श्री बजरंग बाण: पाठ, लिरिक्स, और चमत्कार | Bajrang Baan Path, Lyrics, PDF, और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी

“चौपाई”

जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।।
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महासुख दीजै।।
जैसे कूदि सिन्धु महि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।
आगे जाई लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा।।
बाग़ उजारि सिन्धु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा।।
अक्षयकुमार को मारि संहारा। लूम लपेट लंक को जारा।।
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर में भई।।
अब विलम्ब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु उर अन्तर्यामी।।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होय दुख हरहु निपाता।।
जै गिरिधर जै जै सुखसागर। सुर समूह समरथ भटनागर।।
ॐ हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहिं मारु बज्र की कीले।।
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो। महाराज प्रभु दास उबारो।।
ऊँकार हुंकार प्रभु धावो। बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो।।
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ऊँ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।।
सत्य होहु हरि शपथ पाय के। रामदूत धरु मारु जाय के।।
जय जय जय हनुमन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत हौं दास तुम्हारा।।
वन उपवन, मग गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।
पांय परों कर ज़ोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।
जय अंजनिकुमार बलवन्ता। शंकरसुवन वीर हनुमन्ता।।
बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक।।
भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बेताल काल मारी मर।।
इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की।।
जनकसुता हरिदास कहावौ। ताकी शपथ विलम्ब न लावो।।
जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा।।
चरण शरण कर ज़ोरि मनावौ। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।
उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई। पांय परों कर ज़ोरि मनाई।।
ॐ चं चं चं चं चपत चलंता। ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता।।
ऊँ हँ हँ हांक देत कपि चंचल। ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल।।
यह बजरंग बाण जेहि मारै। ताहि कहो फिर कौन उबारै।।
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।।
यह बजरंग बाण जो जापै। ताते भूत प्रेत सब काँपै।।
धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तन नहिं रहै कलेशा।।

बजरंग बाण (Bajrang Baan) एक महत्वपूर्ण और शक्तिशाली प्रार्थना है जो भगवान हनुमान को समर्पित है। यह पाठ हनुमान जी की अपार शक्ति और उनके भक्तों के प्रति सहायता की कामना करता है। हालांकि, बजरंग बाण (Bajrang Baan) का पूरा पाठ यहाँ प्रदान करना संभव नहीं है, फिर भी मैं इसके महत्व और उसके पाठ के लाभों पर प्रकाश डाल सकता हूँ।

बजरंग बाण (Bajrang Baan) का पाठ विशेष रूप से उन समयों में किया जाता है जब व्यक्ति को अत्यधिक कठिनाइयों, संकटों, भय या शत्रुओं से सामना करना पड़ रहा हो। इसके पाठ से हनुमान जी की शक्ति का आह्वान किया जाता है ताकि वे अपने भक्तों की रक्षा करें और उनके जीवन से सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करें।

बजरंग बाण (Bajrang Baan) के पाठ में विशेष ध्यान और श्रद्धा की आवश्यकता होती है, और इसे पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ पढ़ा जाना चाहिए। यह पाठ न केवल भौतिक समस्याओं से मुक्ति दिलाता है बल्कि आत्मिक शांति और मानसिक स्थिरता भी प्रदान करता है।

यदि आप बजरंग बाण (Bajrang Baan) का पाठ करने का इच्छुक हैं, तो आपको यह सलाह दी जाती है कि आप इसे किसी योग्य और अनुभवी व्यक्ति के मार्गदर्शन में या किसी पवित्र पुस्तक से सही विधि और नियमों का पालन करते हुए करें।

  1. सूर्योदय से पहले उठना: पाठ करने के लिए सूर्योदय से पहले उठना चाहिए, जिससे शुद्धता और ताजगी के साथ पूजा शुरू की जा सके।
  2. स्नान और ध्यान: स्नान करके शारीरिक और मानसिक शुद्धि सुनिश्चित करें। ध्यान द्वारा मन को एकाग्र करें ताकि पूजा में मन पूरी तरह से लग सके।
  3. हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना: पूजा स्थल पर हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर को सम्मान के साथ स्थापित करें।
  4. कुश के आसन पर बैठना: कुशा आसन पर बैठने से आपकी ऊर्जा धरती में नहीं जाती है और आपकी साधना में सहायता मिलती है।
  5. संकल्प लेना: पाठ करने से पहले संकल्प लें, जिसमें आप अपने उद्देश्य और प्रार्थना को स्पष्ट करें।
  6. पूजाअर्चना: हनुमान जी को धूप, दीप, और फूल चढ़ाएं। इससे आपकी पूजा में और भी अधिक श्रद्धा जुड़ती है।
  7. पाठ करना: रुद्राक्ष की माला का उपयोग करते हुए निर्धारित बार बजरंग बाण (Bajrang Baan) का पाठ करें।
  8. शब्दों का सही उच्चारण: पाठ के दौरान शब्दों के उच्चारण पर ध्यान दें, क्योंकि इससे आपकी पूजा की शक्ति और प्रभाव बढ़ता है।
  9. प्रसाद चढ़ाना: हनुमान जी को चूरमा, लड्डू, और फल जैसे प्रसाद चढ़ाएं।

