“बाल मुकुन्दष्टकम्” एक अत्यंत प्रसिद्ध और भावनात्मक स्तोत्र है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की मनोहर लीला का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र भगवान के बाल स्वरूप माखन चुराने, मुस्कराने, सोने, खेलते हुए रूप का सुंदर काव्यात्मक चित्रण करता है।
इसे सुनने या पढ़ने मात्र से भक्त के हृदय में बालकृष्ण के प्रति प्रेम, वात्सल्य और आनंद उमड़ पड़ता है।
बाल मुकुंदष्टकम
करारविन्देन पदारविन्दं मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम् ।
वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥१॥
संहृत्य लोकान् वटपत्रमध्ये शयानमाद्यन्तविहीनरूपम् ।
सर्वेश्वरं सर्वहितावतारं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥२॥
इन्दीवरश्यामलकोमलाङ्गं इन्द्रादिदेवार्चितपादपद्मम् ।
सन्तानकल्पद्रुममाश्रितानां बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥३॥
लंबालकं लंवितहारयष्टिं शृङ्गारलीलाङ्ङ्कितदन्तपक्तिम् ।
बिंबाधरं चारुविशालनेत्रं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥४॥
शिक्ये निधायाद्य पयोदधीनि बहिर्गतायां व्रजनायिकायाम् ।
भुक्त्वा यथेष्टं कपटेन सुप्तं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥५॥
कलिन्दजान्तस्थितकालियस्य फणाग्ररङ्गे नटनप्रियन्तम् ।
तत्पुच्छहस्तं शरदिन्दुवक्त्रं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥६॥
उलुखले बद्धमुदारशौर्यं उत्तुङ्गयुग्मार्जुनभङ्गलीलम् ।
उत्फुल्लपद्मायतचारुनेत्रं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥७॥
आलोक्य मातुर्मुखमादेण स्तन्यं पिबन्तं सरसीरुहाक्षम् ।
सच्चिन्मयं देवमनन्तरूपं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥८॥
इस स्तोत्र की रचना आदि शंकराचार्य जी द्वारा मानी जाती है।
उन्होंने इस स्तोत्र में भगवान श्रीकृष्ण के लालन-पालन के बालरूप का इतना भावनात्मक चित्रण किया है कि पाठक या श्रोता का मन स्वतः ही श्रीकृष्ण में लीन हो जाता है।
करारविन्देन पदारविन्दं मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम् ।
वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥१॥
हिंदी अनुवाद:
मैं अपने मन से उस बालक मुकुंद (भगवान श्रीकृष्ण) का ध्यान करता हूँ,
जो अपने कमल जैसे हाथों से अपने कमल समान चरणों को पकड़कर
अपने कमल के समान मुख में रखे हुए हैं,
और जो वट वृक्ष के पत्ते पर शयन कर रहे हैं।
English Translation:
I meditate in my mind upon the child Mukunda (Lord Krishna),
who, with his lotus-like hands, holds his lotus-like feet
and places them into his lotus-like mouth,
while lying on a leaf of the sacred banyan tree.
संहृत्य लोकान् वटपत्रमध्ये शयानमाद्यन्तविहीनरूपम् ।
सर्वेश्वरं सर्वहितावतारं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥२॥
हिंदी अनुवाद:
मैं अपने मन में उस बाल मुकुंद का ध्यान करता हूँ,
जिसने समस्त लोकों को संहार करके वटपत्र के मध्य शयन किया है,
जो आदि और अंत से रहित (अनन्त स्वरूप) हैं,
जो सर्वेश्वर हैं और समस्त प्राणियों के हित के लिए अवतार लेते हैं।
English Translation:
I meditate upon the divine child Mukunda,
who, having withdrawn all the worlds, lies upon the leaf of a banyan tree;
who is without beginning or end,
the Supreme Lord of all, and the incarnation for the welfare of all beings.
इन्दीवरश्यामलकोमलाङ्गं इन्द्रादिदेवार्चितपादपद्मम् ।
सन्तानकल्पद्रुममाश्रितानां बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥३॥
हिंदी अनुवाद:
मैं अपने मन में उस बाल मुकुंद का ध्यान करता हूँ,
जिसका शरीर नीलकमल (इंदीवर) के समान श्याम और कोमल है,
जिसके चरण कमलों की पूजा स्वयं इन्द्रादि देवता करते हैं,
और जो अपने भक्तों के लिए संतानरूपी कल्पवृक्ष के समान उनकी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं।
English Translation:
I meditate upon the child Mukunda,
whose tender body is dark and soft like a blue lotus,
whose lotus feet are worshipped by Indra and other gods,
and who is the wish-fulfilling celestial tree (Kalpavriksha)
for those devoted souls who seek divine blessings like progeny.
