संपूर्ण पुष्पांजलि मंत्र

संपूर्ण पुष्पांजलि मंत्र हिन्दू धर्म में एक विशेष स्थान रखता है। यह न केवल ईश्वर के प्रति आदर और सम्मान की भावना का प्रतीक है, बल्कि एक अनुरोध भी है कि ईश्वर हमारी पूजा, अनुष्ठान, या शुभ कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न करें। फूलों की टोकरी (पुष्पांजलि) अर्पित करना एक पवित्र क्रिया है, जिसमें भक्त अपनी श्रद्धा, आस्था और भक्ति को ईश्वर के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। यह क्रिया इस विश्वास के साथ की जाती है कि ईश्वर हमारे जीवन को अधिक समृद्ध और सफल बनाने में हमारी सहायता करेंगे।

संपूर्ण पुष्पांजलि मंत्र में उन देवताओं या देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता है, जिनकी पूजा की जा रही होती है, और इसे गायन करते हुए फूलों को उनके चरणों में समर्पित किया जाता है। इस प्रकार, यह एक समर्पण की भावना को दर्शाता है और भक्त और ईश्वर के बीच एक अद्वितीय संबंध को प्रकट करता है।

यह मंत्र विविधतापूर्ण हो सकता है, आमतौर पर विभिन्न देवताओं के लिए विशिष्ट होता है, और इसे पूजा के संदर्भ में गाया जाता है। यह पूजा की शुरुआत में देवताओं के प्रति समर्पण और श्रद्धा की भावना को प्रकट करता है, साथ ही यह उम्मीद भी व्यक्त करता है कि पूजा से जुड़े सभी लोगों के जीवन में शुभता और सफलता आएगी।

संपूर्ण पुष्पांजलि मंत्र का अनुष्ठान हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण क्रिया है, जिसे विशेष रूप से देवताओं की आराधना और सम्मान में संपन्न किया जाता है। यह अनुष्ठान न केवल पूजा और धार्मिक क्रियाकलापों के लिए एक पवित्र शुरुआत प्रदान करता है, बल्कि यह देवताओं के प्रति हमारी आस्था और भक्ति का प्रतीक भी है।

इस क्रिया में, मंत्रों का उच्चारण करते हुए देवताओं को फूलों की टोकरी अर्पित की जाती है। ये मंत्र विशेष रूप से उस देवता की शक्तियों और गुणों का स्तुति करते हैं, जिसकी पूजा की जा रही होती है।

संपूर्ण पुष्पांजलि मंत्र के माध्यम से, भक्त देवता का आवाहन करते हैं और उन्हें अपने समर्पण का संकेत देते हैं। यह एक तरह से देवताओं को यह आश्वासन देना है कि भक्त उनके प्रति पूरी तरह से समर्पित हैं और उनका सम्मान करते हैं।

संपूर्ण पुष्पांजलि मंत्र के अनुष्ठान में दीपक का प्रज्वलन भी शामिल है, जो ज्ञान और पवित्रता का प्रतीक है। इसे प्रकाश के रूप में देखा जा सकता है जो अज्ञानता और अंधकार को दूर करता है, और यह देवताओं के समक्ष हमारी आस्था और श्रद्धा को प्रकाशित करता है। अनुष्ठान सम्पन्न होने के बाद, भक्तों द्वारा यह कामना की जाती है कि देवताओं का आशीर्वाद उन्हें प्राप्त हो और उनके जीवन में शुभता और मंगलमय हो। इस प्रकार, मंत्र पुष्पांजलि न केवल एक अनुष्ठान है, बल्कि यह भक्ति, आस्था, और देवताओं के प्रति समर्पण की गहराई को भी दर्शाता है।

ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तनि धर्माणि प्रथमान्यासन् ।
ते ह नाकं महिमान: सचंत यत्र पूर्वे साध्या: संति देवा: ॥

Translation in Hindi: “देवताओं ने यज्ञ के द्वारा यज्ञ को संपन्न किया, और इसी के साथ पहले धर्मों की स्थापना की। वे महानता को प्राप्त होते हैं और नक्षत्रलोक में विराजमान होते हैं, जहां पूर्व में सिद्ध हुए देवता रहते हैं।”

Explanation in Hindi: इस श्लोक में यज्ञ की महत्ता को बताया गया है। यह कहा गया है कि देवताओं ने यज्ञ के माध्यम से यज्ञ करके धर्म की स्थापना की। यह बताता है कि यज्ञ केवल एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सृष्टि की रचना और धर्म के संवर्धन का माध्यम है। इस श्लोक में यह भी वर्णित है कि यज्ञ करने वाले देवता महानता को प्राप्त होते हैं और उच्च स्थानों पर विराजमान होते हैं, जैसे कि नक्षत्रलोक जहां पहले के सिद्ध देवता रहते हैं। इस प्रकार, यह श्लोक यज्ञ के महत्व और इसके द्वारा प्राप्त होने वाली दिव्यता को दर्शाता है।

ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने।
नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे।
स मस कामान् काम कामाय मह्यं।
कामेश्र्वरो वैश्रवणो ददातु कुबेराय वैश्रवणाय।
महाराजाय नम: ।

Translation in Hindi: “हम राजाओं के महाराज, सर्वोच्च शक्तिशाली, वैश्रवण (कुबेर) को नमस्कार करते हैं। हम उन्हें प्रणाम करते हैं और उनकी आराधना करते हैं। वह हमारी सभी इच्छाओं को पूरा करें, जो हमें प्रिय हैं। इच्छाओं के स्वामी, वैश्रवण (कुबेर) हमें दें, वैश्रवण (कुबेर) को, महाराज को नमस्कार है।”

Explanation in Hindi: यह मंत्र धन के देवता और उत्तर दिशा के राजा, लॉर्ड कुबेर की आराधना करता है। कुबेर को देवताओं का कोषाध्यक्ष और ब्रह्मांड के धन का संरक्षक माना जाता है। यह मंत्र उन्हें राजाओं का महाराज और सभी इच्छाओं के पूरक के रूप में संबोधित करता है, जो भक्तों को धन, समृद्धि और सफलता प्रदान करने की कामना करता है। यह मंत्र आर्थिक स्थिरता, समृद्धि और उनके प्रयासों में सफलता की कामना करने वाले लोगों द्वारा अक्सर पाठ किया जाता है।

ॐ स्वस्ति, साम्राज्यं भौज्यं स्वाराज्यं
वैराज्यं पारमेष्ट्यं राज्यं महाराज्यमाधिपत्यमयं ।
समन्तपर्यायीस्यात् सार्वभौमः सार्वायुषः आन्तादापरार्धात् ।
पृथीव्यै समुद्रपर्यंताया एकरा‌ळ इति ॥

Translation in Hindi: “ॐ स्वस्ति, सम्राज्य, भौज्य (सैन्य शक्ति द्वारा प्राप्त राज्य), स्वराज्य (स्वतंत्र राज्य), वैराज्य (विशाल राज्य), पारमेष्ठ्य (सर्वोच्च पद), राज्य, महाराज्य और अधिपत्य (पूर्ण अधिकार) सहित। सर्व साम्राज्य जो सर्वत्र व्याप्त हो, सर्व भौमिक और सर्व आयुष (सर्वजीवन) हो, अंत से लेकर अपरांत तक। पृथ्वी से समुद्र के छोर तक एकराज (एकाधिपत्य) हो।”

Explanation in Hindi: इस श्लोक में विश्व कल्याण, स्वतंत्रता, सर्वोच्च नेतृत्व और सर्वव्यापी अधिपत्य के लिए आशीर्वाद मांगा गया है। इसमें विभिन्न प्रकार के शासन और नेतृत्व की आकांक्षा को दर्शाया गया है, जैसे कि स्वयं का शासन से लेकर सर्वोच्च संभव अधिकार तक। इसमें प्रार्थना की गई है कि शासन या प्रभाव पृथ्वी से लेकर समुद्र के छोर तक व्याप्त हो, जो एकीकृत और अविरोधी शासन का प्रतीक है। इस श्लोक का उच्चारण आमतौर पर समृद्धि, विशाल शासन क्षेत्र और लंबे जीवन की कामना करते समय किया जाता है।

ॐ तदप्येषः श्लोकोभिगीतो।
मरुतः परिवेष्टारो मरुतस्यावसन् गृहे।
आविक्षितस्य कामप्रेर्विश्वेदेवाः सभासद इति ॥
॥ मंत्रपुष्पांजली समर्पयामि ॥

Translation in Hindi: “ॐ, इस प्रकार यह श्लोक गाया गया है। मरुतों ने जो परिवेष्टित हैं, उनके निवास स्थान में, जिसे देखा गया है, उसकी कामनाओं के अनुसार विश्वेदेवाः सभा के सदस्य बने। मैं मंत्रपुष्पांजलि समर्पित करता हूँ।”

Explanation in Hindi: यह श्लोक मंत्रपुष्पांजलि के समय पाठ किया जाता है, जब हिन्दू पूजा के अंत में देवताओं को फूल और मंत्रों की आहुति दी जाती है। यह मरुतों, जो कि हिन्दू मिथकों में तूफानों के देवता हैं, की प्रशंसा करता है, उनकी उपस्थिति को स्वीकार करता है और उनके आशीर्वाद को आमंत्रित करता है। “विश्वेदेवाः” शब्द सभी देवताओं को संदर्भित करता है, और “सभासद” का अर्थ है सभा के सदस्य या प्रतिनिधि। इस प्रकार, यह श्लोक देवताओं के प्रति समर्पण और उनसे समृद्धि, सुरक्षा, और सुख की कामना करता है।

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