त्राटक क्रिया: एक प्राचीन ध्यान तकनीक

भटकता हुआ या कहें विचलित मन मानसिक एकाग्रता को भंग कर देता है। यह न केवल व्यक्ति के बोध की अवस्था को प्रभावित करता है, बल्कि उसकी चेतना में अस्थिरता आने से आंतरिक शक्तियां कमजोर पड़ जाती हैं। आध्यात्म और धार्मिक अनुष्ठान के जरिए महत्वपूर्ण तरीका ‘त्राटक’ की सिद्धि और साधना के द्वारा इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। यदि कुछ नियमों का पालन करते हुए शास्त्रों में बताए गए प्रयोग किए जाएं तो इसकी सिद्धि संभव है।

त्राटक साधना भारतीय योग और ध्यान परंपरा का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो हठ योग और ग्रंथों में वर्णित है। इस साधना का उल्लेख ग्रंथ समिता में भी मिलता है। त्राटक का अर्थ है बिना पलक झपकाए किसी एक लक्ष्य को देखते रहना। यह तकनीक न केवल हमारी आंखों को स्वस्थ रखती है, बल्कि मानसिक एकाग्रता और ध्यान की शक्ति को भी बढ़ाती है।

त्राटक साधना क्या है?

त्राटक एक मेडिटेशन तकनीक है, जिसमें हम किसी एक बिंदु या वस्तु पर ध्यान केंद्रित करते हैं। जब तक हमारी आंखों से आंसू ना आ जाएं, तब तक बिना पलक झपकाए उस बिंदु को देखते रहना त्राटक कहलाता है। यह तकनीक हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है।

त्राटक के लाभ

त्राटक साधना से अगर शरीर की सुप्त शक्तियां जागृत हो जाती हैं और निर्मल-निरोगी काया में सम्मोहन, आकर्षण और वशीकरण जैसे भाव भी समाहित हो जाते हैं। इस अनुसार त्राटक का वास्तविक रूप अपनी चेतना को भटकने से रोकने के संघर्ष में जीत हासिल कर लेती है। आइए, जानते हैं कुछ ऐसी विधियों के बारे में जिनसे इस शक्ति को हासिल कर विचार-प्रक्रिया को मजबूत बनाया जा सकता है।

  1. मानसिक एकाग्रता बढ़ाना: त्राटक साधना से हमारी ध्यान केंद्रित करने की शक्ति बढ़ती है। इससे हमारे मानसिक विचारों को नियंत्रित करना आसान होता है।
  2. आंखों की सेहत: यह साधना हमारी आंखों को स्वस्थ रखती है और उनकी मांसपेशियों को मजबूत बनाती है।
  3. दिव्य दृष्टि: ग्रंथ समिता में उल्लेख है कि त्राटक के माध्यम से दिव्य दृष्टि प्राप्त की जा सकती है, जिससे हमें अलौकिक शक्तियों की अनुभूति हो सकती है।
  4. प्राणिक ऊर्जा: त्राटक से हमारी प्राणिक ऊर्जा संतुलित होती है, जिससे हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

त्राटक साधना के प्रकार

‘त्रि’ और ‘टकटकी बंधने’ से मिलकर बना शब्द त्राटक वास्तव में त्र्याटक है, जिसके विश्लेषण में कहा गया है कि जब कोई व्यक्ति किसी वस्तु पर अपनी नजर और मन को बांध लेता है, तो वह क्रिया त्राटक कहलाती है। उस वस्तु को कुछ समय तक देखने पर द्वाटक और उसे लगातार लंबे समय तक देखते रहना ही त्राटक है। इसके लिए दृष्टि की शक्ति को जाग्रत करते हुए मजबूत बनानी होती है। यह क्रिया हठ योग के अंतरगत आती है। यह कहें कि त्राटक से किसी वस्तु को अपलक देखते रहने की अद्भुत शक्ति हासिल होती है। ऐसी स्थिति में एकाग्रता आती है और मन का भटकाव नहीं होने पाता है।

1. बिंदु त्राटक

यह त्राटक साधना का एक आसान तरीका है, जिसके द्वारा इस क्रिया की शुरुआत की जाती है। इसके लिए किसी वस्तु, जैसे पेंसिल, फूल या कोई छोटी वस्तु को एकटक देखकर साधना की जाती है। इसे सिद्ध करने वाले व्यक्ति में ऐसी शक्ति आ जाती है कि वह अपने विचारों से दूसरों के मन में पहुंच जाता है और वह व्यक्ति वशीभूत हो जाता है। इस तरह से वशीकरण होने पर दूसरों के मनोभावों या विचारों को पढ़ा-समझा जा सकता है। इसकी मुख्य बात यह है कि इसके लिए किसी भी तरह के तंत्र-मंत्र संबंधी अनुष्ठान आदि नहीं किए जाते हैं। यह एक तरह से आभासी ज्ञान, वशीकरण की अद्भुत शक्ति, प्रभाव, तेज और आत्मविश्वास को बढ़ा देता है।

