तन्त्रोक्तं देवी सूक्तम्: देवी की महिमा और साधना का अद्भुत मार्गतन्त्रोक्तं देवी सूक्तम्

तन्त्रोक्तम् रात्रि सूक्तम्, जिसे तंत्र से युक्त रात्रि सूक्त भी कहा जाता है, देवी दुर्गा की महिमा और उनकी शक्ति को समझने का एक महत्वपूर्ण साधन है। यह पाठ चण्डी पाठ के अनुष्ठान का अभिन्न अंग है और इसे कवच, अर्गला, कीलक और वेदोक्त रात्रि सूक्त के बाद किया जाता है। इसके बाद देव्यथर्वशीर्षम् स्तोत्रम् का पाठ किया जाता है, जो इस अनुष्ठान को पूर्णता प्रदान करता है।

यह सूक्त दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय के श्लोक 70 से 90 तक में वर्णित है और इसे ब्रह्मा जी ने रचा है। यह स्तुति भगवती योगमाया, जो भगवान विष्णु की शक्ति हैं, की महिमा का वर्णन करती है। इस सूक्त के माध्यम से ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु को निद्रा से जगाने और मधु-कैटभ जैसे असुरों का वध करने हेतु प्रार्थना की थी। यह सूक्त देवत्व और मानवता के बीच का एक गहरा संबंध स्थापित करता है, जहाँ देवी को जगत की पालनकर्ता और रक्षक के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

तन्त्रोक्त रात्रि सूक्त का पाठ देवी को जागृत करने और उन्हें शीघ्र मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए किया जाता है। इस सूक्त में भगवान विष्णु को महान असुरों के बारे में बताने का आग्रह किया गया है, ताकि वे उनका वध कर सकें और जगत की रक्षा कर सकें। यह पाठ देवी की अनंत शक्तियों को समर्पित है और साधकों के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव का माध्यम है।

तन्त्रोक्तं देवी सूक्तम्

तन्त्रोक्तं देवी सूक्तम् देवी के विभिन्न स्वरूपों और उनकी अनंत महिमा का गान करने वाला अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है। इस स्तोत्र में देवी को शिव, महादेवी, गौरी, दुर्गा, प्रकृति, और लक्ष्मी जैसे अनेक नामों से सम्बोधित किया गया है। यह उनके रौद्र और सौम्य दोनों रूपों का वर्णन करता है, जो यह दर्शाता है कि देवी अपनी कृपा से साधक का कल्याण कर सकती हैं और अपने प्रचंड रूप से दुष्टों का नाश कर सकती हैं।

इस स्तोत्र का विशेष महत्व यह है कि इसमें देवी को सर्वभूत निवासिनी (सभी जीवों में निवास करने वाली) बताया गया है। वे बुद्धि, श्रद्धा, स्मृति, दया, तृष्णा, और लज्जा जैसे रूपों में सभी प्राणियों के भीतर विद्यमान हैं। यह मान्यता देवी को मानव जीवन का अभिन्न अंग और जगत की मूल चेतना के रूप में स्थापित करती है।

स्त्रोत में देवी को सर्वव्यापी और जगत की आधारभूत शक्ति के रूप में पूजा गया है। वे सभी प्रकार की विपत्तियों को हरने वाली, सुरक्षा प्रदान करने वाली, और सुख, शांति, तथा समृद्धि देने वाली हैं। यह स्तोत्र यह भी बताता है कि देवी न केवल बाहरी संसार में बल्कि साधक के भीतर भी मौजूद हैं और उनकी साधना से मनुष्य अपनी आध्यात्मिक उन्नति कर सकता है।

तन्त्रोक्तं देवी सूक्तम् देवी के प्रति श्रद्धा, भक्ति, और समर्पण का प्रतीक है। इसे नियमित रूप से पाठ करने से साधक के जीवन में सुख और शांति आती है, नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, और व्यक्ति को देवी की कृपा प्राप्त होती है। यह स्तोत्र हर प्रकार की बाधाओं और कष्टों से मुक्ति दिलाने में सक्षम है।