इन नियमों का पालन करके आप बजरंग बाण (Bajrang Baan) के पाठ से अधिकतम लाभ उठा सकते हैं और हनुमान जी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

दोहा

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥

दोहे का अर्थ है: “निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।” – जो व्यक्ति दृढ़ विश्वास और प्रेम के साथ विनम्रता और सम्मान के भाव से प्रार्थना करता है, “तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥” – उसके सभी कार्य शुभ और सफल होते हैं, भगवान हनुमान उसकी सहायता करते हैं।

इस दोहे में भक्त और भगवान के बीच गहरे प्रेम और विश्वास की भावना को व्यक्त किया गया है। यह बताता है कि कैसे भक्ति और समर्पण के माध्यम से ईश्वर की कृपा प्राप्त की जा सकती है और कैसे भगवान हनुमान अपने भक्तों की सहायता के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।


चौपाई

जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।।

इसका अर्थ है: “जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।।” – हे प्रभु हनुमान, जो संतों के हितैषी हैं, कृपया हमारी प्रार्थना सुनें।

जन के काज विलम्ब कीजै। आतुर दौरि महासुख दीजै।।

इसका अर्थ है: “जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महासुख दीजै।।” – हे प्रभु, लोगों के कार्यों में विलम्ब न करें। तुरंत आकर उन्हें महान सुख प्रदान करें।

जैसे कूदि सिन्धु महि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।

इसका अर्थ है: “जैसे कूदि सिन्धु महि पारा।” – जिस प्रकार से उन्होंने समुद्र को छलांग लगाकर पार किया। “सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।” – और सुरसा के मुख में प्रवेश करने के बाद अपना आकार विस्तारित किया।
आगे जाई लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।

इसका अर्थ है: “आगे जाई लंकिनी रोका।” – जब वे आगे बढ़े, तो लंका की रक्षिका लंकिनी ने उन्हें रोका। “मारेहु लात गई सुर लोका।।” – हनुमान ने उसे लात मारी, और वह स्वर्ग लोक में चली गई।

जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा।।

इसका अर्थ है: “जाय विभीषण को सुख दीन्हा।” – हनुमान ने विभीषण के पास जाकर उन्हें सुख प्रदान किया। “सीता निरखि परमपद लीन्हा।।” – माता सीता के दर्शन करके उन्होंने परमपद (उच्चतम स्थान) प्राप्त किया।

बाग़ उजारि सिन्धु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा।।

इसका अर्थ है: “बाग़ उजारि सिन्धु महँ बोरा।” – उन्होंने लंका के बाग़ को उजाड़ दिया और समुद्र में विनाश किया। “अति आतुर जमकातर तोरा।।” – और बहुत ही आतुरता से यम के डर को तोड़ दिया।

अक्षयकुमार को मारि संहारा। लूम लपेट लंक को जारा।।

इसका अर्थ है: “अक्षयकुमार को मारि संहारा।” – हनुमान ने अक्षयकुमार को मारकर संहार किया। (अक्षयकुमार रावण का पुत्र था, जिसे हनुमान ने युद्ध में मार दिया।) “लूम लपेट लंक को जारा।।” – फिर उन्होंने अपनी पूँछ को आग लगाकर लंका को जला दिया।

लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर में भई।।

इसका अर्थ है: “लाह समान लंक जरि गई।” – लाह (लाख) की तरह, लंका जल कर राख हो गई। “जय जय धुनि सुरपुर में भई।।” – इस विजय की जय जयकार देवलोक (स्वर्ग) में भी हुई।

