Surya Chalisa- सूर्य चालीसा

सूर्य भगवान को हिन्दू धर्म में बहुत ही शक्तिशाली देवता माना गया है, और उनकी उपासना से अनेकों लाभ होते हैं। सूर्य देवता की पूजा न केवल व्यक्तिगत ताकत और सफलता में वृद्धि करती है, बल्कि सम्पूर्ण जगत के लिए उनकी महत्वपूर्ण भूमिका भी दर्शाती है।

सूर्य चालीसा

सूर्य देव को जल चढ़ाना, जिसे सूर्य अर्घ्य भी कहा जाता है, यह एक पवित्र क्रिया है जिसमें तांबे के लोटे में जल भरकर सूर्य देव को अर्पण किया जाता है। इससे भक्तों को आत्मिक शांति के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ होता है। इस प्रकार की पूजा से सूर्य देव की कृपा से जीवन में आयु, आरोग्यता, और प्रतिष्ठा बढ़ती है।

सूर्य पूजा की विधि:

  • सूर्योदय के समय पूजा करना: सूर्योदय के समय सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसे करते समय तांबे के लोटे का उपयोग करें और जल में रोली, अक्षत और गुड़ मिलाएं।
  • सूर्य चालीसा का पाठ: सूर्य चालीसा का पाठ करना इस दिन विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। इससे सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है और सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।
  • गुड़ का भोग लगाना: गुड़ को सूर्य देव को अर्पित करें क्योंकि यह उनका प्रिय भोग माना जाता है। इसके बाद प्रसाद रूप में इसे ग्रहण करें।

सूर्य चालीसा का पाठ करने से लाभ:

  • धन और समृद्धि में वृद्धि: सूर्य देव की कृपा से व्यक्ति को धन और संपदा की प्राप्ति होती है। सूर्य को ऊर्जा और प्रकाश का स्रोत माना जाता है, जिससे कार्यक्षेत्र में उन्नति और वित्तीय स्थिति में सुधार होता है।
  • बुद्धि और ज्ञान में विकास: सूर्य देव ज्ञान और बुद्धि के प्रतीक हैं। उनकी उपासना से व्यक्ति की बुद्धि तेज होती है और जीवन में सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।
  • स्वास्थ्य लाभ: सूर्य चालीसा के पाठ से सूर्य देव से स्वास्थ्य और आरोग्यता का आशीर्वाद मिलता है। यह विभिन्न शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति दिलाने में मदद करता है।
  • सुख और शांति: सूर्य चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सुख और शांति आती है। यह जीवन के कठिन क्षणों में साहस और शांति प्रदान करता है।
  • तेजस्विता: सूर्य तेजस्विता के प्रतीक हैं। उनकी पूजा से व्यक्ति में एक दिव्य तेज और चमक आती है, जो न केवल उसे आत्मविश्वासी बनाती है, बल्कि अन्य लोगों के बीच उसकी प्रतिष्ठा भी बढ़ाती है।

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