यह स्तोत्र न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि साधक को आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाता है। इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ पढ़ने से देवी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

तन्त्रोक्तम् रात्रि सूक्तम्: दिव्य स्तुति का महत्व और लाभ

तन्त्रोक्तम् रात्रि सूक्तम्, जो तंत्र से युक्त रात्रि सूक्त के नाम से प्रसिद्ध है, देवी दुर्गा की महिमा का अत्यंत महत्वपूर्ण स्तोत्र है। इसका पाठ चण्डी पाठ की आरंभिक प्रक्रिया में कवच, अर्गला, कीलक और वेदोक्त रात्रि सूक्त के बाद किया जाता है। इसके पश्चात देव्यथर्वशीर्षम् स्तोत्रम् का पाठ होता है। यह संपूर्ण विधि देवी भगवती की आराधना में एक अति पवित्र और प्रभावशाली अनुष्ठान मानी जाती है।

नवरात्रि के दौरान तन्त्रोक्त रात्रि सूक्त का पाठ करना देवी भगवती की कृपा प्राप्त करने का एक सरल और प्रभावी मार्ग है। इस पाठ से साधक को आध्यात्मिक और भौतिक दोनों प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। आइए जानते हैं इसके अद्भुत लाभ:

  • भय का नाश: तन्त्रोक्त रात्रि सूक्त का पाठ करने से हर प्रकार के भय और आशंका का नाश होता है।
  • स्वास्थ्य और सम्पन्नता: यह पाठ साधक के जीवन में स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि लेकर आता है।
  • बुरी शक्तियों से रक्षा: माँ दुर्गा की कृपा से बुरी शक्तियों और काले जादू का प्रभाव समाप्त होता है।
  • शक्ति प्राप्ति: यह पाठ कमजोर और असहाय व्यक्तियों को मानसिक और शारीरिक बल प्रदान करता है।
  • आर्थिक प्रगति: जो लोग आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं, उनके लिए यह पाठ आय के नए स्रोत खोलने में सहायक होता है।
  • शांति प्राप्ति: जो लोग मानसिक शांति की तलाश में हैं, उन्हें माँ की कृपा से शांति प्राप्त होती है।
  • ज्ञान का प्रसार: यह पाठ ज्ञान के मार्ग पर चलने वालों को सत्य के दर्शन कराता है।
  • बुद्धि की प्राप्ति: यह स्तुति साधक को तेज और विवेक प्रदान करती है।
  • भ्रम का नाश: भगवती की कृपा से हर प्रकार के भ्रम और मानसिक अशांति दूर हो जाती है।

तन्त्रोक्तम् रात्रि सूक्तम् एक ऐसा दिव्य स्तोत्र है जो साधक को आध्यात्मिक ऊँचाइयों तक पहुँचाने में सहायक होता है। यह न केवल साधक के जीवन से नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है, बल्कि उसे देवी माँ के प्रति समर्पण और श्रद्धा का अनुभव भी कराता है। नवरात्रि जैसे पवित्र अवसर पर इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए, जिससे माँ दुर्गा की कृपा सदैव बनी रहे और साधक के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास हो।

तन्त्रोक्त रात्रि सूक्त एक अद्भुत साधना है जो साधक को देवी की कृपा और आशीर्वाद से अभिभूत कर सकती है। यह केवल एक पाठ नहीं है, बल्कि आत्मा और परमात्मा के बीच एक गहरे संबंध का अनुभव है। नवरात्रि जैसे शुभ अवसरों पर इसका पाठ करना साधकों के लिए जीवन को आध्यात्मिक ऊँचाई पर ले जाने का मार्ग है। देवी की उपासना और उनके सूक्तों का पाठ हमें भय, असुरक्षा और अज्ञान से मुक्त करता है और हमारी आत्मा को शक्ति और प्रकाश प्रदान करता है।

इस नवरात्रि, तन्त्रोक्त रात्रि सूक्त और देवी सूक्त का पाठ करें और माँ भगवती की असीम कृपा का अनुभव करें।





Leave a comment