प्रक्रिया:

  • एक वर्गफूट के आकार का एक सफेद कागज लें, जो ड्राइंग पेपर हो सकता है।
  • उसके बीच में काली स्याही से भरा हुआ तीन इंच व्यास का एक वृत बना लें।
  • उस पेपर को अपने बैठने वाले आसन के सामने करीब तीन फीट की दूरी लिए हुए कमरे की दीवार पर इस तरह से टांग दें कि उसका वृत्त आपकी आंखों के ठीक सामने रहे।
  • कमरे में हल्की रोशनी होनी चाहिए।
  • इस प्रयोग को रात्रि के समय शांत वातावरण में करने से अच्छा रहता है।
  • उस वृत्त पर तब तक दृष्टि जमाए रहें जब तक कि उस पर कोई चमकीली न दिखने लगे। जैसे-जैसे एकाग्रता बढ़ेगी, वृत्त का कालापन खत्म होता चला जाएगा और एक स्थिति ऐसी भी आएगी जब वह एकदम से गायब ही हो जाएगा।
  • इस अभ्यास को प्रतिदिन पंद्रह मिनट तक करते हुए लगातार 51 दिनों तक करने के बाद त्राटक साधना की सिद्धि प्राप्त हो जाती है। इस दौरान मन में बाहरी विचारों को नहीं आने देना चाहिए।

2. ज्योति त्राटक

इसकी सिद्धि रात्रि या घुप्प अंधेरे में प्रतिदिन करीब एक निश्चित समय पर बीस मिनट तक कर प्राप्त की जा सकती है। इस साधना के दौरान किसी भी प्रकार की बाधा या अशांति नहीं पैदा होनी चाहिए। ढीले-ढाले परिधानों में आसन लगाकर करीब तीन फुट की दूरी पर एक दीपक या मोमबत्ती को जलाकर उपासना की जानी चाहिए। ध्यान रहे दीपक या मोमबत्ती की लौ में हवा या दूसरी वजहों से कंपन नहीं होने पाए या वह ध्यान के बीच में ही बुझे नहीं। उसे लौ की ज्योति या कहें मधुर प्रकाश पुंज को स्थिर आंखों से एकाग्रता के साथ देखना चाहिए। आंखों की पलकें नहीं झपकनी चाहिए। ऐसा तब तक करना चाहिए, जब तक कि आंखों में किसी भी तरह की पीड़ा या असहनशीलता की स्थिति नहीं आए।

प्रक्रिया:

  • ढीले-ढाले परिधान पहनकर एक आरामदायक आसन पर बैठें।
  • अपने सामने तीन फुट की दूरी पर एक दीपक या मोमबत्ती जलाएं।
  • कमरे में कोई बाहरी शोर या व्यवधान न हो।
  • दीपक या मोमबत्ती की स्थिर लौ को एकाग्रता से देखें।
  • आंखों की पलकें नहीं झपकनी चाहिए।
  • ऐसा तब तक करें, जब तक कि आंखों में असहनशीलता न हो।
  • नियमित अभ्यास से लौ का तेज बढ़ेगा और ध्यान के दौरान लौ के अतिरिक्त कुछ भी नहीं दिखेगा। संकल्पित कार्य या व्यक्ति की आकृति दिखेगी।

3. दर्पण त्राटक

इस तरीके में दर्पण का उपयोग किया जाता है, जिसमें अभ्यास के दौरान चेहरा नहीं दिखता है। इस साधना के दौरान व्यक्ति की स्थिति गहन ध्यान अर्थात शून्य में विचरण की होती है और उसके द्वारा विचारी जाने वाली बातें साकार होने लगती हैं। इस साधना को संपन्न करने वाला व्यक्ति के चेहरे पर जहां तेज और आत्मविश्वास झलकता है, वहीं लंबे समय तक विचारशून्य बना रहता है। वह किसी को भी आसानी से सम्मोहित या वशीभूत कर लेता है।

प्रक्रिया:

