हनुमान प्रणाम: Hanuman Pranam
“मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शिरसा नमामि॥” “शान्तं शाश्वतम प्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं,ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम्।रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं,वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम्॥” यह श्लोक भगवान हनुमान की स्तुति में है, जिसमें उनके अद्भुत गुणों और शक्तियों का वर्णन किया गया है। इस श्लोक का मूल अर्थ और व्याख्या इस प्रकार है: श्लोक का अनुवाद और … Read more