“मां जगदंबा शाबर साधना मंत्र” हिन्दू धर्म में देवी जगदंबा, जिन्हें दुर्गा, काली, लक्ष्मी, सरस्वती आदि विभिन्न रूपों में पूजा जाता है, की साधना के लिए एक विशेष प्रकार का मंत्र हो सकता है। शाबर मंत्र एक विशेष प्रकार के मंत्र होते हैं जो सीधे और सरल भाषा में लिखे जाते हैं और इनका उद्देश्य सीधे देवताओं या देवी-देवताओं से संपर्क स्थापित करना होता है।
॥ सातो सती शारदा, बारहा वर्ष कुमार, कति एक माई परमेश्वरी, चौदह भुवन द्वार, द्विपक्ष का निरमली, तेरहा देवी देव, अष्टभैरों तेरी पूजा करें, ग्यारहों रुद्र कर सेव, सोलह कला संपूर्णी, त्रिलोकी वश करे, दश अवतारा उतरी, पांचों रक्षा करे, नौ नाथ षट् दर्शनी, पंद्रह तिथि जान, चार युग में सुमरू, माता कर पूर्ण कल्याण ॥
मां जगदंबा शाबर साधना मंत्र की अर्थ सहित व्याख्या
यह मंत्र हिन्दू धर्म में देवी साधना से संबंधित एक शाबर मंत्र है, जो विभिन्न दिव्य शक्तियों और आयामों को सम्मिलित करता है। इस मंत्र का प्रत्येक भाग एक विशिष्ट आध्यात्मिक तत्व या सिद्धांत का प्रतिनिधित्व करता है। नीचे मंत्र की व्याख्या और अर्थ समझाया गया है:
- सातो सती शारदा: यह सप्त सती या सात महाविद्याओं में से एक, देवी शारदा (सरस्वती) को संदर्भित करता है। यह ज्ञान और शिक्षा की देवी का आह्वान करता है।
- बारहा वर्ष कुमार: यह 12 वर्षीय कुमार या युवा अवस्था के देवता का उल्लेख करता है, जो शुद्धता और ब्रह्मचर्य की आदर्श अवस्था को दर्शाता है।
- एक माई परमेश्वरी: एकमात्र दिव्य माता, सर्वोच्च देवी का उल्लेख। यह समस्त सृष्टि की आदि शक्ति को दर्शाता है।
- चौदह भुवन द्वार: चौदह लोकों के द्वार का संदर्भ, जो ब्रह्मांड के विभिन्न आयामों को दर्शाता है।
- द्विपक्ष का निरमली: दो पक्षों (शुक्ल और कृष्ण पक्ष) की शुद्धता को संदर्भित करता है, जो चंद्र मास के दो भाग होते हैं।
- तेरहा देवी देव: तेरह देवी और देवताओं का उल्लेख, जो विभिन्न दिव्य शक्तियों को संदर्भित करता है।
- अष्टभैरों तेरी पूजा करें: भैरव के आठ रूपों की पूजा, जो शिव के भयंकर और संरक्षक रूपों को दर्शाता है।
- ग्यारहों रुद्र कर सेव: रुद्र, जो शिव के एक रूप हैं, के ग्यारह रूपों की सेवा या पूजा।
- सोलह कला संपूर्णी: सोलह कलाओं की पूर्णता, जो पूर्ण विकसित चेतना और सृष्टि के विकास को दर्शाता है।
- त्रिलोकी वश करे: तीनों लोकों (स्वर्ग, पृथ्वी, पाताल) पर नियंत्रण या अधिकार स्थापित करना।
- दश अवतारा उतरी: विष्णु के दस अवतारों का आगमन, जो संसार के कल्याण के लिए अवतरित होते हैं।
- पांचों रक्षा करे: पांच तत्वों (आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी) की रक्षा करना।
- नौ नाथ षट् दर्शनी: नौ नाथों और छह दर्शनों (भारतीय दर्शन के छह स्कूल) का संदर्भ।
- पंद्रह तिथि जान: पंद्रह तिथियों का ज्ञान, जो पंचांग के अनुसार मास के दिनों को दर्शाता है।
- चार युग में सुमरू: चार युगों (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलियुग) में स्मरण किया जाना।
- माता कर पूर्ण कल्याण: माता (देवी) से समस्त सृष्टि के पूर्ण कल्याण की प्रार्थना।
यह मंत्र देवी के विभिन्न रूपों और शक्तियों की विशेषताओं को सम्मिलित करता है और साधक को उनकी शक्तियों और आशीर्वाद का आह्वान करने में मदद करता है।
मंत्र का जाप एक विशेष विधि के अनुसार करना होता है
- माता की मूर्ति या चित्र के सामने धूप-दीप जलाकर सवा लाख (125,000) बार इस मंत्र का जाप करने से मंत्र सिद्ध होता है।
- इसके बाद, किसी भी कार्य को प्रारंभ करने से पहले इस मंत्र का पांच बार उच्चारण करने से कार्य सफल होता है।
- यदि आप नियमित रूप से पूजा करते हैं, तो प्रतिदिन एक माला (जो कि आमतौर पर 108 बार जाप करने के लिए होती है) इस मंत्र का जाप अवश्य करें।
