सर्वे भवन्तु सुखिनः ।

Sarve Bhavantu Sukhinah

यह शांति मंत्र है जो सभी प्राणियों के कल्याण और सुख की कामना करता है। यह मंत्र विश्वशांति, स्वास्थ्य, और सभी के लिए सुखद जीवन की कामना करता है। यह समग्र कल्याण की भावना को दर्शाता है और यह याद दिलाता है कि हमें सभी के लिए शुभ कामनाएँ भेजनी चाहिए, चाहे वे कोई भी … Read more

सपने में शिवलिंग देखना

sapne mein shivling dekhna

सपने में शिवलिंग देखना, हिंदू धर्म में एक शुभ संकेत माना जाता है। शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक है, जो शक्ति है, पवित्रता है, और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है। यदि आपने सपने में शिवलिंग देखा है, तो ये काई तरह के अर्थ हो सकते हैं: शुभ संकेत: सपने में शिवलिंग देखना शुभ माना जाता … Read more

Saraswati Vandana- सरस्वती वंदना

सरस्वती वंदना मंत्र देवी सरस्वती की पूजा और स्तुति के लिए गाए जाने वाले मंत्र हैं। देवी सरस्वती को ज्ञान, संगीत, कला, और विद्या की हिन्दू देवी माना जाता है। यहाँ एक प्रसिद्ध सरस्वती वंदना मंत्र दिया जा रहा है: या कुन्देन्दुतुषारहारधवलाया शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता सा मां पातु … Read more

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥हे नाथ नारायण…॥पितु मात स्वामी, सखा हमारे,हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥हे नाथ नारायण…॥॥ श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी…॥ बंदी गृह के, तुम अवतारीकही जन्मे, कही पले मुरारीकिसी के जाये, किसी के कहायेहै अद्भुद, हर बात तिहारी ॥है अद्भुद, हर बात तिहारी ॥गोकुल में चमके, मथुरा के तारेहे … Read more

श्री राम स्तुति

श्री राम स्तुति

॥दोहा॥ श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमनहरण भवभय दारुणं ।नव कंज लोचन कंज मुखकर कंज पद कंजारुणं ॥१॥ कन्दर्प अगणित अमित छविनव नील नीरद सुन्दरं ।पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचिनोमि जनक सुतावरं ॥२॥ भजु दीनबन्धु दिनेश दानवदैत्य वंश निकन्दनं ।रघुनन्द आनन्द कन्द कोशलचन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥ शिर मुकुट कुंडल तिलकचारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।आजानु भुज शर चाप धरसंग्राम जित … Read more

नेत्र संबंधी रोग से मुक्ति एवं दृस्टि बढ़ाने वाला मन्त्र

Netra Rog Mukti Mantra

प्रस्तुत मंत्र नेत्र स्वास्थ्य और ज्योति के संरक्षण के लिए एक आध्यात्मिक उपाय प्रस्तुत करता है। यह मंत्र ऋग्वेद के 10वें मण्डल के 158वें सूक्त से लिया गया है और सूर्यदेव से उत्तम चक्षु (आंखें) प्रदान करने की प्रार्थना करता है। इसका उच्चारण और अभ्यास न केवल नेत्र संबंधी कष्टों से मुक्ति पाने में मदद … Read more

Chatushloki Bhagwat- चतुश्लोकी भागवत अर्थ सहित

Chatushloki Bhagwat

“चतुःश्लोकी भागवत” अहमेवासमेवाग्रे नान्यद यत् सदसत परम। पश्चादहं यदेतच्च योऽवशिष्येत सोऽस्म्यहम।। ऋतेऽर्थ यत् प्रतीयेत न प्रतीयेत चात्मनि। तद्विद्यादात्मनो माया यथाऽऽभासो यथा तमः।। यथा महान्ति भूतानि भूतेषुच्चावचेष्वनु। प्रविष्टान्यप्रविष्टानि तथा तेषु न तेषवहम।। एतावदेव जिज्ञास्यं त्वजिज्ञासुनाऽऽत्मनः। अन्वयव्यतिरेकाभ्यां यत् स्यात् सर्वत्र सर्वदा।। “चतुःश्लोकी भागवत” पुराण के माध्यम से ब्रह्माजी को भगवान नारायण ने सम्पूर्ण भागवत-तत्व का उपदेश दिया … Read more

काल भैरव अष्टक

Kaal Bhairav Ashtak

||काल भैरव अष्टक || देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ १॥ भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ २॥ शूलटंकपाशदण्डपाणिमादिकारणं श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ३॥ भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् ।विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥ ४॥ धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशनं कर्मपाशमोचकं सुशर्मधायकं विभुम् ।स्वर्णवर्णशेषपाशशोभितांगमण्डलं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ५॥ रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् … Read more

श्रीमद् भगवद्गीता- यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत

Yada yada hi dharmasya

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।। श्रीमद्भगवद्गीता, हिन्दू धर्म के महाकाव्य महाभारत का एक हिस्सा है, जो भारतीय संस्कृति और दर्शन के सबसे प्रमुख ग्रंथों में से एक माना जाता है। इसमें 18 अध्याय और कुल 700 श्लोक हैं। श्रीमद्भगवद्गीता में, भगवान कृष्ण और अर्जुन के बीच कुरुक्षेत्र के युद्धभूमि पर हुई … Read more

अमोघ शिव कवच

Amogh Shiv Kavach

अमोघ शिव कवच हिन्दू धर्म में एक आध्यात्मिक और शक्तिशाली सुरक्षात्मक स्तोत्र है, जो भगवान शिव की अद्भुत शक्तियों को समर्पित है। इसे उन भक्तों द्वारा पढ़ा जाता है जो जीवन में आने वाली विभिन्न समस्याओं और बाधाओं से सुरक्षा और मुक्ति पाने की इच्छा रखते हैं। अमोघ शिव कवच का अर्थ है वह कवच … Read more