  • दर्पण का आकार आठ इंच लंबा और छह इंच चौड़ा होना चाहिए।
  • दर्पण के सामने इस तरह बैठें कि उसमें केवल आपकी दोनों आंखों की पुतली ही दिखाई दे।
  • दर्पण को एकटक से निहारते समय अपनी सांसों को नियंत्रित रखें। सांसों का उतार-चढ़ाव एकाग्रता को भंग कर सकता है।
  • दर्पण में दिखने वाली सिर्फ पुतली पर ध्यान दें, न कि दर्पण की फ्रेम या आस-पास की दीवारों पर।
  • यह त्राटक लंबे समय तक प्रभावकारी रह सकता है। इस दौरान समय का अंदाजा लगाना मुश्किल है।
  • दर्पण त्राटक से आत्मविश्वास, विचार शून्यता, सम्मोहन और प्राण ऊर्जा के अभ्यास किए जा सकते हैं।

त्राटक साधन के लिए खुद को अगर नियमों से बंधना होगा, तो इसे अपने सदगुरुदेव की फोटो, उगते सूर्य, मोमबत्ती या दीपक की लौ, कोई यंत्र, दीवार या सफेद कागज पर बना बिंदु आदि को देखकर किया जा सकता है। इसके लिए आंखों की स्वस्थता का होना अति आवश्यक है। इससे आंखों और मस्तिष्क के भीतर गर्मी बढ़ जाती है और अधिक देर तक करने से आंखों से आंसू तक निकल आते हैं। इस स्थिति में अभ्यास थोड़े समय के लिए रोक देना चाहिए।

त्राटक के लिए सुझाव

  1. धैर्य रखें: त्राटक में धैर्य और संयम बहुत महत्वपूर्ण है।
  2. नियमितता: इसे नियमित रूप से करें, ताकि आपको इसके लाभ मिल सकें।
  3. सहज रहें: किसी भी प्रकार का दबाव या तनाव ना लें, आरामदायक मुद्रा में बैठें।
  4. दिशा-निर्देश का पालन: बिना गुरु के मार्गदर्शन में एडवांस त्राटक ना करें।

त्राटक साधना एक शक्तिशाली ध्यान विधि है जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। इसके नियमित अभ्यास से आत्मविश्वास, एकाग्रता और आंतरिक शक्तियों में वृद्धि होती है। त्राटक साधना के विभिन्न प्रकारों को अपनाकर आप अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं और मानसिक शांति प्राप्त कर सकते हैं।

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त्राटक साधना क्या है?

त्राटक साधना भारतीय योग और ध्यान परंपरा का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसमें बिना पलक झपकाए किसी एक बिंदु या वस्तु पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। यह मानसिक एकाग्रता और ध्यान की शक्ति को बढ़ाने में मदद करती है।

त्राटक साधना से क्या लाभ होते हैं?

त्राटक साधना से मानसिक एकाग्रता बढ़ती है, आंखों की सेहत में सुधार होता है, दिव्य दृष्टि प्राप्त की जा सकती है, और प्राणिक ऊर्जा संतुलित होती है जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

त्राटक साधना के कितने प्रकार होते हैं और वे कौन-कौन से हैं?

त्राटक साधना के मुख्य तीन प्रकार होते हैं:
बिंदु त्राटक: किसी एक बिंदु पर ध्यान केंद्रित करना।
ज्योति त्राटक: दीपक या मोमबत्ती की लौ पर ध्यान केंद्रित करना।
दर्पण त्राटक: दर्पण में अपनी आंखों की पुतली पर ध्यान केंद्रित करना।

बिंदु त्राटक साधना कैसे की जाती है?

बिंदु त्राटक साधना के लिए एक सफेद कागज पर तीन इंच व्यास का काला वृत्त बनाकर उसे दीवार पर टांगें। हल्की रोशनी में उस वृत्त पर ध्यान केंद्रित करें और यह प्रक्रिया प्रतिदिन पंद्रह मिनट तक करें। 51 दिनों तक नियमित अभ्यास के बाद त्राटक साधना की सिद्धि प्राप्त होती है।

त्राटक साधना के दौरान किन विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए?

त्राटक साधना के लिए आंखों की स्वस्थता अति आवश्यक है। इस साधना को उगते सूर्य, मोमबत्ती, दीपक की लौ, या सफेद कागज पर बने बिंदु को देखकर किया जा सकता है। आंखों से आंसू आने की स्थिति में अभ्यास थोड़े समय के लिए रोक देना चाहिए।

त्राटक साधना के माध्यम से क्या-क्या प्राप्त किया जा सकता है?

त्राटक साधना के माध्यम से मानसिक एकाग्रता, दिव्य दृष्टि, सम्मोहन, आकर्षण, वशीकरण, आत्मविश्वास, और प्राणिक ऊर्जा में वृद्धि होती है।

त्राटक साधना का समग्र लाभ क्या है?

त्राटक साधना मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। इसके नियमित अभ्यास से आत्मविश्वास, एकाग्रता और आंतरिक शक्तियों में वृद्धि होती है, जिससे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और मानसिक शांति प्राप्त की जा सकती है।





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