अब विलम्ब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु उर अन्तर्यामी।।

इसका अर्थ है: “अब विलम्ब केहि कारण स्वामी।” – हे स्वामी, अब किस कारण से विलंब हो रहा है? “कृपा करहु उर अन्तर्यामी।।” – हे अंतर्यामी (जो हृदय में विद्यमान हैं), कृपया अपनी कृपा करें।

जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होय दुख हरहु निपाता।।

इसका अर्थ है: “जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता।” – विजयी हो, विजयी हो, हे लक्ष्मण के प्राणों के दाता। “आतुर होय दुख हरहु निपाता।।” – जब भी कोई आतुर हो, आप उसके दुखों को तुरंत हर लेते हैं।

जै गिरिधर जै जै सुखसागर। सुर समूह समरथ भटनागर।।

“जै गिरिधर” भगवान कृष्ण के लिए एक नाम है, जिसका अर्थ है ‘पर्वत उठाने वाला’, यहाँ हनुमान जी की स्तुति के संदर्भ में उनके दैवी गुणों की प्रशंसा की जा रही है। “सुखसागर” यानी सुखों का सागर, उन्हें सुख का अनंत स्रोत माना जाता है। “सुर समूह समरथ भटनागर” उन्हें देवताओं के समूह में सबसे सक्षम योद्धा के रूप में वर्णित करता है।

हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहिंं मारु बज्र की कीले।।

यह हनुमान जी के संकल्प और शक्ति की प्रशंसा करती है। “हनु हनु हनुमंत हठीले” का अर्थ है कि वे अत्यंत दृढ़ संकल्पी हैं। “बैरिहिंं मारु बज्र की कीले” का अर्थ है कि वे अपने शत्रुओं को वज्र की कील की तरह मारते हैं, जो उनकी अपार शक्ति और युद्ध कौशल को दर्शाता है।

गदा बज्र लै बैरिहिं मारो। महाराज प्रभु दास उबारो।।

इसमें भगवान हनुमान से अनुरोध किया गया है कि वे अपने गदा और बज्र (वज्र) के साथ शत्रुओं का नाश करें और अपने दास (भक्त) की रक्षा करें।

ऊँकार हुंकार प्रभु धावो। बज्र गदा हनु विलम्ब लावो।।

यहाँ भगवान से कहा गया है कि वे “ऊँ” के नाद और हुंकार के साथ दौड़ें और अपनी गदा और बज्र का उपयोग करते हुए देरी न करें, अर्थात् तुरंत भक्तों की सहायता के लिए आगे आएं।

ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ऊँ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।।

इसमें भगवान हनुमान, जो कपियों के ईश्वर हैं, की शक्ति और विजय का जाप किया गया है। “ह्रीं” और “हुं” बीज मंत्र हैं जो उनकी दिव्य शक्तियों को आकर्षित करते हैं। “हनु अरि उर शीशा” का अर्थ है शत्रुओं के हृदय पर विजय प्राप्त करना।

सत्य होहु हरि शपथ पाय के। रामदूत धरु मारु जाय के।।

यहाँ भगवान हनुमान से अनुरोध किया गया है कि वे हरि (भगवान विष्णु या राम) की शपथ लेकर, अर्थात् उनकी आज्ञा से, सत्य को प्रकाश में लाएँ और राम के दूत के रूप में शत्रुओं पर विजय प्राप्त करें।

जय जय जय हनुमन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।

इसमें भगवान हनुमान की त्रिगुणात्मक जय को दोहराया गया है, जो उनकी असीम शक्ति और महिमा को दर्शाता है। “दुःख पावत जन केहि अपराधा” यह सवाल करता है कि उनकी उपस्थिति में, भक्तों को दुःख किस अपराध के लिए मिलता है, यानी उनके भक्तों को दुःख क्यों भोगना पड़ता है।

पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत हौं दास तुम्हारा।।

यह भक्त की विनम्रता को दर्शाता है, जो स्वीकार करता है कि वह भगवान हनुमान की उपासना के लिए आवश्यक पूजा, जप, तप, नियम और आचार (धार्मिक क्रियाएँ) को पूरी तरह से नहीं जानता। इसके बावजूद, वह खुद को भगवान हनुमान का दास (सेवक) मानता है।

वन उपवन, मग गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।

इसका अर्थ है कि चाहे जंगल हो, बगीचा हो, रास्ता हो या पर्वतीय क्षेत्र, भगवान हनुमान की शक्ति के कारण भक्त को कहीं भी डर नहीं लगता। उनकी उपस्थिति में भक्त सुरक्षित महसूस करता है।

