अष्ट सिद्धि (Ashta Siddhi), या आठ आध्यात्मिक शक्तियाँ, वास्तव में भगवान हनुमान के साथ गहरी जुड़ाव रखती हैं और हिन्दू दर्शन और योग दर्शन के अंतर्गत गहरे आध्यात्मिक उपलब्धियों को प्रतिनिधित करती हैं। ये सिद्धियाँ अनुशासित आध्यात्मिक प्रयास और तपस्या के माध्यम से प्राप्त की जा सकती हैं। इन्हें पतंजलि के योग सूत्र में भी उल्लेखित किया गया है, जहाँ इन्हें अत्याधुर्भाग्य पूर्ण शक्तियों के रूप में वर्णित किया गया है जो योग और ध्यान के अभ्यास के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है।
हनुमान जी को अष्ट सिद्धियों के प्राप्तकर्ता के रूप में माना जाता है, जो उन्हें एक असाधारण आध्यात्मिक शक्ति और क्षमता प्रदान करती हैं। ये अष्ट सिद्धियां हिन्दू दर्शन और योग प्रथाओं में गहरे आध्यात्मिक विकास और महारत के प्रतीक हैं। ये सिद्धियां निम्नलिखित हैं:
यहाँ प्रत्येक का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:
अणिमा (Aṇimā)
सबसे छोटे से भी छोटा बनने की क्षमता, जैसे कि अपने शरीर का आकार एक परमाणु के बराबर करना, जो भौतिक लोक पर महारत को दर्शाता है।
महिमा (Mahimā)
इच्छानुसार जितना बड़ा बनने की क्षमता, अनंत रूप से बड़ा तक, जो भौतिक सीमाओं से परे अपनी चेतना और उपस्थिति के विस्तार को दर्शाती है।
गरिमा (Garimā)
अनंत रूप से भारी या हल्का बनने की शक्ति, जो गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव और भौतिक गुणों पर प्रभाव डालने की क्षमता को दर्शाती है।
लघिमा (Laghimā)
सबसे हल्के से भी हल्का बनने की क्षमता, अक्सर उड़ने और शरीर को भारहीन बनाने से जुड़ी होती है, जो वजन और गुरुत्वाकर्षण की भौतिक सीमाओं से मुक्ति को दर्शाती है।
प्राप्ति (Prāpti)
जो कुछ भी वांछित हो, उसे प्राप्त करने की क्षमता, जो समय और स्थान की बाधाओं को पार करने की क्षमता को दर्शाती है।
प्राकाम्य (Prākāmya)
किसी भी इच्छा या संकल्प को तत्काल पूरा करने की शक्ति, जो साक्षात्कार की क्षमता और व्यक्ति की इच्छा को ब्रह्मांडीय इच्छा के साथ समन्वयित करने की क्षमता को उजागर करती है।
ईशित्व (Iṣitva)
प्रभुत्व या आधिपत्य, जो सभी सृष्टि को अपनी इच्छा के अधीन करने की शक्ति को दर्शाती है, प्राकृतिक तत्वों और शक्तियों पर नियंत्रण की सुविधा प्रदान करती है।
वशित्व (Vaśitva)
सभी प्राणियों को अपने प्रभाव या नियंत्रण में लाने की क्षमता, अक्सर एक अप्रतिरोध्य आकर्षण और मोह के माध्यम से, जो शुद्ध इरादे, ज्ञान और व्यक्तित्व की शक्ति के माध्यम से दूसरों को प्रेरित करने और नेतृत्व करने की क्षमता को दर्शाती है।
ये सिद्धियाँ केवल अलौकिक शक्तियाँ नहीं हैं बल्कि आध्यात्मिक विकास और आत्म-साक्षात्कार की चरम सीमा का प्रतीक हैं। इन्हें गहरे आध्यात्मिक अभ्यास, ध्यान और नैतिक जीवन के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। हालांकि, इन शक्तियों की खोज को व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं बल्कि आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने के साधन के रूप में किया जाना चाहिए, जिसका अंतिम लक्ष्य मोक्ष और दिव्य के साथ अपनी एकता का साक्षात्कार है।
यह भी पढ़ें –
हनुमान जी की आरती- Hanuman Aarti
1 thought on “Ashta Siddhi – अष्ट सिद्धि”