गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र – श्री विष्णु (Gajendra Moksham Stotram)

गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र – श्री विष्णु (Gajendra Moksham Stotram) श्लोक 1: श्री शुक उवाच – एवं व्यवसितो बुद्ध्या समाधाय मनो हृदि । जजाप परमं जाप्यं प्राग्जन्मन्यनुशिक्षितम ॥१॥ अर्थ: शुकदेव जी कहते हैं कि गजेंद्र ने अपने मन को हृदय में स्थिर करके, जिसे वह पूर्वजन्म में सीखा था, वह परम जाप्य (मंत्र) का जप किया। … Read more