लंबालकं लंवितहारयष्टिं शृङ्गारलीलाङ्कितदन्तपक्तिम् ।
बिंबाधरं चारुविशालनेत्रं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥४॥
हिंदी अनुवाद:
मैं अपने मन में उस बाल मुकुंद का ध्यान करता हूँ,
जिसके लंबे घुँघराले केश हैं, गले में लटकता हुआ हार है,
जिसके दाँत सुंदर हैं और जिन पर बाल-लीलाओं का शृंगार झलकता है,
जिसके होंठ बिंब फल के समान लाल हैं, और जिनकी आँखें अत्यंत सुंदर और विशाल हैं।
English Translation:
I meditate upon the divine child Mukunda,
whose curly locks fall gracefully around his face,
who wears a charming necklace,
whose teeth gleam beautifully as he smiles in playful delight,
whose lips are red like the bimba fruit,
and whose large, captivating eyes radiate divine beauty.
शिक्ये निधायाद्य पयोदधीनि बहिर्गतायां व्रजनायिकायाम् ।
भुक्त्वा यथेष्टं कपटेन सुप्तं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥५॥
हिंदी अनुवाद:
मैं अपने मन में उस बाल मुकुंद का ध्यान करता हूँ —
जो जब व्रज की गोपिका घर से बाहर जाती है,
तो वह दूध और दही के पात्रों (शिक्य) को अपने सामने रखता है,
और जब चाहे तब छलपूर्वक (कपट से) उन्हें खा लेता है,
फिर भोलेपन से मानो सो गया हो, ऐसे दिखाता है।
English Translation:
I meditate upon the child Mukunda,
who, when the cowherd maiden (Gopi) goes out,
places the pots of milk and curd before him,
eats them to his heart’s content with playful deceit,
and then pretends to be asleep as if innocent of any mischief.
कलिन्दजान्तस्थितकालियस्य फणाग्ररङ्गे नटनप्रियन्तम् ।
तत्पुच्छहस्तं शरदिन्दुवक्त्रं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥६॥
हिंदी अनुवाद:
मैं अपने मन में उस बाल मुकुंद का ध्यान करता हूँ,
जो यमुना नदी (कलिन्दजा) में स्थित कालिय नाग के फणों के ऊपर
आनंदपूर्वक नृत्य कर रहा है,
जिसके हाथ में कालिय का पूँछ है,
और जिसका मुख शरद ऋतु के पूर्ण चंद्र के समान सुंदर और शीतल है।
English Translation:
I meditate upon the divine child Mukunda,
who joyfully dances upon the hoods of the serpent Kāliya
in the waters of the Yamunā River (daughter of Mount Kalinda),
who holds the serpent’s tail in his hand,
and whose radiant face shines like the autumn full moon.
उलुखले बद्धमुदारशौर्यं उत्तुङ्गयुग्मार्जुनभङ्गलीलम् ।
उत्फुल्लपद्मायतचारुनेत्रं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥७॥
हिंदी अनुवाद:
मैं अपने मन में उस बाल मुकुंद का ध्यान करता हूँ —
जो अपने उदार (असीम) शौर्य से यशोदा माता द्वारा उलुखल (ओखली) में बँधे हुए भी
दो विशाल अर्जुन वृक्षों को खेल-खेल में उखाड़ देता है,
और जिसकी आँखें पूर्ण खिले हुए कमल के समान सुंदर और लंबी हैं।
English Translation:
I meditate upon the child Mukunda,
who, though bound to a mortar by Mother Yashoda,
displayed his immense valor by uprooting the two tall Arjuna trees in play,
and whose wide, beautiful eyes resemble fully blossomed lotus petals.
आलोक्य मातुर्मुखमादेण स्तन्यं पिबन्तं सरसीरुहाक्षम् ।
सच्चिन्मयं देवमनन्तरूपं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥८॥
हिंदी अनुवाद:
मैं अपने मन में उस बाल मुकुंद का ध्यान करता हूँ,
जो अपनी माता के मुख को देखकर प्रेमपूर्वक उनका दूध पी रहा है,
जिसकी आँखें कमल के समान हैं,
जो सच्चिदानंद स्वरूप, अनंत रूप वाले परम देवता हैं,
और फिर भी स्नेहवश बाल रूप में लीला कर रहे हैं।
English Translation:
I meditate upon the divine child Mukunda,
who lovingly drinks milk from his mother’s breast while gazing at her face,
whose eyes are like lotus flowers,
who is the Supreme Lord — the embodiment of existence, consciousness, and bliss (Sat-Chit-Ananda),
and yet manifests in the charming form of a little child.
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