पांय परों कर ज़ोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।
यहाँ भक्त विनम्रतापूर्वक भगवान हनुमान के चरणों में प्रार्थना करता है और उनसे अनुरोध करता है। “पांय परों” का अर्थ है चरणों में गिरना, और “कर ज़ोरि” का अर्थ है हाथ जोड़ना। भक्त यह सवाल करता है कि इस समय, वह किसे पुकारे अगर नहीं तो भगवान हनुमान को।

जय अंजनिकुमार बलवन्ता। शंकरसुवन वीर हनुमन्ता।।

यहाँ, हनुमान जी को अंजनि के पुत्र और बलवान के रूप में जयकार किया गया है। वे “शंकरसुवन” यानी भगवान शिव के अवतार और एक महान वीर के रूप में भी जाने जाते हैं।

बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक।।

इसमें हनुमान जी के भयानक रूप का वर्णन है, जो काल (मृत्यु) के कुल का नाश करने वाला है, यानी वे जीवन और मृत्यु के चक्र पर विजय प्राप्त करने वाले हैं। “राम सहाय सदा प्रतिपालक” बताता है कि वे भगवान राम के सहायक और सदैव उनकी रक्षा करने वाले हैं।

भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बेताल काल मारी मर।।

इसमें विभिन्न प्रकार की नकारात्मक और बुरी शक्तियों का उल्लेख है, जैसे कि भूत, प्रेत, पिशाच, निशाचर (रात में घूमने वाले दुष्ट आत्माएँ), अग्नि बेताल, और काल मारी मर (मृत्यु और बीमारी के प्रतीक)।

इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की।।

भक्त भगवान हनुमान से भगवान राम की शपथ लेकर इन सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश करने की प्रार्थना करते हैं। यहाँ “राखु नाथ मरजाद नाम की” का अर्थ है कि वे भगवान राम के नाम की मर्यादा (आदर और महत्व) की रक्षा करें।

जनकसुता हरिदास कहावौ। ताकी शपथ विलम्ब लावो।।

इसमें भगवान हनुमान को जनकसुता (सीता माता) का हरिदास (भगवान विष्णु या श्रीराम का सेवक) कहा गया है, और उनसे अनुरोध किया गया है कि वे सीता माता की शपथ पर देरी न करें, अर्थात् उनके भक्तों की सहायता में किसी भी प्रकार की देरी न करें।

जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा।।

यहाँ बताया गया है कि जब भगवान हनुमान की जयकार की ध्वनि आकाश में गूंजती है, तो उसके स्मरण मात्र से कठिन से कठिन दुःख का नाश हो जाता है। यह उनकी दिव्य शक्ति और भक्तों के प्रति उनकी कृपा को दर्शाता है।

चरण शरण कर ज़ोरि मनावौ। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।

इसका अर्थ है, “मैं आपके चरणों में शरण लेकर, हाथ जोड़कर विनती करता हूँ। इस समय, मैं और किसे पुकारूं?”
उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई। पांय परों कर ज़ोरि मनाई।।

इसका अर्थ है, “उठो, कृपया उठो और चलो, मैं तुम्हें भगवान राम की दुहाई देता हूँ। मैं तुम्हारे चरणों में गिरता हूँ और हाथ जोड़कर विनती करता हूँ।” चं चं चं चं चपत चलंता। ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता।।

यह मंत्र भगवान हनुमान की गतिशीलता और तत्परता को व्यक्त करता है, उनकी त्वरित क्रिया और सक्रियता को दर्शाता है।

ऊँ हँ हँ हांक देत कपि चंचल। ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल।।
यह मंत्र भगवान हनुमान की शक्ति और प्रभाव को व्यक्त करता है, जिससे दुष्ट और बुरी शक्तियाँ डरती और सहमती हैं।
अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होय आनन्द हमारो।।

यह बजरंग बाण जेहि मारै। ताहि कहो फिर कौन उबारै।।
इसका अर्थ है, “जिस पर यह बजरंग बाण (Bajrang Baan) चलाया जाता है, उसे फिर कौन बचा सकता है?” यहाँ बजरंग बाण (Bajrang Baan) की अद्भुत शक्ति की ओर इशारा किया गया है, जिसका प्रभाव इतना महान है कि उससे बचने का कोई उपाय नहीं है।