इस प्रकार की साधना करते समय यह महत्वपूर्ण है कि साधक का मन पवित्र और एकाग्र हो, और वह अपने आराध्य देवी या देवता के प्रति पूर्ण श्रद्धा और भक्ति रखे। यह भी सुनिश्चित करें कि आपके द्वारा की जा रही साधना किसी अनुभवी गुरु या आध्यात्मिक मार्गदर्शक के निर्देशानुसार हो, ताकि आप सुरक्षित रूप से और सही मार्ग पर आगे बढ़ सकें।
मां जगदंबा शावर साधना मंत्र के लाभ
मां जगदंबा की शाबर साधना और इसके मंत्रों के जाप से जुड़े लाभों की एक विस्तृत सूची हो सकती है, जिसमें आध्यात्मिक, मानसिक, और भौतिक लाभ शामिल हैं। यहाँ कुछ प्रमुख लाभ दिए गए हैं:
- आंतरिक शांति और संतुलन: मां जगदंबा की साधना से मन में शांति और आत्मिक संतुलन की भावना विकसित होती है। यह आत्मा को शांत करने और दैनिक जीवन की चुनौतियों का सामना करने की आंतरिक शक्ति प्रदान करता है।
- मानसिक ताकत और एकाग्रता: इस साधना का अभ्यास करने से मानसिक ताकत और एकाग्रता में वृद्धि होती है, जो साधक को जीवन के विभिन्न पहलुओं में बेहतर प्रदर्शन करने में सहायता करती है।
- सुरक्षा और संरक्षण: मां जगदंबा के मंत्रों का जाप करने से साधक को नकारात्मक ऊर्जाओं और बुरी दृष्टि से सुरक्षा प्रदान होती है। यह एक दिव्य संरक्षण कवच की तरह काम करता है।
- भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि: मां जगदंबा की साधना से भौतिक और आध्यात्मिक दोनों ही प्रकार की समृद्धि की प्राप्ति होती है। साधक के जीवन में सुख-समृद्धि, धन-धान्य में वृद्धि होती है।
- कर्मों की शुद्धि: मंत्र जाप से साधक के पापों और नकारात्मक कर्मों की शुद्धि होती है, जिससे उसके जीवन में नई सकारात्मकता और उत्थान का मार्ग प्रशस्त होता है।
- आत्म-विकास और उत्थान: इस साधना के माध्यम से साधक आत्म-ज्ञान और आत्म-विकास की यात्रा पर आगे बढ़ता है, जिससे उसका आध्यात्मिक उत्थान होता है।
- सफलता और सिद्धि: मां जगदंबा की साधना से साधक को जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता और सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं, जैसे कि शिक्षा, करियर, और व्यापार में।
ये लाभ प्राप्त करने के लिए, साधक को पूर्ण श्रद्धा, भक्ति और समर्पण के साथ साधना में लगना चाहिए। याद रखें कि ये लाभ व्यक्तिगत प्रयासों, भावना, और साधना की गहराई पर निर्भर करते हैं।
मां जगदंबा शावर साधना मंत्र PDF यहाँ से download करेंमाँ जगदंबा शाबर साधना मंत्र क्या है?
माँ जगदंबा शाबर साधना मंत्र हिन्दू धर्म में एक विशेष प्रकार का मंत्र है, जो देवी जगदंबा (जैसे कि दुर्गा, काली, लक्ष्मी, सरस्वती आदि) को समर्पित है। शाबर मंत्र सीधी और सरल भाषा में लिखे जाते हैं और देवी-देवताओं से सीधा संपर्क स्थापित करने का उद्देश्य रखते हैं।
माँ जगदंबा शाबर साधना मंत्र कैसे संरचित है?
यह मंत्र विभिन्न दिव्य शक्तियों और आयामों को समाहित करता है, प्रत्येक भाग एक विशिष्ट आध्यात्मिक तत्व या सिद्धांत का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें सप्त सती, बारह वर्षीय कुमार, सर्वोच्च देवी, चौदह लोक, दो पक्षों की शुद्धता, तेरह देवी-देवताओं, आठ भैरव की पूजा, ग्यारह रुद्रों की सेवा, सोलह कलाओं की पूर्णता, तीनों लोकों पर नियंत्रण, दस अवतार, पांच तत्वों की रक्षा, नौ नाथ और छह दर्शन, पंद्रह तिथियों का ज्ञान, और चार युगों में आशीर्वाद शामिल हैं।
क्या माँ जगदंबा शाबर साधना मंत्र नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा प्रदान करता है?
हाँ, मंत्र का जाप करने से दिव्य संरक्षण प्राप्त होता है, जो नकारात्मक ऊर्जाओं और बुरी नजर से सुरक्षा करता है।
माँ जगदंबा शाबर साधना मंत्र का अभ्यास कैसे करें?
मंत्र का जाप देवी की मूर्ति या चित्र के सामने धूप-दीप जलाकर 125,000 बार करें। किसी भी काम को शुरू करने से पहले इसे पांच बार उच्चारित करें। नियमित पूजा में प्रतिदिन एक माला इस मंत्र का जाप करें।