करना और भी उत्तम माना जाता है।
  • स्नान के बाद, स्वच्छ और पवित्र वस्त्र धारण करें।

2. पितृ तर्पण:

  • पूर्वजों के लिए जल, तिल और फूलों का तर्पण करें।
  • पितरों के नाम से जलांजलि देने का यह क्रिया उनके आशीर्वाद के लिए की जाती है।

3. पीपल पूजा:

  • पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएँ और वृक्ष की परिक्रमा करें।
  • पीपल के पत्तों को जल चढ़ाएँ और पूजा करें।

4. दान और दक्षिणा:

  • ब्राह्मणों और निर्धनों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करें।
  • विशेषकर, तिल, घी, अनाज, वस्त्र आदि का दान करने का महत्व है।

5. व्रत और उपवास:

  • इस दिन व्रत रखें और शाम को पूजा के बाद ही व्रत को खोलें।
  • उपवास में फलाहार या सात्विक भोजन का सेवन करें।

6. मंत्र जाप और मेडिटेशन:

  • गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र या अन्य धार्मिक मंत्रों का जाप करें।
  • मेडिटेशन करके मन को शांत करें और आत्मिक शांति

सोमवती अमावस्या को विशेष रूप से महत्वपूर्ण बनाने वाली कई परंपराएँ और विश्वास हैं, जो इसे हिन्दू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और शुभ दिन बनाते हैं। आपके द्वारा बताए गए अनुसार, इस दिन की कुछ मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  1. विवाहित स्त्रियों द्वारा पतियों की दीर्घायु की कामना: विवाहित महिलाएँ इस दिन व्रत रखती हैं और विशेष पूजा करती हैं ताकि उनके पति की आयु लंबी हो और उनका जीवन सुखमय हो।
  2. मौन व्रत का महत्व: सोमवती अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने से भक्तों को अत्यधिक धार्मिक लाभ और पुण्य प्राप्त होता है, जिसकी तुलना सहस्र गोदान के फल से की गई है।
  3. पीपल वृक्ष की पूजा: पीपल वृक्ष को विशेष रूप से पवित्र माना जाता है, और इस दिन विवाहित महिलाएँ पीपल के वृक्ष की पूजा करती हैं, उसे दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चन्दन आदि से अर्पित करती हैं और वृक्ष के चारों ओर 108 बार धागा लपेट कर परिक्रमा करती हैं।
  4. पवित्र नदियों में स्नान: सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का बहुत महत्व है। यह माना जाता है कि इससे व्यक्ति स्वस्थ, समृद्ध और सभी दुःखों से मुक्त होता है, और इसके साथ ही पितरों की आत्माओं को भी शांति मिलती है।

पीपल का पेड़ हिन्दू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है और यह विश्वास है कि इसमें सभी देवताओं का वास होता है। इसलिए, सोमवती अमावस्या के दिन से शुरू करके, जो कोई भी व्यक्ति हर अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की परिक्रमा या भँवरी देता है, उसके जीवन में सुख-सौभाग्य की वृद्धि होती है। यह क्रिया न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि इसे व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

अगर कोई हर अमावस्या पर परिक्रमा नहीं कर सके, तो वह सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या पर 108 वस्तुओं की भँवरी देने के साथ सोना धोबिन और गौरी-गणेश की पूजा कर सकता है। इस प्रकार की पूजा से भी व्यक्ति को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और उसका जीवन खुशहाल और समृद्ध बनता है। यह परंपरा न केवल धार्मिक आस्था को दर्शाती है बल्कि यह भी सिखाती है कि प्रकृति और इसके तत्वों के प्रति सम्मान और आदर व्यक्ति के जीवन को कैसे समृद्ध बना सकता है।

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सोमवती अमावस्या क्या है?

सोमवती अमावस्या हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वह विशेष दिन होता है जब अमावस्या, यानी नया चंद्रमा, सोमवार को पड़ता है। यह दिन विशेष रूप से पवित्र माना जाता है।

साल 2024 में सोमवती अमावस्या कब-कब पड़ रही है?

साल 2024 में सोमवती अमावस्या निम्नलिखित तारीखों पर पड़ रही है:
8 अप्रैल 2024
2 सितंबर 2024
30 दिसंबर 2024

सोमवती अमावस्या के दिन कैसे दान दिया जाता है?

सोमवती अमावस्या के दिन ब्राह्मणों और निर्धनों को भोजन, वस्त्र और धन का दान दिया जाता है, जिसमें तिल, घी, अनाज, वस्त्र आदि शामिल हैं।

सोमवती अमावस्या पर पूजा किन देवताओं की की जाती है?

सोमवती अमावस्या के दिन विशेष पूजा के लिए भगवान शिव, पीपल के पेड़, और पूर्वजों की पूजा और तर्पण किया जाता है।





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