पाठ करै बजरंग बाण (Bajrang Baan) की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।।

इसका अर्थ है, “जो बजरंग बाण (Bajrang Baan) का पाठ करता है, हनुमानजी उसके प्राणों की रक्षा करते हैं।” यह पंक्ति बजरंग बाण (Bajrang Baan) के पाठ के महत्व को बताती है और यह दर्शाती है कि हनुमानजी अपने भक्तों की सुरक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।

यह बजरंग बाण (Bajrang Baan) जो जापै। ताते भूत प्रेत सब काँपै।।

इसका अर्थ है, “जो व्यक्ति बजरंग बाण (Bajrang Baan) का जाप करता है, उससे सभी भूत-प्रेत काँपते हैं।” यह बजरंग बाण (Bajrang Baan) की शक्ति को दर्शाता है, जिसके प्रभाव से नकारात्मक और बुरी शक्तियाँ भी डर के मारे काँपती हैं।

धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तन नहिं रहै कलेशा।।

इसका अर्थ है, “जो सदैव धूप देकर बजरंग बाण (Bajrang Baan) का जाप करता है, उसके शरीर में कोई क्लेश नहीं रहता।” यह पंक्ति नियमित रूप से बजरंग बाण (Bajrang Baan) के जाप और धूप अर्पित करने के महत्व को बताती है, जिससे व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार के दुःख और क्लेश दूर होते हैं।


दोहा

प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान।

इसका अर्थ है, “जो प्रेम और विश्वास के साथ कपि (हनुमान) की भक्ति करते हैं, वे सदैव अपने हृदय में उनका ध्यान रखते हैं।” यह पंक्ति भक्ति की गहराई और भगवान हनुमान के प्रति निष्ठावान भक्ति के महत्व को बताती है।

” तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान।। “

इसका अर्थ है, “उनके सभी कार्य सुभ और सिद्ध होते हैं, हनुमान उन्हें पूरा करते हैं।” यह पंक्ति भगवान हनुमान की दिव्य शक्ति और उनके भक्तों के प्रति सहायता की गारंटी को व्यक्त करती है।

बजरंग बाण (Bajrang Baan) का पाठ हिन्दू धर्म में विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसके कई लाभ हैं। यह हनुमान जी के प्रति गहरी भक्ति, उनकी अपार शक्ति और ऊर्जा को समर्पित है। बजरंग बाण (Bajrang Baan) के नियमित पाठ से जुड़े कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:

  1. मंगल दोष से मुक्ति: बजरंग बाण (Bajrang Baan) के पाठ से कुंडली में मौजूद मंगल दोष के नकारात्मक प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है।
  2. शत्रुओं से रक्षा: इसके पाठ से व्यक्ति को शत्रुओं के भय से मुक्ति मिलती है और उसे जीवन में विजयी बनाता है।
  3. भय और चिंता से मुक्ति: बजरंग बाण (Bajrang Baan) के पाठ से व्यक्ति के मन से भय और चिंता का निवारण होता है, जिससे वह अधिक स्थिर और शांत रह सकता है।
  4. रोगों से छुटकारा: यह स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याओं और रोगों से मुक्ति दिलाने में भी सहायक होता है।
  5. आत्मिक शक्ति में वृद्धि: नियमित पाठ से व्यक्ति की आत्मिक शक्ति और आत्म-विश्वास में वृद्धि होती है।
  6. मंगलवार के दिन का महत्व: मंगलवार को हनुमान जी का दिन माना जाता है, और इस दिन बजरंग बाण (Bajrang Baan) का पाठ करने से विशेष लाभ मिलते हैं।
    पाठ करते समय कुछ नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण है, जैसे कि पवित्रता बनाए रखना, नियमित रूप से पाठ करना, और समर्पण के साथ पाठ करना। इन नियमों का पालन करने से पाठ का पूर्ण लाभ प्राप्त होता है।

Pitra Visarjan kab hai

Pitra Visarjan kab hai 2024

श्राद्ध: एक जीवन का सत्य श्राद्ध शब्द का अर्थ है…

Read More
Shri Hari Stotram

Shri Hari Stotram

॥ श्री हरि स्तोत्रम् ॥ जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालंशरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालं नभोनीलकायं दुरावारमायंसुपद्मासहायम्…

Read More
Sudarshana Mantra

Sudarshana Mantra

श्री सुदर्शन अष्टकम स्तोत्र भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र की…

Read More

Leave a comment