Shri Vishnu Stuti

Shri Vishnu Stuti

विष्णु मंत्र स्तुति शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम्।प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये।। मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥ शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशंविश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यंवन्दे विष्णु भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।। यं ब्रह्मा वरुणेन्द्ररुद्रमरुत: स्तुन्वन्ति दिव्यै: स्तवै-र्वेदै: साङ्गपदक्रमोपनिषदैर्गायन्ति यं सामगा:।ध्यानावस्थिततद्गतेन मनसा पश्यन्ति यं योगिनो-यस्तानं न विदु: सुरासुरगणा देवाय तस्मै नम:।। त्वमेव माता च पिता त्वमेव … Read more

शनिदेव के मंत्र और स्तोत्र

Shanidev ke mantra and strotam

भारतीय धर्म और संस्कृति में शनिदेव की महिमा अपरिमित है। शनिदेव का व्यक्तित्व और उनके प्रभाव का वर्णन अनेक पुराणों और शास्त्रों में मिलता है। शनि ग्रह को न्याय का देवता माना जाता है और उनकी पूजा-अर्चना विशेष महत्व रखती है। इस लेख में हम शनिदेव की महिमा, मंत्र और स्तोत्रों का गहन विवेचन करेंगे, … Read more

सर्व शत्रु नाशक मंत्र

Shatru Nasahk Mantra

जीवन में कभी-कभी हमें ऐसे लोगों का सामना करना पड़ता है जो हमारे विरोधी बन जाते हैं। यह दुश्मनी कई बार हमारी शांति को भंग कर देती है और हमारे जीवन में कई समस्याओं का कारण बन जाती है। यदि आप भी अपने जीवन में किसी शत्रु से परेशान हैं, तो इस लेख में बताए … Read more

Lalitha Sahasranamam

Lalitha Sahasranamam

ललिता सहस्रनाम ललिता सहस्रनाम हिंदू धर्म में एक पूजनीय और पवित्र ग्रंथ है, विशेष रूप से शक्ति संप्रदाय में, जो देवी ललिता त्रिपुरा सुंदरी की पूजा करता है। इसमें देवी के 1000 नाम शामिल हैं, जो उनके विभिन्न गुणों, विशेषताओं और पहलुओं का वर्णन करते हैं। यह पाठ ब्रह्माण्ड पुराण का हिस्सा है और इसे … Read more

Tarak mantra

Tarak mantra

संत श्री स्वामी समर्थ एक महान भारतीय संत और आध्यात्मिक गुरु थे। उनका जन्म, जीवन और कार्य विशेष रूप से महाराष्ट्र और कर्नाटक में प्रसिद्ध हैं। उन्हें “अक्कलकोट के स्वामी” के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने जीवन का प्रमुख हिस्सा अक्कलकोट, महाराष्ट्र में बिताया। स्वामी समर्थ के बारे में कई कथाएँ … Read more

कनकधारा स्तोत्र- Kanakdhara Strotam

Kanakdhara Strotam

कनकधारा स्तोत्र देवी लक्ष्मी को आकर्षित करने वाला मंत्र है। कहते है इसका पाठ करने से व्यक्ति को धन धान्य की कोई कमी नहीं रहती है। देवी ल्क्ष्मी कनकधारा स्तोत्र का नियमित और हर शुक्रवार को पाठ करने वाले को धनवान और ऐश्वर्यवान बना देती हैं। दरअसल यह देवी लक्ष्मी को आकर्षित करने वाला स्तोत्र … Read more

Mahamrityunjay Mantra- महामृत्युंजय मंत्र

Mahamrityunjay Mantra

महामृत्युंजय मंत्र, जिसे मृत्यु को जीतने वाला महान मंत्र कहा जाता है, त्रयंबकम मंत्र के नाम से भी जाना जाता है। यह ऋग्वेद का एक श्लोक है जो त्रयंबक (त्रिनेत्रों वाला) रुद्र (बाद में शिव के साथ जोड़ा गया) को संबोधित करता है। यह श्लोक यजुर्वेद में भी आता है। गायत्री मंत्र के साथ, यह … Read more

Maruti Stotra- मारुती स्तोत्र

Maruti Strota

मारुति स्तोत्रम् समर्थ गुरु रामदास जी द्वारा रचित एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है, जो भगवान हनुमान जी की महिमा का गुणगान करता है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से भक्तों को हनुमान जी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं, जिससे सभी प्रकार की समस्याएं और बाधाएं दूर हो जाती हैं। यहां पर पूरा मारुति … Read more

Ganapati Atharvashirsha

Ganapati Atharvashirsha

॥ श्री गणेशाय नम: ॥ ॐ भद्रं कर्णेभि शृणुयाम देवा: ।भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्रा: ॥स्थिरै रंगै स्तुष्टुवां सहस्तनुभि: ।व्यशेम देवहितं यदायु: ॥ १ ॥ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा: ।स्वस्ति न: पूषा विश्ववेदा: ।स्वस्ति न स्तार्क्ष्र्यो अरिष्ट नेमि: ॥स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ २ ॥ ॐ शांति: ॥ शांति: ॥ शांति: ॥ ॐ नमस्ते गणपतये। त्वमेव प्रत्यक्षं तत्वमसित्वमेव केवलं … Read more

Bhaktamar Stotra

Bhaktamar Stotra

भक्तामरस्तोत्रम् संस्कृत कालजयी महाकाव्य श्रीमन्मानतुङ्गाचार्य-विरचितम् भक्तामर-प्रणत-मौलि-मणि-प्रभाणा-मुद्योतकं दलित-पाप-तमो-वितानम् ।सम्यक्-प्रणम्य जिन प-पाद-युगं युगादा-वालम्बनं भव-जले पततां जनानाम् ॥1॥ य: संस्तुत: सकल-वां मय-तत्त्व-बोधा-दुद्भूत-बुद्धि-पटुभि: सुर-लोक-नाथै: ।स्तोत्रैर्जगत्-त्रितय-चित्त-हरैरुदारै:,स्तोष्ये किलाहमपि तं प्रथमं जिनेन्द्रम् ॥2॥ बुद्ध्या विनापि विबुधार्चित-पाद-पीठ!स्तोतुं समुद्यत-मतिर्विगत-त्रपोऽहम् ।बालं विहाय जल-संस्थित-मिन्दु-बिम्ब-मन्य: क इच्छति जन: सहसा ग्रहीतुम् ॥3॥ वक्तुं गुणान्गुण-समुद्र ! शशांक-कान्तान्,कस्ते क्षम: सुर-गुरु-प्रतिमोऽपि बुद्ध्या ।कल्पान्त-काल-पवनोद्धत-नक्र-चक्रं ,को वा तरीतुमलमम्बुनिधिं भुजाभ्याम् ॥4॥ सोऽहं तथापि तव … Read more