असतो मा सद्गमय ।
तमसो मा ज्योतिर्गमय ।
मृत्योर्मामृतं गमया ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ।
यह संस्कृत से लिया गया एक प्राचीन मंत्र है जो कि बृहदारण्यक उपनिषद् में पाया जाता है एक संस्कृत मंत्र है जिसका अर्थ है “मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो।” यह मंत्र बृहदारण्यक उपनिषद् में पाया जाता है, जो हिन्दू धर्म के प्राचीन और महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है।
यह मंत्र आध्यात्मिक जागृति और आत्मज्ञान की खोज में मार्गदर्शन करने के लिए प्रार्थना करता है। इसे अक्सर मेडिटेशन, योगाभ्यास, और पूजा के दौरान पाठ किया जाता है।
यह मंत्र अज्ञानता से ज्ञान की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर, और मृत्यु से अमरत्व की ओर जाने की प्रार्थना करता है। इस प्रकार, यह व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास और सच्चाई की खोज के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत प्रदान करता है।
इसका हिंदी में अर्थ इस प्रकार है:
“असतो मा सद्गमय” का अर्थ है “मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो।” यहाँ ‘असत्य’ का तात्पर्य झूठ, भ्रान्ति, या अवास्तविकता से है, और ‘सत्य’ का अर्थ है वास्तविकता, वास्तविक ज्ञान, या उच्च सत्य।
“तमसो मा ज्योतिर्गमय” का अर्थ है “मुझे अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो।” यहाँ ‘अंधकार’ अज्ञान, अविद्या, या मोह का प्रतीक है, और ‘प्रकाश’ ज्ञान, जागरूकता, और सच्चाई का।
“मृत्योर्मामृतं गमय” का अर्थ है “मुझे मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो।” यहाँ ‘मृत्यु’ शारीरिक और आत्मिक मृत्यु, संघर्ष, या अंत का प्रतीक है, जबकि ‘अमरता’ आत्मिक मुक्ति, स्थायित्व, या अनन्त जीवन को दर्शाता है।
“ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः” का अर्थ है “शांति, शांति, शांति।” इसका आह्वान तीन प्रकार की शांति के लिए किया गया है – आध्यात्मिक, आधिभौतिक, और आधिदैविक। यह मंत्र यह प्रार्थना करता है कि हम सभी प्रकार के दुःख और विघ्नों से मुक्त होकर शांति को प्राप्त करें।
इस प्रकार, यह मंत्र आध्यात्मिक उत्थान, ज्ञान की प्राप्ति, और आंतरिक शांति की खोज के लिए एक गहन प्रार्थना है।
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“असतो मा सद्गमय” का क्या अर्थ है?
“असतो मा सद्गमय” का अर्थ है “मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो।” यह झूठ, भ्रांति, या अवास्तविकता से वास्तविकता, वास्तविक ज्ञान, या उच्च सत्य की ओर यात्रा को दर्शाता है।
“तमसो मा ज्योतिर्गमय” का क्या अर्थ है?
“तमसो मा ज्योतिर्गमय” का अर्थ है “मुझे अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो।” यहाँ ‘अंधकार’ अज्ञान, अविद्या, या मोह का प्रतीक है, और ‘प्रकाश’ ज्ञान, जागरूकता, और सच्चाई का प्रतीक है।
“मृत्योर्मामृतं गमय” का क्या अर्थ है?
“मृत्योर्मामृतं गमय” का अर्थ है “मुझे मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो।” यहाँ ‘मृत्यु’ शारीरिक और आत्मिक मृत्यु, संघर्ष, या अंत का प्रतीक है, जबकि ‘अमरता’ आत्मिक मुक्ति, स्थायित्व, या अनन्त जीवन को दर्शाता है।